सरकारी घांस भूमि में अवैध कब्जा करने को लेकर जिला में मची लूटमलुट। राजस्व अमला पड़ी हुई है बेसूध।
बालोद : मानव सभ्यता के इतिहास में दर्ज पन्नों में लड़ाई, झगड़े व फसाद की तीन मुख्य जड़ व कारण बताये गए है। जोरू, जर,और जमीन, यदि किसी व्यक्ति भूल से भी अपने खुद के इन तीन चीजों के अलावा दूसरों की इन तीन चीजों पर हक जताने की कोशिश करता है, तब तब लड़ाई झगड़ा,और फसाद सहित बवाल वाली स्थिति निर्मित होती है। छत्तीसगढ़ राज्य में जल,जंगल, जमीन, को लेकर लड़ाई झगड़ा व फसाद एक आम बात है। यह विवाद मानव सभ्यता के इतिहास में दर्ज पन्नों में कहें गए तीन चीजों से मेल खाते हैं। अतः अधिकांश लोग अपने इन तीन अधिकारों को लेकर मची बवाल पर रोजाना कोर्ट और कचहरी के चक्कर काटते हुए देखे जाते हैं। लेकिन कई जगहों पर सरकारी जमीन को नियतचोटा लोग लावारिस और बेल उज्जर सहित सार्वजनिक माल समझ कर लूट रहे है। उस पर बेजा कब्जा करते हुए अधिकार जमा रहे है,जैसे बाप का माल हो, लेकिन जिसका यह माल है, वह क्यों नियतचोटा लोगों के द्वारा अपनी संपत्ति को लूटते हुए देख खामोश है यह समझ के परे है। दरअसल हम बात सरकारी जमीनों की कर रहे हैं। अतः सरकारी जमीनों की लूट का असल जिम्मेदार सरकार को माना जायेगा। चूंकि सरकार ने हर जगह सरकारी कार्यो की देखभाल व सूरक्षा हेतू एवं जनता से जुड़े हुए तमाम कार्यों को पूरा करने हेतू अधिकारी और कर्मचारी हर स्तर पर तैनात कर रखे हैं। इसलिए सरकारी संपत्ति की रक्षा करना सरकार के द्वारा तैनात किए गए अधिकारियों और कर्मचारियों की नैतिक जिम्मेदारी है। ऐसे में यदि सरकारी जमीन पर नियतचोटा लोगों की बेजा कब्जा होता है और उस चोटिए पर सरकारी मुलाजिमें खामोश रहते हैं। तब तो इसे दाल में काला माना जाता सकता है। ऐसे में निश्चित रूप से सरकारी मुलाजिमों की नैतिक जिम्मेदारी पर सवाल उठना लाजिमी है। दरअसल बालोद जिला के गुरूर तहसील क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सांगली में पिछले कई दिनों से ग्रामीण शासकीय भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। कब्जा करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगभग 100 बताई जा रही है। कुछ लोगों ने अवैध तरीके से किए गए शासकीय भूमि पर मकान भी बना लिया है वंही कुछ लोग अब मकान बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। ग्राम पंचायत सरपंच की मानें तो ग्रामीण अपने मन मर्जी से इस कार्य को अमलीजामा पहनाने पर तुले हुए हैं। सरकारी घांस भूमि पर कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ ग्राम पंचायत सांगली जल्द राज्स्व विभाग के अधिकारियों को शिकायत करेगी। जिला के गुरूर तहसील क्षेत्र अंतर्गत सरकारी भूमि पर रसूखदार ग्रामीणों के द्वारा अवैध कब्जा कर लेने की यह पहला मामला नहीं है।
इससे पहले चिटौद, पलारी,पुरूर, जैसे गांवों में इस तरह से सरकारी जमीनों को लोगों ने अवैध तरीके से कब्जा कर लिया है। तहसील क्षेत्र अंतर्गत ऐसे कई ग्राम पंचायत है जंहा पर इस तरह की स्थिति आम बात बन कर रह गई है। हैरानी की बात यह है कि गुरूर तहसील क्षेत्र में पदस्थ रहने वाले राजस्व विभाग के अधिकारी शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा से संबंधित विषयों पर नियम पूर्वक कार्यवाही करने के बजाए लेट लतीफी करते हैं जिसके चलते इस तरह से कार्यों को करने वाले लोगों को बढ़ावा मिलता है। हद तो तब हो जाती है जब अधिकारियों की इस रवैए के कारण नियतचोटा लोग सरकारी भूमि को बाप का माल समझ कर बेंच खा रहे हैं। तहसील क्षेत्र अंतर्गत ऐसे कई ग्राम पंचायत है जंहा पर सरकारी आबादी जमीन की खरीद-फरोख्त खुलेआम गुरूर तहसील कार्यालय में बैठे नोटरी करने वाले लोग कर रहे जबकि तहसील मुख्यालय में पदस्थ नौकरशाहो को इसकी जरा सा भी भनक नहीं। कुछ दिन पहले मामले को लेकर गुरूर एस डी एम गंगाधर वाहिले को हमारे द्वारा अवगत कराने का प्रयास किया गया तो एस डी एम साहब मामले की गंभीरता को उल्टा समझते हुए राजस्व विभाग की लापरवाही पर पल्ला छाड़ते हुए दिखाई दिए जबकि राजस्व विभाग गांव गांव में राजस्व संबंधी मामलों की देखभाल व सूरक्षा हेतू कोतवाल और ग्राम पटेल, पटवारी,आर आई नयाब तहसील दार तहसीलदार भूमिका तय कर रखे हुए हैं। जिसके बावजूद ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में लगातार सरकारी जमीनों की फर्जी खरीद बिक्री हो रही है। आज के वर्तमान दौर में बढ़ती जनसंख्या के लिए रहने और कृषि लायक जमीन दिनों-दिन कम हो रही है। ऐसे में राजस्व विभाग में बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों को सोने के दुकान पर बैठकर सोना तौलने वाले सुनार के माफिक बैठ कर जमीन की खरीद-फरोख्त करना चाहिए ताकि बिचौलियों को फायदा होने के बजाए सरकार को फायदा हो सके।