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▪️यहा काय कका, रात दिन घपला च घपला ▪️

"छत्तीसगढ़ राज्य में खनिज न्यास मद की राशि को बाप दादा की जागीर समझ कर गटकने वाले लोग जल्द आयेंगे ईडी के राडार पर" दायर हुई हाईकोर्ट बिलासपुर में जनहित याचिका                         
रायपुर : किसी भी राजनीतिक पार्टी की सरकार के लिए जनता के मध्य इज्जत और सम्मान काफी मायने रखता है। वैसे भी जनता नेताओं के बढ़िया आचरण और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए ही सत्ता की चाबी इज्जत के साथ इनको सौंपती है। सत्ता की चाबी सौंपते बख्त जनता सरकार से यह उम्मीद रखती है कि वह उनकी उम्मीदों पर पानी ना फेरते हुए बाईज्जत तरीके से सौंपी गई चाबी का इस्तेमाल करें। ऐसे में चाबी रखने वाले राजनीतिक दल व सरकार की नैतिक जिम्मेदारी बनती है,कि वह जनता के द्वारा सौंपी गई चाबी का इस्तेमाल जनकल्याण के लिए बाईं इज्जत तरीके से करे। गौरतलब हो कि जनता के द्वारा सौंपी गई चाबी को इस्तेमाल करने के लिए एक सीमा समय संविधान निर्माताओं ने तय कर रखी है। लिहाजा इस तय सीमा के अंदर ही नेताओं को सत्ता की चाबी इस्तेमाल करने की छूट दी गई है। अतः समय रहते हुए ही इस चाबी का सार्थक इस्तेमाल करना किसी भी सरकार के लिए इज्जत और सम्मान दिलाने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती हैयदि चुनाव सर पर हो तब सरकार की यह भी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह ईमानदारी से चाबी का इस्तेमाल कंहा- कंहा,कब -कब,कैसे -कैसे,किस, किस-किस तरह और किसके- किसके लिए किया है। वह ईमानदारी से बताए। हवा हवाई और फर्जी आंकड़ों की झूठे आधार पर नहीं क्योंकि सत्ता की चाबी सौंपते बख्त जनता को ईश्वर ने यह वरदान देकर रखा है, कि इस चाबी का इस्तेमाल करने वाले लोग झूठ को पचा नहीं पायेंगे अर्थात सत्य एक ना दिन उजागर होगा और झूठ की पोल खोल देगी। अतः इससे जुड़ी हुई सभी जानकारी सरकार ईमानदारी पूर्वक जनता के मध्य रख दे "ताकि जनता के मध्य उनकी इज्जत और साख बनी रहे। यदि जनता के द्वारा सौंपी गई चाबी का इस्तेमाल सरकार के द्वारा जनहित से जुड़े हुए विकास कार्यों के लिए किया है, तो निश्चित रूप से इसका फायदा सरकार को आगामी चुनाव में प्राप्त होगा। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए,लेकिन यदि भूल से भी चाबी का इस्तेमाल निजी स्वार्थ सिद्धि प्रयोजन हेतू किया गया होगा, तब तो इज्जत पर दाग लगना जरूरी भी माना जा सकता है। अब इज्जत और साख किसी भी सरकार के लिए कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। यह बताने की आवश्यकता सरकार में मौजूद रहने वाले नेताओं को हरगिज नहीं होना चाहिए। क्योंकि बेइज्जत और साखहिन सरकार होने का दाग़ किसी भी सरकार और पार्टी के लिए कितना भयानक हो सकता है। इसे जानना और समझना हर सत्ता धारी राजनेताओं के लिए उतना ही जरूरी माना गया है जितना कि एक इंसान के लिए इज्जत और सम्मान जरूरी बताया जाता है। दरअसल इंसान का सबसे करीबी मित्र उसका स्वंय का छाया होता है,लेकिन यह छाया एक समय सोते वक्त भी इंसान का साथ छोड़ देता है, लेकिन इज्जत पर लगी हुई दाग इंसान को सोने के बाद भी परेशान करता है।इसलिए सत्ता की चाबी जनता से हथियाने से पहले हर राजनीतिक दल में मौजूद राजनेताओं  को स्वंय की राजनीतिक इच्छा पूर्ति के अलावा जनता की इच्छा पूर्ति सेवा भाव के जरिए कैसे की जाती है,यह सिख लेना चाहिए "ताकि  इज्जत और साख पर दाग ना लग सकें। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव तमाम राजनीतिक दलों के सर पर मंडरा रही है। इस बिच समूचे छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर केन्द्रीय जांच एजेंसियों की टीम प्रदेश में हुई कथित घोटालों को लेकर धर पकड़ से लेकर जांच पड़ताल करने में तबियत से भिड़े हुए देखे जा रहे हैं। एक ओर प्रदेश के कई बड़े नौकरशाह ईडी की जांच में फंसकर जेल की हवा खाने को तक मजबूर हो चले हैं "तो वंही दूसरी ओर कई दूसरे बड़े इज्जत और साख वाले लोगों की  इज्जत और साख कथित घपलों में मुरीयामेट होने की आशंका जताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में कोयला और शराब घोटाले की ED जाँच के बीच, बिलासपुर हाईकोर्ट में डीएमएफ यानी ज़िला खनिज फ़ाउंडेशन के घोटाले पर याचिका दायर किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। याचिकाकर्ता ने एक अनुमान के तहत बताया है कि पूरे छत्तीसगढ़ राज्य भर में लगभग इस सरकार में बैठे हुए जनता के द्वारा दिए गए चाबी को इस्तेमाल करने वाले नुमाइंदों ने 10 हजार करोड़ रुपए तक की घोटाले को अंजाम दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका पर केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और सी बी आई से तीन सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया है कि खनिज न्यास मद कार्यों में खुलेआम नियमों को ताक में रखकर नियमों की उलंघन किया गया है। डी एम एफ रूल्स 2015 के नियम 25 (3)12 (3) 12  (6) 12  (2) की अवहेलना की गई है। राज्य सरकार के लिए विधानसभा चुनाव से पूर्व लगने वाली कथित घपले की दाग को साफ करना जरूरी माना जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कथित घपलों की दाग को अपनी दामन से कैसे साफ करती है और अपनी सरकार को जनता के बीच किस तरह से पाक साबित करते हुए भरोसे की सरकार बताने में सफल होती है।

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