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देख रहा है बिनोद बेमौसम बरसात में भी भूपेश बघेल के रेती चोर सेना नदी की छाती को चीर कर रेत चोरी को अंजाम दे रहे।

बालोद :सूब्बे की पावन धरा में मौजूद हर कण पर प्रमुखता से व्याप्त हर सफेद पोशाक धारी राजनेता, यह समझ लें कि छत्तीसगढ़ राज्य की एक -एक इंच और एक -एक पाई, की रक्षा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि नैतिक धर्म भी है। सफेद पोशाक धारी चाहे वह कोई भी राजनीतिक दल से ताल्लुक रखते हो इस जिम्मेदारी को बखूबी तरीके से निभाने हेतू ही पौने तीन करोड़ से अधिक छत्तीसगढ़ महतारी के करीया बेटे और बेटियों ने उन्हे अपना मुखिया मान रखा है। अब इसका मतलब यह कतई नहीं है कि राम राम जपना और जनता का माल अपना।दि जनता के द्वारा चुने हुए मुखिया अपनी जिम्मेदारीयो को निभा पाने में सक्षम नहीं हो पायेंगें,तब ऐसे में क्या जनता चुपचाप बैठ कर तमाशाबीन बने देखता रहे और इस बीच जनता के द्वारा चुने हुए सफेदपोश मुखिया छत्तीसगढ़ राज्य की संपत्ति को लूटता रहे ?ऐसा नहीं होना चाहिए, लेकिन विडम्बना है कि कई दफा ऐसा ही होता है। जब ऐसा होता है,तब एक सवाल सूब्बे के पौने तीन करोड़ से अधिक करीया बेटी और बेटे अपने आप से खुद पुछता है कि क्या यही दिन देखने के लिए इन सफेदपोश नेताओं को अपना मुखिया माना। यह सर्व विदित है कि राज्य की धरती हर जगह पर सोना उगलती है। बस इस सोने की परख जोहरी अलग अलग तरीके से करते किया करते हैं। कोई इसे पसीने से सींच कर सोना बनाता है तो कोई इस जमीन पर निर्दोषों का अरमान लूट कर सोना बनाता है। बहरहाल इन जौहरियों में से कुछ ऐसे भी जौहरियों का जिक्र सूब्बे की इस सर जंमी पर देखने को और सुनने को मिलता है। बताया जाता है कि इन जौहरियों की नियत छत्तीसगढ़ महतारी की पावन धरा में कल-कल करती हुई बहने वाली हुई नदियों और नालों की छाती पर मौजूद रेतों में लगी होती है। सीधे शब्दों में कहें तो इन्हें रेत चोर या रेत तस्कर के रूप में जाना जाता रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि सूब्बे की जीवनरेखा मानी जाने वाली तमाम नदी नालों पर विगत कई वर्षों से नियम विरुद्ध तरीके से रेत ज्यादातर जौहरियों के माध्यम से नदियों और नालों की छाती को चीर कर उत्खनन किए जाने की बात जग जाहिर है।वर्तमान परिदृश्य में रेत सोने से भी कीमती माना जाता है। लिहाजा नियम विरुद्ध तरीके से संचालित करने की मायने को समझना आसान है। चूंकि सत्ता सरकार में बैठे मुखिया के रहते हुए सूब्बे में कोई पंरिदा पैर भी नहीं मार सकता है। इसलिए तो राज्य के पौने तीन करोड़ से अधिक करीया बेटे और बेटियां मुखिया मानते हुए इन सफेदपोश नेताओं को कण कण में बिठा रखा हैं ताकि छत्तीसगढ़ महतारी की धरा पर मौजूद हर अंग की हिफाजत ईमानदारी से किया जा सके, लेकिन दुर्भाग्यवश सूब्बे के कण कण में बिठाए गए मुखिया रेत चोरों से जुड़े हुए बताए जाते हैं।

कांग्रेसी नेताओं पर लगाए जाते है अवैध रेत उत्खनन में शामिल होने का आरोप

ऐसा बिलकुल नहीं है कि सूब्बे में रेत उत्खनन को लेकर विवाद और सियासी गठबंधन सिर्फ कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी जिसके बाद से संचालित हुई है। इससे पहले छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर भाजपा की लंबी अवधि तक सरकार रही है उस दौरान भी खूब रेत उत्खनन के मामले देखे गए हैं,लेकिन इस बार सूब्बे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार है। उनके इस कार्यकाल के दौरान भी पूरे राज्य भर में संचालित की गई अवैध रेत उत्खनन अवैध मुरूर उत्खनन अवैध कोयला रायल्टी संबंधी मामले लोगों के बीच प्रमुखता से भरे पड़े हुए हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और कांग्रेस पार्टी अंतर्कलह से खुद को बचाने हेतू अपने विधायकों को खुले छूट दे दिया है। सरकार और पार्टी से मिली हुई छूट को भूनाने हेतू कई विधायको ने अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कई अनगिनत काम किए हैं जिनके बारे में यदि जनता भूल से भी विधायकों से पुछ ले तो इनकी सीटी बज निकलती है। भागो मैं आया तुम कंहा पर हो। बहरहाल बालोद जिला की पुण्य भूमि पर सावन के इस भरे बरसात में नदियों की छाती से रेत निकाल कर बेंच खाने वाले जौहरियों के आगमन की सुचना है। सूत्रों की मानें तो रेत चोर जौहरियों के द्वारा भरे बरसात में भीगते हुए बड़ी बड़ी मशीन से रेत उत्खनन किए जाने की बात सामने आई है। इससे पहले कई बार अवैध तरीके से जिला में रेत उत्खनन के मामले देखे गए हैं। हैरानी की बात यह है कि सभी रेत उत्खनन से जुड़े हुए मामलों में जिला प्रशासन बालोद के अंदर पदस्थ रहने वाले बाबू लोग अपने नंगी आंखों से टुकूर टुकूर बस देखते हुए पाए गए हैं जबकि लगभग हर उत्खनन से जुड़े हुए मामले पर इनके पास लिफाफा जाना आम बात है।



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