रायपुर: बिते कल की आधी रात तक हवन पूजन करने के बाद भाजपा हाईकमान ने तीन बड़े राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी मैदान में 60 भाजपाई राजनीतिक पहलवानों पर अंततः दांव लगा दिया है। इन 60 पहलवानों की राजनीतिक पहलवानी पर भाजपा को पूर्ण भरोसा है, जिसके चलते इनके नामों का चयन किया गया है। चयनित पहलवानों में मध्यप्रदेश के 230 विधानसभा क्षेत्र में से 39 विधानसभा क्षेत्र और छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा क्षेत्र के 21 विधानसभा क्षेत्र के पहलवान शामिल है।राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा ने जिन विधानसभा क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पहलवानों का चयन आगामी विधानसभा चुनाव के चुनावी घमासान हेतू किया है। उन्हें कई दौर पर पार्टी में पहलवानी की कोचिंग देने वाले पहलवानों ने जांचा व परखा है। अलग अलग चयन समितियों की अलग-अलग चयन प्रक्रियाओं से होकर गुजरा है,तब जाकर भारतीय जनता पार्टी ने इन पहलवानों पर दांव लगाने का जोखिम फैसला लिया है। कहने का मतलब यह है कि भाजपा पूर्ण रूप से अपने उम्मीदवारों को लेकर आश्वस्त है। अब जब भाजपा ने क्लियर कर दिया है "तब इन 60 भाजपाई पहलवानों को अपनी राजनीतिक नूराकुश्ती के दम पर अपनी और अपनी पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने की नैतिक जिम्मेदारी है। अतः सभी चयनित 60 राजनीतिक भाजपाई पहलवानों को यह समझना होगा कि जीत हासिल करना उनका मुख्य काम है। वंही पार्टी भी अपने चयनित सभी 60 पहलवानों से अच्छी पर्फामेंस की उम्मीद रख रही है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा चयनित इन पहलवानों का मुकाबला करने हेतू कांग्रेस पार्टी अपने किन किन राजनीतिक पहलवानों का इस्तेमाल कंहा-कंहा और किसके किसके खिलाफ कैसे कैसे करती है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के द्वारा घोषित कई विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। जिसमें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पारंपरिक सीट पाटन भी शामिल हैं। भाजपा ने पाटन विधानसभा सीट से आगामी विधानसभा चुनाव में सियासी पहलवान के तौर पर विजय बघेल को महारथी बनाया है, जबकि सामने वाला विरोधी पक्ष छत्तीसगढ़ राज्य के सियासी गलियारों में भीष्म पितामह के नाम पर जाना व पहचाना जाता है। ऐसे में भाजपा और विजय बघेल के लिए आगामी विधानसभा चुनाव मैदान किसी च्रकव्य्हू वाली रणभूमि से कम नहीं होगा।छत्तीसगढ़ के 21 विधानसभा क्षेत्र में 8 ओबीसी 11 अनुसुचित जनजाति, एक अनुसुचित जाति और एक सामान्य वर्ग से पहलवान शामिल है। पहली जारी सूची में 5 महिलाओं को स्थान दिया गया है। राजनीतिक दृष्टिकोण से तीन बड़े राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में आगामी विधानसभा भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। एक ओर जहां मध्यप्रदेश में भाजपा को सियासी किला में सेंधमारी से बचने हेतु कांग्रेस पार्टी से दो दो हाथ करना पड़ेगा तो वंही छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के नीचे सेसत्ता की कुर्सी राजनीतिक पहलवानी के दम पर हथियाना होगा। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकार आगामी विधानसभा चुनाव के दरमियान सियासी मैदान पर अपने पहलवानों को क्या राजनीतिक दांव-पेंच सिखा कर इस राजनीतिक लड़ाई को अपने नाम करती है। वैसे भारतीय राजनीति के अंदर भाजपा को चुनाव जितने का मशीन कहा जाता है।