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मोहब्बत के दुकानदारों की बनियागिरी का सच।

रायपुर : नफरत के बाजार में बिते साढ़े चार बरस से मोहब्बत की दुकानदारी चलाने का दम भरने वाले माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य की सत्ता पर दोबारा वापसी करने हेतू कड़ी मेहनत करते हुए खूब हाथ पैर चला रही है। बिलकुल ठीक उसी तरह जिस प्रकार मानसून आने के ठीक पहले एक किसान आषाढ़ की बदरी धूप में बांवत बोने हेतू नांगर चलाता है, यह सोचकर कि इस साल उनकी फसल बढ़िया होगी माटी पुत्र भूपेश बघेल भी इस बख्त राज्य की सियासी सरजमीं पर इसी तरह मेहनत करते हुए दिखाई दे रहे हैं,
लेकिन विडंबना यह है कि उनके ही पार्टी के कुछ विधायक और मंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा किए जा रहे मेहनत को मुरियामेट करते हुए मोहब्बत की दुकानदारी के आड़ में बनियागिरी करते हुए दिखाई दिए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। ऐसे में लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि बनियागिरी झाड़ने वाले सत्ताधारी अंहकारी नेताओं को मोहब्बत की दुकानदारी चलाने से पहले मोहब्बत की परिभाषा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और भगवान गौतम बुद्ध की विचारों से सिख लेना चाहिए ताकि जनता के मध्य उनकी दुकानदारी बढ़िया चल सकें। जिन्हें मोहब्बत की परिभाषा ज्ञात नहीं है ऐसे बनिया लोगों को कांग्रेस पार्टी ने नफरत के बाजार में दुकानदारी चलाने का ठेंका आंबटित कर रखा है यह चिंतन का विषय है।
ऐसे में माटी पुत्र भूपेश बघेल की आगामी फसल को लेकर कयास यह लगाए जा रहे है कि उनकी फसल इस बार कई जगहों पर माहू के प्रकोप से घिरे रह सकते हैं।

संत कबीर दास कहते हैं कि कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,

ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर।

कांग्रेस पार्टी और माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की चाह होगा कि जैसे भी हो आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की जीत हो,क्योंकि यदि भूल से जीत का सेहरा भाजपा के सर बंध गया तो यह माना जा सकता है कि आगे आने वाले दिन कांग्रेसी नेताओं के लिए ज्यादा अच्छे दिन छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर भूल से भी नहीं होगी। राजनीतिक नजरिए से देखा जाए तो माटी पुत्र भूपेश बघेल की सरकार ने छत्तीसगढ़ राज्य की सरजंमी पर विकास के फसल उगाने का प्रयास बहुत अच्छे से किया है लेकिन शराब के मदहोशी में किए जाने वाले प्रयासों को लेकर समाज सदैव सवाल खड़े करता रहा है लिहाजा माटी पुत्र भूपेश बघेल सरकार की ओर से किए गए प्रयासों पर सवाल उठाया जा सकता है। इसमें सरकार को आगे बढ़ कर जवाब प्रस्तुत करना चाहिए ना कि सवालों से बचकर निकलने के चक्कर में सवाल खड़े करने वाले पत्रकारों को अगवा करने की मंशा और जेल भेजने का विचारधारा प्रस्तुत करना चाहिए। राजनीतिक तौर पर इस तरह की विचार राजनीति में घटिया मानसिकता के शिकार हो चुके टूच्चे नेता लोग अपनाते हैं। जिन्हें आमतौर पर आम जनता सत्ता सरकार के दम पर मोहब्बत की दुकानदारी के आड़ में बनियागिरी झाड़ने वाले सफेदपोश के तौर पर जानते हैं। नाम सुनकर जिसके प्रति भय हो उसे सभ्य समाज भेड़िया भी कहते हैं।

वैसे हाल के दिनों में खबर आई है कि कांग्रेस विधानसभा टिकट के लायक दावेदारों को पहले से संकेत दे देगी ताकि वो चुनाव तैयारियों में लग जाए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार सर्वे करा रहे हैं और जिन विधायकों का परर्फार्मेंस ठीक नहीं है उन्हें वस्तु स्थिति की जानकारी भी दे रहे हैं ताकि वो समय रहते स्थिति में सुधार कर सके। हल्ला है कि 30 से अधिक विधायकों के परफार्मेंस को कमजोर माना गया है कई जगहों पर भेड़िया जैसी स्थिति भी देखने को मिल रही है। जिसे देखकर यह भी कहा कहा जा रहा है कि कमजोर परफार्मेंस वाले विधायकों की जगह नए चेहरों को आगे करने से फायदा भी हो सकता है। वंही भारतीय जनता पार्टी की स्थिति पिछले विधानसभा चुनाव में करारी हार होने के बाद से लगातार सुधरने की बजाए बिगड़ती हुई देखी जा रही है। ऐसे में कयास यह लगाई जा रही है कि माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी छत्तिसगढ़ राज्य में दोबारा सरकार बन सकती है। इसलिए माटी पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खराब परफार्मेंस वाले विधायको और मंत्रियो की दशा और दिशा सुधारने की नियत लिए अपने साथ मिडिया के सवाल जवाब में खड़ा कर रहे हैं ताकि समय रहते हुए स्थिति में सुधार किया जा सके। वैसे देखा जाए तो भूपेश बघेल की सरकार ने दोबारा सत्ता में काबिज होने के लिए पूरे राज्य में कई बेहतरीन योजनाओं को फलीभूत करने में सफलता अर्जित किया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में सब कुछ ठीक ही हुआ है। यह सर्व विदित है कि राज्य के अंदर ऐसे कई विधानसभा क्षेत्र है जहां पर मौजूद सत्ताधारी पार्टी के मंत्री और विधायकों का प्रदर्शन आम जनता के मध्य सट्टाधारी खाईवाल बन कर कांग्रेस पार्टी की मुंह में बुरी तरह से कालिख पोत दिया है। जिसके चलते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस पार्टी की सोच और विचार को गहरा आघात पहुंचा है साथ ही कांग्रेस पार्टी के द्वारा खोली जा रही या फिर खोली गई मोहब्बत की दुकान का सच भी उजागर हो रहा है।

निश्चित रूप से यह सरकार में रहने वाले विधायक और मंत्री का काम लोगों की घरों में लगी हुई आग को पानी डालकर बुझाना होता है,लेकिन लोगों का मानना है कि छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर मौजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार में शामिल कुछ मंत्री और विधायकों ने घाव में मरहम लगाने के बजाए नमक रगड़ने का काम के साथ आग में पानी डालने की बजाए मू... का काम किया है। किसी भी सभ्य समाज में मौजूद राजनीतिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले लोगों की एक मर्यादा होती है जिसके आधार पर जनता सरकार की अनुभूति को महसूस करती है लेकिन जिस तरह से मर्यादा का बखान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार में शामिल मंत्री और विधायक करते हुए दिखाई देते हैं। शायद उसे देखकर भांचा भगवान श्री राम चन्द्र भी शर्मा जाते होंगे।

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