बालोद : छत्तीसगढ़ राज्य सरकार आम जनता से जुड़े हुए शिकायतों का निराकरण करने हेतू बड़े बड़े सरकारी कार्यक्रमों का आयोजन आम जनता के मध्य समय समय पर किया करती है। इससे ना सिर्फ सरकार का इकबाल जनता के मध्य बुलंद होता है,बल्कि जनता को भी काफी सहूलियतों की प्राप्ति होती है साथ में सरकार के द्वारा चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिलता है। इस बहाने जनता को सरकार की कार्य प्रणाली और आचरण की भी परख होती है। गौरतलब हो कि जल्द छत्तीसगढ़ राज्य में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होना है। ऐसे में मौजूदा सरकार को दोबारा सत्ता में वापसी करने हेतू अपनी इकबाल को बुलंद करना होगा, जिसके लिए मौजूदा सरकार को जनता से जुड़े हुए तमाम कार्यों को सुर्य कुमार यादव इस्टाइल में ताबड़ तोड़ पर्फार्मेंस के बलबूते जल्दी जल्दी स्कोर बनाने वाले प्लेयरो की आवश्यकता होगी। टुकूर- टुकूर गावस्कर के भांति पिच पर खड़े होकर जी हुजूरी फरमाने वाले प्लेयरों की फिलहाल इस समय सरकार को जरूरत नहीं है। अतः राज्य सरकार को जनता से जुड़े हुए कार्यों पर गंभीरता नहीं दिखाने वाले अधिकारियों के समक्ष सरकार को स्थति स्पष्ट कर देना चाहिए ताकि आने वाले चुनाव के दौरान इसका खामियाजा उन्हें भुगतना ना पड़े! बहरहाल बालोद जिला प्रशासन के द्वारा भी सरकार की मंशा अनुरूप अधिकारी पर्फार्मेंस दिखाने में जुटे हुए बताए जा रहे हैं। जिला में मौजूद अधिकारियों की बेहतरीन पर्फार्मेंस से जुड़े हुई खबरें आम बात हो गई है। आए दिन अखबारों में जिला प्रशासन से जुड़े हुए अधिकारीयों के बड़े कारनामें अखबारों की सुर्खियों बन कर छाए रहते हैं। हालांकि हकीकत के धरातल पर मंजर ज्यादा कुछ नहीं बदला सका है,जबकि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार बदलाव लाने हेतू लगातार प्रयास कर रही है। शायद इसी को ध्यान में रखकर शासन और प्रशासन के द्वारा जिला मुख्यालय बालोद में हर सप्ताह जनदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में जिला के हर कोने से जिलावासी अपने कार्यों की पूर्ति हेतू जिला प्रशासन के समक्ष उपस्थित होते हैं। इस दौरान जिसका काम बनता है "वह अपने घर हंसते हुए जाता है, जबकि वह रोते हुए दबे मन से अपनी समस्याओं का पिटारा लेकर इस कार्यक्रम में शामिल हुआ रहता है। वंही कई बार उम्मीद और भरोसा लेकर हंसते हुए इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोग काम नहीं बनने के चलते अपने घर आंसू पोंछते हुए जाते हुए देखे जाते हैं। विगत दिनों पहले इस तरह की नजारा बालोद जिला में आयोजित जनदर्शन कार्यक्रम के बाहर भी दिखाई दिए जाने की सूचना है।
दरअसल जिला के गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत चारभाठा निवासी पूनम साहू अपनी समस्याओं का समाधान हेतू जिला कलेक्टर महोदय साहब के समक्ष प्रस्तुत हुआ था। जंहा पर पूनम साहू ने अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए जिला कलेक्टर महोदय को अपनी वेदना बताने का प्रयास किया। इस दौरान कलेक्टर साहब के द्वारा फरियादी युवक की समस्याओं को सुनने के बाद ना सिर्फ उस युवक को साफ शब्दों में यह कह दिया गया कि मनरेगा में काम करने से कौन रोका है। मनरेगा में जाकर वंहा पर काम करो बजाए मदद मंगाने की। ज्ञात हो उक्त युवक आर्थिक सहयोग की अपेक्षा मन लिए जनदर्शन कार्यक्रम में शामिल हुआ था। चूंकि उनके द्वारा लगातार जनहित का कार्य निशुल्क तरीके से किया गया है। इसलिए युवक चाहता है कि आज जब वह आर्थिक परेशानी में है, तब शासन और प्रशासन उसकी मदद करें,क्योंकि शासन और प्रशासन से जुड़े हुए कार्यों को उसने भी समय आने पर ईमानदारी से किया है। बालोद कलेक्टर कुलदीप शर्मा की बात को सुनकर युवक पूनम साहू हैरान हो चुका है। युवक की मानें तो वह पेशे से ड्राइवर है और इस बात की जानकारी देने के बावजूद साहब ने जिस तरह से मुझे मनरेगा में काम करने के कहा वह निश्चित रूप से कहीं फिट नहीं बैठ रहा है। यदि जिला प्रशासन मेरे आवेदन को स्वीकार नहीं करना चाहती थी तो सीधे शब्दों में कह देते इस तरह सबके सामने में मेरी बेइज्जती करने की क्या जरूरत थी। वंही मामले में कई दिग्गज नेताओं ने जिला कलेक्टर कुलदीप शर्मा की व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि अधिकारी आम जनता से इस तरह से पेश आयेंगे तो जनता का काम कैसे पूरा होगा। वैसे भी जिला के अंदर मनरेगा कार्य कोई भी पंचायत के अंदर सरकार के द्वारा तय किए दिनों तक संचालित नहीं हो रही है। चारभाठा पंचायत के अंदर ही ऐसे कई परिवार मौजूद होंगे जिन्होंने मुश्किल से पचास दिन ही काम किए होंगे। ऐसे में क्या फरियादी युवक मनरेगा के जरिए अपने परिवार का भरण पोषण कर सकता है। राज्य सरकार जनता के मध्य इस तरह से आचरण प्रस्तुत करने वाले अधिकारियों को निर्देश दे कि वे जनता के मध्य व्यवहार और आचरण को बढ़िया रखें। सरकार को जनता ने अपनी सेवा के लिए चुन रखी है, रौब जमाने के लिए नहीं। उसी तरह सरकार ने अधिकारियों का चयन किया है, जनता का काम निपटाने के लिए यदि वे नहीं कर सकते हैं तो ना करें, लेकिन जनता से इस तरह की आचरण हरगिज़ प्रस्तुत ना करें।