बालोद : सूब्बे के अंदर मौजूद लगभग सभी राजनेताओं के सिर पर इन दिनों होने वाली आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भूत सवार हो चुकी है। कुछ नेताओं पर भूत का जबदस्त असर होने की बात कही जा रही है। बताया जाता है कि भूत ने इन नेताओं को इस तरह से जकड़ कर रख लिया है कि ज्यादातर नेता इन दिनों दिन भर हाय टिकट मुझे टिकट और किसी दूसरे को ना मिले टिकट यही बुदबुदाते हुए देखे जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव के दरमियान पंन्द्रह साल से भाजपा के सर पर चढ़कर तांडव करने वाली भूत को उतार कर कांग्रेस पार्टी ने अपने सर पर बिठा लिया था। फल स्वरूप कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल वाली मंत्री मंडल विगत साढ़े चार साल से इस भूत को धारण किए हुए समूचे प्रदेश में तांडव के साथ काम करते हुए निकाल लिया है। फिलहाल राज्य में कुछ दिन बाद फिर एक बार विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी एक फिर कांग्रेस पार्टी की सर पर बैठी हुई भूत को उतार कर अपने सर पर धारण करने की कोशिश में तबियत से जुटे हुए बताए जा रहे हैं। जिसके चलते क्या चौकीदार,क्या सिपेहसालार, क्या जमादार और क्या मददगार सबके सब छत्तीसगढ़ राज्य की पावन धरा की ओर भागे दौड़े चले आ रहे हैं। वंही दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी भी अपनी सर पर बैठी हुई भूत को भाजपाइयों के सर पर बिठाने से बचने के लिए सर पर घुमरी लगा कर घुमते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस बीच खबर यह भी प्राप्त हुई है कि भाजपा के अंदर मौजूद ज्यादातर फूल भैय्ये पार्टी पदाधिकारियों को स्थानीय कांग्रेसी नेताओं ने अपने रहमो-करम पर इस कदर दबा दिया है कि उनसे ना तो उनका विरोध करते हुए बन रहा है और ना ही पार्टी की इकबाल को बुलंद करते हुए बन रहा है।भाजपा की सत्ता जाने के बाद एक ओर कांग्रेस पार्टी की सत्ता सरकार के सामने भाजपा पूरी तरह से चित पड़ी हुई नजर आई है,लेकिन छतिसगढ़ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी अपनी राजनीतिक मर्यादा या फिर साख को बचाने हेतू लंबी सुस्ती से अचानक उठकर बिते कुछ माह से मैदान पर भूपेश बघेल सरकार के सामने खड़े होने की कोशिशें तेज करते हुए दिखाई दे रही है। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी के अंदर बड़े स्तर पर भारी बदलाव किए गए हैं। बदलाव का दौर आज भी जारी है, लेकिन बालोद जिला जंहा पर विगत दो पंचवर्षीय से भाजपा का पूरा कूनबा गायब है। वंहा पर जिला स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों में ज्यादा बदलाव लोगों को अबतक देखने नहीं मिला है। हालांकि की जिले में मौजूद बड़े भाजपाई नेताओं को प्रदेश संगठन में अहम जिम्मेदारी मिली हुई है,लेकिन प्रदेश संगठन के बड़े जिम्मेदारी संभाल रहे जिला के बड़े भाजपा नेता जिला संगठन को लेकर ज्यादा उत्साहित नजर नहीं लग रहे है। जिसके चलते जिला के अंदर पार्टी की स्थिति सत्ताधारी राजनीतिक दल से भी गए बीते हुए माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो भाजपा की राजनीतिक जमीन पूरी तरह कांग्रेस पार्टी की इशारे पर संचालित हो रही है। सियासी मैदान में मौजूद ज्यादातर भाजपाई पहलवान स्थानीय कांग्रेसी विधायकों के रहमो करम पर चांदी कांटने की खबर है।
युवा मोर्चा अध्यक्ष से लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष के नाम पर लोगों के मध्य काना फूसी।
बालोद जिला अंतर्गत संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे कृष्णकांत पवार (के सी भाऊ) विगत कई वर्षो से जिला में भारतीय जनता पार्टी की इकबाल को बुलंद करते हुए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। हालांकि के सी भाऊ के पूरे कार्यकाल के दौरान जिला के तीनों विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ज्यादा कुछ बेहतर नहीं कर पाई है। बावजूद इसके के सी भाऊ पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के पसंदीदा जिला अध्यक्ष बने हुए हैं। निश्चित रूप से के सी भाऊ एक जिम्मेदार व्यक्ति के साथ बेहतरीन पथ प्रदर्शक मानें जाते हैं, लेकिन राजनीति में किसी भी राजनेता के लिए पर्फार्मेंस मायने रखता है। अब देखना यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में के सी भाऊ पार्टी का फायदा किस तरह से उठाती है।
जिला में भाजपा युवा मोर्चा आदित्य पिपरे की निष्क्रियता को लेकर भी काफी लंबे समय से चर्चा का बाजार गर्म है। किसी भी राजनीतिक दल और राष्ट्र की शक्ति युवाओं को माना गया है। लगभग हर राजनीतिक दल के अंदर युवाओं का एक अलग महत्व और मुकाम होता है।जिसके चलते हर राजनीतिक दल अपने युवा नेताओं को अहम भूमिका और जिम्मेदारी सौंपता है, लेकिन जिला के अंदर भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष आदित्य पिपरे को लेकर पार्टी के युवा कार्यकर्ता खुश नहीं हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के लिए आगे आने वाला समय मुश्किल से भरा हो सकता है।

