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बोर्ड परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले मेधावी छात्रों के नाम पर वाहवाही लुटाने का सिलसिला निरंतर जारी है।

बालोद : एक कहावत आप सब ने सुना होंगा,अंडा दे मुर्गी और खा जांए फकीर। कहने का मतलब स्पष्ट है कि मेहनत कोई दूसरा करें और वाहवाही बटोरे बगल में बैठे दूसरा लगवार। जैसा कि हम सब को पता है कि बिते दिनों छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के द्वारा आयोजित 10वी कक्षा और 12 वी कक्षा के बोर्ड परीक्षा परिणाम माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड ने घोषित किया है। माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड द्वारा आयोजित कक्षा 10वी और कक्षा 12वी में सफलता प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को लगातार बधाई और शुभकामनाएं देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। बधाई देने वाले लोगों में से क्या नेता, क्या अधिकारी, क्या मुलाजिम और क्या पदाधिकारी सब के सब शामिल हैं। यह नजारा छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला के अंदर भी लगातार देखा जा रहा है। चूंकि जिले में चार होनहार बच्चों ने माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड के परीक्षा परिणाम में जिला का नाम रोशन किया है। इन चार बच्चों ने ना सिर्फ अपनी मां, बाप स्कूल एवं शिक्षको का नाम रोशन किया है,बल्कि जिले के भी नाम को पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में गौरवान्वित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। इन बच्चों के बेजोड़ मेहनत की बेहतरीन परिणाम पर शासन, प्रशासन और स्थानीय नेता जमकर खुशीयां मना रहे हैं। निश्चित रूप से यह एक बड़ी खुशी की बात है और इसमें सभी बालोद जिलावासियों को खुशी मनाने का अधिकार है। कुल मिलाकर देखा जाए तो पूरे जिला भर में इन बच्चों की कामयाबी देख लगभग हर जिलावासी उत्साहित और खुशी के मारे गदगद हो चुके है। इस बीच बोर्ड परीक्षा में बेहतरीन तरीके से सफलता दर्ज करने वाले बच्चों की कामयाबी का श्रेय लेने की होड़ देखने को भी मिल रही है। लगातार जिला में मौजूद स्थानीय नेताओं के द्वारा इन बच्चों की कामयाबी को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। वैसे भी दूसरों की कामयाबी में श्रेय लेने की आदत नेताओं में अक्सर पाई जाती है ऐसा माना जाता है। अतः श्रेय लेने वाले लोगों के लाइन में ज्यादातर नेता ही खड़े नजर आ रहे हैं, हालांकि जिला प्रशासन बालोद ने भी श्रेय लेने की होड़ में अपनी मौजूदगी दर्शाने में कोई कमी नहीं कर रखी बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता अपनी डफली अपना राग बजाते हुए देखे जा रहे हैं। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा कर दिया था कि 10वी कक्षा और 12 वी कक्षा में उच्छे अंक लाने वाले मेधावी छात्रों को हेलीकॉप्टर में सैर सपाटा करने का मौका मिलेगा। ऐसे में जाहिर सी बात है सत्ताधारी पार्टी के नेता इस मौके पर अपना चेहरा भी चमकाना चाहेंगे क्योंकि आगे आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव है, लेकिन चेहरा चमकाने के चक्कर में बालोद जिले में मौजूद सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने एक बड़ी गलती को अंजाम दिए जाने की सूचना है। दरअसल बालोद जिला के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र डौंडी विकासखंड के शासिकय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोटागांव के कक्षा 12वी विज्ञान संकाय के विद्यार्थी बलवीर तारम जिन्होंने 95.40 प्रतिशत अंक हासिल कर पूरे राज्य भर में प्रविण्य सूची में दसवां स्थान अर्जित किया है। उसे बिते दिन बांकी बच्चों के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात करने का मौका नहीं मिला है। जिला में मौजूद बांकी मेधावी छात्रों को संजारी बालोद विधानसभा विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कराने हेतू लेकर गई थी लेकिन आदिवासी समुदाय से जुड़े हुए बलवीर तराम को छोड़ दिया गया।
इस तरह से एक आदिवासी होनहार छात्र के साथ भेदभाव वाली रवैया क्यों अपनाया गया है इसकी जानकारी अब तक नहीं आई है, लेकिन लोगों की मानें तो डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र होने के चलते इस आदिवासी बालक के साथ इस तरह की राजनीति को अंजाम दिया गया है। चूंकि डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र राज्य के महिला बाल विकास विभाग व समाज कल्याण विभाग मंत्री अनिला भेड़िया की है। अतः संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र से जुड़े हुए मेधावी छात्रों को सीएम से मिलने उनके दर तक पहुंचाना उचित समझा है।

anutrickz

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