

स्कूली बच्चे ज्यादातर इस संक्रमित बिमारी का शिकार बन रहे हैं। ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में इस बिमारी की वेदना भंयकर तरीके से देखा जा सकता है,जबकि गांवों में इलाज की सुविधा ना के बराबर है। छत्तीसगढ़ जैसे बीमारू और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए राज्य में रहने वाले गरीब और कमजोर तबके से जुड़े हुए लोगों के लिए यह समय ना सिर्फ परेशानी भरा होता है बल्कि सरकार के लिए भी यह समय एक बड़ी कठिन चुनौती वाला होता है। ऐसे में सरकार के लिए यह समय किसी परीक्षा से कम नहीं माना जा सकता है,लेकिन सवाल यह भी खड़ा होता है, कि क्या सरकार आसानी से इस कठिन परीक्षा को पास करने में सफल हो पाते होंगे? क्योंकि लोगों को सरकार के द्वारा की गई परीक्षा की तैयारियों पर पूरी तरह से संदेह नजर आ रही है। लिहाजा सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाना लाजिमी माना जा रहा हैं। अब सवाल उठाने वाले लोग सभी विपक्षी राजनीतिक दल से ही जुड़ा हुआ हो यह जरूरी तो नहीं है। सवाल उठाने वाले लोगों में सत्ताधारी पार्टी के नेता भी हो सकते हैं और आम जनता भी सभी हो सकते हैं। अतः सरकार को सवाल पुछने वाले लोगों का चेहरा नहीं बल्कि सवाल को देखना चाहिए क्योंकि चेहरा कभी भी बदल सकता है लेकिन सवाल नहीं। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव जिन्हें लोगबाग बड़े प्यार से बाबा जी कह कर भी संबोधित करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार में बाबा जी स्वास्थ्य मंत्रालय की अहम जिम्मा अपने कंधों पर बखूबी तरीके से संम्हालने का काम कर रहे हैं। कुछ दिन पहले बाबा जी को स्वास्थ्य मंत्रालय के अतिरिक्त बोझ होने के बावजूद उनके काम को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के उपमुख्यमंत्री की भी उपाधि प्रदान की गई है। गरीब और बीमारू राज्य होने के नाते राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार और बढ़िया कम खर्च में बेहतर इलाज सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की मुख्य कार्यों में से एक माना जाता है, लेकिन घर घर शराब पहुंचा कर लोगों को दिन-रात हास्पिटलो की रास्ता दिखाने वाली यह सरकार इस बीमारू और पिछड़े हुए तबकों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचा पाती हो यह कह पाना मुश्किल है। यदि बाबा जी स्वास्थ्य मंत्रालय के जरिए गरीबों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को सफल तरीके से पहुंचा पाने में पूर्ण रूप से सफल हो भी पा रहे हो, तो यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना हर घर दारू पहुंचाओ का ही परिणाम है। संवैधानिक नियमों के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में उप मुख्यमंत्री का पद स्वीकृत नहीं है जिसके बावजूद टी एस सिंहदेव वर्तमान समय में उपमुख्यमंत्री है,जबकि पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी के द्वारा जारी किए गए जनघोषणा पत्र को बनाने वाले व्यक्ति भी उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव अर्थात बाबा जी ही थे। घोषणा पत्र में शराबबंदी की बात कही गई थी आज तक पूरा नहीं हो पाई है। चंद नामूरादो के शराब नहीं मिलने से हुई मौत को बहाना बनाते हुए सरकार शराबबंदी की अपने दावे से साफ मुकर गई जबकि आए दिन शराब पीने के चलते लोग बीमार हो रहे हैं और सीधे स्वर्ग सिधार रहे हैं। जब उपमुख्यमंत्री का पद संवैधानिक नियमों के विपरित जाकर भी सफल हो सकता है तो आखिरकार शराबबंदी यमराज का फरमान कैसे हो सकता है जो संभव ही नहीं हो सकता है।