जामवाल ने फूंका चुनावी बिगुल, लेकिन अंदरूनी कलह चिंता का विषय
बालोद: विधानसभा चुनाव में महज 6 महीने से कम समय बचा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ही प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी ने जोरशोर से तैयारी शुरु कर दी है। एक ओर कांग्रेस पार्टी के जूझारू नेताओं और कार्यकर्ताओं की जत्था अब लोगों से मिलने उनके घरों तक पहुंचना शुरू कर दिया है तो वंही जिला में मौजूद भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने अपने पसंदीदा नेताओं की इशारे पर टिके हुए बाट जोहते हुए नजर आ रहे है।यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला में भारतीय जनता पार्टी आपसी मतभेदों और गुटबाजी के चलते बिते कुछ वर्षों से हासिए पर पहुंच चुकी है। यदि भारतीय जनता पार्टी के अंदर आपसी गुटबाजी और तालमेल की कमी नहीं होती तो कांग्रेस पार्टी के स्थानीय विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते। वर्तमान समय के दौरान भी स्थिति ज्यादा कुछ अच्छा नहीं बताई गई रही है। ज्यादातर भाजपा के बड़े नेता युवा नेताओं को दरकिनार करते हुए आज भी मनमर्जी से राजनीतिक रोटियां सेंकने में माहिर बताए जा रहे हैं। चूंकि आगे आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की नेताओं का आपसी गुटबाजी कंही पुनः पार्टी की लूटिया डूबा ना दें। हैरानी की बात यह है कि कभी गुटबाजी के लिए बदनाम रही कांग्रेस से ज्यादा खराब हालात अब जिला भाजपा की हैं जबकि सत्ता संर्घष जैसी कोई स्थिति नहीं है। भाजपा जिला के तीनों विधानसभा में विपक्ष की भूमिका में हैं।
बावजूद इसके बीजेपी नेताओ के न सिर्फ अलग-अलग गुट बन गए हैं, बल्कि शीर्ष नेताओं द्वारा चलाए जा रहे खेमों के बीच की लड़ाई पूरे उफान पर देखें जाते हैं। जरा सी भी हवा लगी तो उफान भाजपा के अंदरूनी गलियारों से निकल कर सड़क पर आ जायेगी। बहरहाल जिले में 3 विधानसभा सीट हैं, यहां की तीनो सीटों पर भाजपा कई गुटो में बटी हुवी है यह साफ हो चुकी है। इस बिच भाजपा का 30 मई से जनसंपर्क अभियान शुरू हो रहा है।ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, पार्टी के बड़े नेताओं का आपस में ही संपर्क नहीं, तो वो जनसंपर्क कैसे करेंगे। चूंकि बैगर जनसंपर्क के भाजपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव कठिन चुनौती साबित होगी ऐसे में बालोद जिले में मौजूद भाजपा नेताओं को आपस में बैठकर सुलह करना उचित होगा।