बालोद : जिला के राजनीतिक रण भूमि क्षेत्र गुरूर विकासखंड क्षेत्र के दायरे में स्थित तमाम ग्राम पंचायतों के सबसे बड़े पंचायत अर्थात जनपद पंचायत गुरूर में पदस्थ रह चुके एक बड़े अधिकारी का बिते दिनों प्रसाशनिक तबादला किसी अन्य जिला के अंदर होने की सुचना प्राप्त हुई है। असंख्य लोगों के दिलों में राज करने वाले इस अधिकारी के तबादला की खबर मिलने से कई लोग सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं। इससे पूर्व साहब का एक बार पहले भी तबादला होने की जानकारी लोगों के मध्य चर्चा का विषय बन चुकी है, लेकिन सत्ता सरकार के चहेते लोगों ने उस तबादला की सूचना को ही रफा-दफा कर दिया। यानि साहब का तबादला रोक दी गई थी। अब जब विधानसभा चुनाव को देखते हुए साहब का तबादला जिला के बाहर दूसरे जिले में हो गया है। तब एक बार फिर उनके चहेते लोगों की नाराजगी को लेकर तरह तरह की जानकारी प्राप्त हों रही है। हालांकि हमारे पास लोगों की नाराजगी से संबंधित कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। लिहाजा नाराज होने वाले लोग ही अपनी नाराज़गी और परेशानी का कारण बंया कर सकते है। वंही दूसरी ओर यह भी खबर प्राप्त हो रही है, कि उक्त अधिकारी की तबादला को लेकर कुछ लोग काफी खुश बताए जा रहे हैं। खुश होने वाले लोगो की मानें तो सरकार ने साहब का तबादला देर से किया है, जबकि उनका तबादला पहले जो हुआ था वह बिलकुल ठीक था।

लोगों ने बताया कि उक्त अधिकारी का व्यवहार शासकीय कार्यों के लिए विपरित और सत्ताधारी राजनीतिक दल के नेताओं की जी हुजूरी में ज्यादा फिट थी। इसलिए उनका पहले भी तबादला किया गया था लेकिन सत्ता की गलियारों में जिनकी तूती बोलती है। उन लोगों की रहमो-करम के हवाले पर उस समय उनका तबादला रूक गया था। अब जब अधिकारी का तबादला हो गया है तब सवाल यह उठता है कि जनपद पंचायत कार्यालय गुरूर के अंदर अब फरमान कौन जारी करेगा ताकि सत्ता सरकार में बैठे हुए लोग अपने इच्छा के मुताबिक शासकीय योजनाओं को संचालित कर सकें। सूत्रों की मानें तो उक्त अधिकारी के आड़ में कुछ लोगों ने कई सरकारी योजनाओं में बखूबी तरीके से धांधली को अंजाम दिया है।अब कथित तौर पर कहीं जा रही धांधली और घपला को किसने अंजाम दिया होगा यह तो जानने का अधिकार जनता को है लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जानकारी जनता तक ईमानदारी से पहुंच पायेगी। निश्चित रूप से यह काफी अहम सवाल है चूंकि माना जा रहा है कि सत्ता सरकार में बैठे हुए लोग यह कतई नहीं चाहेंगे कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पूर्व कोई भी धांधली और कमीशनखोरी का दाग उन पर ना लगे ऐसे में कई अहम सरकारी दस्तावेज गायब होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। अतः साहब के जगह उनके कुर्सी पर बैठने वाले दुसरे अधिकारी पर दस्तावेज बचाने की सबसे बड़ी चुनौती होने की संभावना जताई जा रही है।