बिलासपुर : बिते कुछ वर्षों के दौरान से लगातार छत्तिसगढ़ राज्य की पुलिस महकमा में पदस्थ जवानों की अमानवीय चेहरा समाज के मध्य बार बार ऐसे प्रस्तुत हो रहे हैं। मानो विभाग में अमानवीय चरित्र वाले जवानों की ही भरमार है। वैसे पुलिस महकमा के अंदर भी सेना की तरह विभागीय नियम काफी तगड़ा माना जाता है, लेकिन पुलिस विभाग में इन नियमों का पालन यदि भूल से भी हो जाए तो क्या कहने लोग शायद महकमा में पदस्थ पुलिस वाले अधिकारी और कर्मचारियों को देखकर लोग सैल्यूट करते हुए दिखाई देते हुए नजर आयेंगे जैसे आज सेना में पदस्थ जवानों को देखकर आमतौर पर लोगों के द्वारा सैल्यूट किया जाता है। विडंबना यह है कि आज देश में लगभग सभी राज्यों के अंदर मौजूद पुलिस महकमा में पदस्थ सभी जवान समाज सेवक की भूमिका में कम और जनसेवकों की सेवा और चाकरी करने हेतू बदनाम हो चुके है। लिहाजा लोग पुलिस की व्यवहारो से भयभीत हो रही है, जबकि पुलिस प्रशासन की स्थापना समाज में धर्म की स्थापना हेतू की गई है। यह सवा आना सत्य है कि सत्ता धारी राजनीतिक दल के सरकारों ने पुलिस का बेजा इस्तेमाल किया है। जिसके चलते आज के वर्तमान परिदृश्य में पुलिस महकमा को लेकर लोगों के मध्य विचार ज्यादा कुछ अच्छे नहीं हैं। शायद इसलिए देश के एक विद्वान बुद्धिजीवी ने एक दफा कहा था कि यदि हम पुलिस महकमा को गूंडो का गिरोह कहे तो कुछ ग़लत नहीं होगा। हालांकि देश में कानून व्यवस्था जैसे अहम जिम्मेदारी को संम्हालने के लिए और समाज में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए देश के अंदर पुलिस महकमा ही एक मात्र यही विकल्प है। अब सवाल यह है कि पुलिस महकमा अपनी जिम्मेदारीयो को निभाने हेतू क्या प्रयास करती है और अपने ऊपर लग रहे आरोपों का कैसे जवाब देती है, क्योंकि पुलिस महकमा पर हर जगह सवाल खड़े किए जाते हैं। इसी तरह की सवालत कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ राज्य के न्यायधानी बिलासपुर की पवित्र भूमि पर स्थित धर्मनगरी रतनपुर में भी कुछ दिन पहले उठते हुए दिखाई दिया था। मामले में पुलिस थाने में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारियों पर एक रेप पीड़िता की मां पर पास्को एक्ट के तहत काउंटर केस बनाए जाने को लेकर बवाल मच गया था। हालांकि रेप पीड़िता युवती की मां को उक्त मामले में कोर्ट से जमानत मिल गई है। दरअसल मामले में पुलिस ने रेप पीड़िता की मां पर नाबालिग युवक से यौन उत्पीडन का मामला दर्ज कर लिया था जबकि मामले में समझौता करने हेतू भारी दबाव बनाए जाने की सूचना है। मामले को लेकर स्थानीय पुलिस शुरू से संदेह के दायरे में नजर आ रही थी। लिहाजा बवाल मचना स्वाभाविक था। इससे पहले बिरनपुर में इस तरह की घटना घट चुकी थी। घटना के बाद हिन्दू संगठन काफी एक्टिव हो गये थे। वो तो गनिमत रही की ऐन वक्त पर पुलिस महकमा ने मोर्चा संभाल लिया, लेकिन घटना में इस तरह की मोड़ आने की वजह क्या रही यह एक बड़ा सवाल है,क्योंकि इसी सवाल के पिछे धर्म नगरी में अर्धम की शुरुआत हुई थी। मामले को लेकर पुलिस प्रशासन के द्वारा संबंधित क्षेत्र से जुड़े हुए थानेदार को संस्पेंड करने की एवं एस डी ओ पी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। घटना के बाद से लगातार विभिन्न संगठनों की ओर से जिम्मेदार पुलिस अधिकारीयों और कर्मचारियों पर कार्यवाही करने का दबाव महकमा पर बन रहा था। जिसे देखते हुए पुलिस अधीक्षक द्वारा जांच कमेटी गठित किया था कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही की गई है।