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करकाभाट शक्कर कारखाना की शक्कर में मिठास की जगह राजनीतिक जहर की बूं ।

 विनोद नेताम
बालोद : जिले के करकाभाट स्थित माँ दंतेश्वरी शक्कर कारखाना में आखिरकार पुर्व विधायक भैया राम सिन्हा की अगुवाई में कर्मचारी यूनियन और प्रबंधन के बीच सहमति बनी है। लेकिन यह सहमति कब तक बनी रहेंगी यह एक बड़ा सवाल है, क्योंकि कर्मचारी यूनियन के कर्मचारी लगभग 60 से ज्यादा की संख्या में विगत तीन दिनों से अपनी 5 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए थे। धरना मे बैठे कर्मचारियों की 5 सूत्री मांगों में प्रमुख माँग नियमितीकरण, ग्रेडेशन, वेतन वृद्धि, रीटेंशन कैजुअल्टी भुगतान एवं रिक्त पदों पर सीजनल कर्मचारियों का समायोजन  और एक कर्मचारी महासचिव देवेंद्र कुमार सिन्हा को निशर्त  प्रबंधन के द्वारा कार्य में रखने की माँग की जा रही थी। जिस पर आखिरकार 3 दिन की हड़ताल के बाद चौथे दिन पूर्व विधायक भैया राम सिन्हा की अगुवाई में आखिरकार प्रबंधन और कर्मचारी यूनियन के बीच सहमति बन गईं है। जिससे कर्मचारियों में खुशी की लहर देखने को मिली है।
हालांकि कर्मचारी यूनियन अब दो गुटों मे बंट चूका है यह बात भी किसी से छुपा नहीं है। बंटने का मुख्य कारण भिलाई निवासी रितेश मिश्रा है जो खुद को कर्मचारी यूनियन का अध्यक्ष बताता है। कर्मचारी यूनियन से जुड़े हुए स्थानीय कर्मचारियों अध्यक्ष को लेकर विरोधाभास स्पष्ट है। आधे से ज्यादा कर्मचारियों मे इस बात को आक्रोश देखा जाता है। स्थानीय कर्मचारियों की माने तो कारखाना मे काम करने वाला कोई स्थानीय सदस्य इस यूनियन का अध्यक्ष होना चाहिए जो हमेशा उनके साथ रहें उनकी सुख और दुख को समझें। विगत 13वर्षो से रितेश मिश्रा अध्यक्ष पद की गद्दी भिलाई में रहकर संभाले हुए है। जिसके आने जाने और ठहरने का पूरा खर्चा कर्मचारी यूनियन निर्वाह करती है जिसके कारण यूनियन के कर्मचारी इस अध्यक्ष के रवैए से परेशान है। वहीं कर्मचारी यूनियन के बैलाज नियमों की बात की जाए तो उसे भी हस्तछेप कर उसमे भी तोड़ मरोड़ किया गया है। जिससे अध्यक्ष पद की दावेदारी कोई और अन्य व्यक्ति के हाथों ना जा सकें। सुत्रो की मानें तो रितेश मिश्रा कर्मचारी यूनियन का अध्यक्ष एक एकड़ में गन्ने की खेती नहीं करता है, जबकि बैलाज में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि युनियन से जुड़े हुए लोगों का गन्ना उत्पादक किसान होना जरूरी है। 

बाहरी व्यक्ति की राजनीती से परेशान है, स्थानीय कर्मचारी 

प्रबंधन और कर्मचारियों की माने तो लगभग 45कर्मचारियों को 5सूत्रीय माँगो को पूर्ण करने की सहमति प्रबंधन के द्वारा हड़ताल से पहले मिल चुकी थी और वेतन वृद्धि पर भी मोहर लग चूका था। इसके बावजूद अध्यक्ष द्वारा प्रबंधन को बदनाम करने तथा राजनीती चमकाने की नियत से जबरदस्ती हड़ताल किया जा रहा था। जिसके कारण स्थानीय लोगों का समर्थन उन्हें प्राप्त नहीं हुआ और अब अध्यक्ष पद की खुर्सी पर स्थानीय शासक को लोग बैठाना चाहते है। वहीं सिर्फ एक कर्मचारी की पुनः वापिस माँग को सर्वोपरि मानकर हड़ताल किया जा रहा था। जिस पर प्रबंधन से चर्चा कर हल निकाला जा सकता था जो कारखाने में राजनीती का हिस्सा बना हुआ था।

बड़ा सवाल


स्थानीय लोग विगत लगभग 13वर्षो से रितेश मिश्रा को अध्यक्ष क्यूँ बनाकर रखें हुए थे।
आखिरकार स्थानीय लोगों को अध्यक्ष पद से वँचित क्यूँ रखा जा रहा है।
भिलाई में रहने वाले को अध्यक्ष पद की खुर्सी और फंडिग राजनीती करने के लिए कौन प्रदान कर रहा है।
क्या शक़्कर कारखाना सहकारिता होने का दंश झेल रहा है।

anutrickz

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