🛑 ढेबर के दारू टूटेजा के चखना,2 हजार करोड़ खा गे नंन्दू के लइका अऊ फोकट में गारी खावै कवासी लखमा 🛑
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की प्राकृतिक सुंदरता किसी से छुपी हुई नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि हर खूबसूरती के पीछे एक भयानक सच भी छुपा होता है! बहरहाल पूरी दुनिया छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजंमी को एक गरीब और पिछड़ा हुआ राज्य के तौर पर देखते हुए आ रहे हैं!
हालांकि इस राज्य की धरती पर अकूत खनिज संपदा का भंडार कुट कुट कर भरा पड़ा हुआ मौजूद है! लोगों की मानें यदि कुट कुट कर भरी हुई इस अकूत खनिज संपदा का इस्तेमाल सूब्बे में निवासरत गरीबों की ग़रीबी मिटाने के लिए किया जाए तो गरीबों की संख्या कम जायेगी, लेकिन इस धरती पर मौजूद खनिज संपदा की भंडार कम नहीं हो सकती है! विडंबना यह है,कि अबतक इस अमीर धरती पर मौजूद कई खनिज संपदा की भंडार खत्म किए जा चुके है,जिसके बावजूद पूरे राज्य भर में मौजूद गरीबों की ग़रीबी खत्म होने की नाम तक नहीं ले रही है! आलम यह है कि गरीबों के मध्य गरीबी के हालत में धन्ना सेठ और नेता दिनों दिन पैसा कमा रहे हैं और दिनों दिन अमीर बन रहे हैं,जबकि गरीब अपने किस्मत को कोसते हुए सिर्फ आंसू पोंछते हुए देखे जा रहे हैं! वंही राज्य में गरीबों के चुने हुए ज्यादातर जनप्रतिनिधि करोड़ पति बताएं जाते हैं! इन करोड़पति जनप्रतिनिधियों में से कुछ लोगों ने तो,बकायदा इतिहास रचते हुए पूरे राज्य भर में जगह जगह मौजूद कचरा फेंकने की अड्डा तक को पैसा कमाने का जरिया बना रखा है,लेकिन गरीबों की ग़रीबी दूर करने हेतू हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधियों की ओर से अबतक कोई माकूल कदम आगे नहीं बढ़ाया जा सका है! अलबत्ता छत्तीसगढ़ राज्य आज पिछड़ेपन की भयानक शिकार होने के बावजूद अपने अंदाज में धीरे-धीरे ही सही लेकिन आगे बढ़ रही है। शायद इसलिए यंहा पर निवास करने वाले लगभग पौने तीन करोड़ प्रदेशवासियों को अमीर धरती पर बसने वाले गरीबीनिन छत्तीसगढ़ महतारी के बेटे बेटियों के रूप में सभी पहचानते हैं! निश्चित रूप से पिछड़ेपन का दंश खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य के लिए माथे पर लगी हुई एक कंलग के समान है। हैरानी की बात यह है कि राज्य की सरजंमी पर राज करने वाले हमारे चुने हुए नेताओं ने इस कंलग को धोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया है, सिवाय अपनी तिजोरियों को भरने के अलावा और अपनी अमीरी की भुख को मिटाने के अलावा। इससे ना सिर्फ राजकीय कोष को भयंकर तरीके से नुकसान पहुंच रहा है अपितु सरकारी कर्ज का बोझ भी लगातार बढ़ रहा है! ऐसे में गरीबी और पिछड़ेपन की शिकार इस राज्य के लिए उबर पाना इतना आसान नजर नहीं आ रहा है! चिंता की बात यह है कि गरीब जनता नेताओं के झूठे वायदों पर आखिरकार कब तक भरोसा और विश्वास करती रहेगी, जबकि यही चुने हुए नेता सिर्फ अपनी तिजोरियां भरने में ही मसगूल रहते हैं! जब से छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है! तब से हमारे चुने हुए नेताओं ने अपने मुखारविंदो से अनेक घपले-घोटाले और धांधली की बात कह रखें है! कोई नेता यह कहता है कि फलां नेता ने इतने करोड़ रुपए का वारा-न्यारा कर लिया है,तो वंही दूसरे नेता अपने ऊपर लगाए गए इस आरोप का जवाब देते हुए हर दुसरे नेता को बड़े घोटाले और घपलेबाज बताते हुए देखा गया है! जबकि हकीकत के धरातल में जो मंजर इस वक्त पूरे राज्य भर में पसरा हुआ है वह किसी से छुपा नहीं हुआ है। ऐसे में कई सवाल लोगों के मन में उमड़ उमड़ कर उठ खड़े हो रहे हैं और उमड़ उमड़ कर खड़े होने वाले सवालों का जवाब जरूरी माना गया है! आखिरकार बड़े बड़े घपले-घोटाले और धांधली की बात सिर्फ नेताओं के मुंह पर ही क्यों? नेताओं के चिख चिख कर चिल्लाने से कोई घपले और घोटाले उजागर होता क्या बजाए जांच पड़ताल की, क्या राज्य के अंदर सरकारी सिस्टम लाचार हो गई है, जिसके चलते सिर्फ नेताओं की मुंह ही इस तरह की बातें सुनाई देती है। क्या जांच पड़ताल वाली सरकारी मशीनरी राज्य में मौजूद नहीं है और यदि है तो नेताओं के मुंह से निकलने वाली बड़े बड़े घपले-घोटाले और धांधली पर आज तक किसी को सजा क्यों नहीं हुई। इससे पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य के लंबे समय तक मुख्यमंत्री बने रहने वाले डाक्टर रमन सिंह और उनके परिवार पर बड़े बड़े आरोप लगाये गए थे। चांऊर वाले बाबा के नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह तक को चांऊर चोर बता दिए गए नान घोटाले के जरिए, लेकिन आज तक चांऊर चोरी में पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह की भूमिका क्या थी यह जांच का विषय बना हुआ है!इस बिच छत्तीसगढ़ राज्य में मौजूद कांग्रेस पार्टी की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार को लेकर एक बड़ी घपले की खबर ने इस वक्त पूरे राज्य भर में सनसनी फैला दिया है। दरअसल पिछले रविवार को केन्द्रीय जांच एजेंसी पर्वतन निदेशालय ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह बताया है, कि राज्य में कांग्रेस पार्टी के सरकार में 2 हजार करोड़ रुपए तक की शराब घोटाला को अंजाम दिया गया है। इस घोटाले में कई बड़े सिंडिकेट काम कर रहे थे मामले में पड़ताल जारी है। यानी कि आगे ईडी किस किस पर कू दृष्टि डाल सकती है यह बताने की आवश्यकता नहीं है। वैसे भी प्रवर्तन निदेशालय ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की पिछले कई महीनों से ईंट से बजा कर रखा हुआ है। मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ईडी को ही घटखड़े में खड़ा कर रहे हैं। सरकार और विपक्षी नेताओं की अपनी अपनी अलग अलग दलिल है और विचार सामने आए हैं,लेकिन सोचने वाली बात यह है कि क्या वाकई में राज्य के अंदर शराब घोटाला हुआ है। यदि हुआ है तो इसमें दोषी व्यक्ति क्या सच में कानून के हवाले प्रस्तुत किए जायेंगे या फिर नान घोटाले की तरह यह शराब घोटाला भी राजनीतिक पैंतरा बाजी है। बांकी स्वंय विचार करें...विनोद नेताम.....