खबर की शुरुआत करने से पहले दुनिया के मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब की मशहूर शायरी अर्ज फरमाईयेगा ....अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दूस्तान थोड़ी है
बालोद : भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था वाला देश माना जाता है, लेकिन यह भी सत्य है कि भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था की मजबूत बुनियादी ढांचा को हमारी घटिया विधारधारा और स्वार्थ सिद्धि प्रयोजन ने बुरी तरह से खडित कर रखा है। अब सवाल यह उठता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूत बुनियादि ढांचा को बुरी तरह से घंडित करने वाले लोग कौन हैं। चूंकि लोकतंत्र की बुनियादी ढांचा को घंडित करना कोई ऐरा गेरा नत्थू खैरा या गब्बर सिंह जैसे मामूली लोगों का काम नहीं हो सकता है,क्योंकि इस ढांचा की सुरक्षा में अमूमन रूप से देश के हर वो बड़े ताकत लगे हुए हैं जिनका नाम सुनकर अच्छे अच्छे बुनियाद को कमजोर करने वाले लोगों की पसीना निकल जाता है। प्रधानमंत्री से लेकर देश के तमाम सफेद वर्दीधारी मंत्री जिसमें सांसद विधायक मुख्यमंत्री और लगभग हर स्तर के जनप्रतिनिधि शामिल है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के जज से लेकर तहसील आफिस में दिखाई देने वाले चपरासी सहित लगभग सभी कलेक्टर और तमाम सरकारी सिस्टम का हिस्सा माने जाने वाले अधिकारी और कर्मचारी ऊपर से दूध को पानी और गंगाजल को शराब बताने वाले ज्यादातर हमारे कमलधारी भाईयों की फौज सबके सब भारत की लोकतंत्र को मजबूत बनाएं रखने हेतू ईमानदारी से काम कर रहे हैं। जिसके बावजूद यदि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था की मजबूत ढांचा की बुनियाद कमजोरी की बात कही जा रही है। यह निश्चित रूप से यह एक बड़ा चिंता का विषय है लेकिन हैरानी की बात यह है कि आखिरकार इतनी मजबूत सुरक्षा कवच होने के बाद क्या यह संभव है। यकिन मानिए यह संभव नहीं हो सकता है लेकिन हो रहा है यह भारत की मजबूत लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। देश के पूर्व राष्ट्रपति मिशाइल मैन डॉ अब्दुल कलाम ने बिका हुआ पत्रकार डरा हुआ विपक्ष और मुर्दा आवाम तीनों लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता लगातार कह रहे हैं कि लोकतंत्र खतरा में है जबकि देश के अंदर मौजूद ज्यादातर मिडिया संस्थान देश की कमान सुरक्षित हाथों में होने की बात कह रहे हैं। कांग्रेस पार्टी सहित कई विपक्षी राजनीतिक दलों की मानें तो देश के अंदर गोदी मिडिया का दौर चल रहा है। जिसके दम पर सत्ता पक्ष में मौजूद लोग विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास करते है। कई दफ्फा राहुल गांधी खुलेआम कई मिडिया संस्थानो को गोदी मिडिया कहते हुए संबोधित करते हुए दिखाई दिए हैं। ऐसे में जूम्मा जूम्मा कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ राज्य की सियासी सरजमीं पर मौजूद संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगर पंचायत गुरूर में भारतीय जनता पार्टी की ओर से एक बड़ा धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया था।इस मामले को लेकर चर्चा का विषय इस कदर गरमाया हुआ है कि इस मामले को लेकर तपन बढ़ गई है। लोगों की मानें तो जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस धरना प्रदर्शन को लेकर उत्साहित दिखाई दिए थे। उस तरह की उत्साह अखबारों में लोगों को दिखाई नहीं दिया है। मामले को लेकर आम जनता के मध्य यह चर्चा है कि जिला में मौजूद ज्यादातर कलमधारी भाई लोग सरकार के इशारे पर आम जनता को वहीं खबर परोस रही है जो सरकार परोसवाना चाहती है। ऐसे में आम जन मानस और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है। चूंकि पत्रकारिता का एक उसूल होता है जिसके अनुसार खबर वहीं होता है जो छुपाया जा रहा हो अब ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की नेताओं द्वारा कही गई बातों को ही यदि छुपा दिया जाए तब गोदी मिडिया की आवाज जनता के मुंह निकलना स्वाभाविक है। बहरहाल मिडिया में भारतीय जनता पार्टी के द्वारा किए गए इस धरना प्रदर्शन की सत्यता को उचित ढंग से प्रस्तुत नहीं करने के चलते जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है।