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धान के कटोरा फेर भर गे रे

 

@विनोद नेताम

रायपुर  : छत्तिसगढ़ राज्य की पावन भूमि को धान का कटोरा कहा जाता है। चूंकि राज्य का मुख्य खाद्य फसल और नगदी फसल धान दोनों ही धान है। अतः राज्य को इस नजरिए से देखना कई मायने में उचित भी है। चांवल देश में खाई जाने वाली मुख्य अनाज है। इस नाते छत्तीसगढ़ राज्य अपनी कृषि भूमि पर चांवल की इन दिनों बंपर पैदावारी करके रिकार्ड दर रिकार्ड कायम कर रही है। निश्चित रूप से किसी भी राष्ट्र के लिए उन्नत और खुशहाल किसान उस राष्ट्र की तरक्की और विकास बुनियादी ढांचा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। हालांकि राज्य में उगाई जा रही चांवल स्वास्थ्य के लिए काफी हानीकारक हो सकती है,क्योंकि किसान अधिक उत्पादन लेने के चक्कर में भयानक तरीके से चांवल की इन फसलों में किटनाशक दवाई का छिड़काव करते हुए देखे जाते हैं। वो तो गनीमत है कि राज्य के धरातल पर सोने की माफिक लहलहा कर उगने वाली धान की इन बालियों का इस्तेमाल अधिकांश तौर पर राज्य के आम जनता को ही सरकार आंबटित करके पचा दे रही है। बाहर यदि कंही जा रही है तो वह भी सरकार के द्वारा आवाम को पीडीएस वितरण प्रणाली के तहत आंबटित करने हेतू ही भेजा जा रहा है। वैसे भी पूरे देश भर के अगल अलग राज्यों में पीडीएस वितरण प्रणाली सिस्टम रेगुलेट है। यदि सरकार इन चावलों को पैसों में बेचने की हिम्मत करती है, तो हो सकता है आज नहीं कल तो सरकार को किसी के माध्यम से या कंही से यह सुनना पड़े की यह चांवल स्वास्थ्य के दृष्टिकोण के हिसाब से खाने योग्य नहीं है। चूंकि पैसे से खरीदी गई हर उत्पाद की जानकारी उपभोक्ता को देना उत्पादक का जिम्मेदारी है। अब फोकट में बांटी गई उत्पाद पर उपभोक्ता फोकट में विवाद करें शायद यह भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। बहरहाल       मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार छत्तीसगढ़ में धान खरीदी का महाभियान निरंतर जारी है। यह अभियान 31 जनवरी 2023 तक चलेगा। खाद्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो प्रदेश में समर्थन मूल्य पर किसानों से अब तक 73.48 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। धान खरीदी के एवज में राज्य के 17.95 लाख किसानों को लगभग 15,205 करोड़ रूपए का भुगतान बैंक लिंकिंग व्यवस्था के तहत किया गया है।


मुख्यमंत्री की पहल पर पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी धान खरीदी के साथ-साथ कस्टम मिलिंग के लिए निरंतर धान का उठाव जारी है। अब तक 58.20 लाख मीट्रिक टन धान के उठाव के लिए डीओ जारी किया गया है, जिसके विरूद्ध मिलर्स द्वारा 47.19 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है। अधिकारियों ने बताया कि आज 27 दिसम्बर को 39 हजार 906 किसानों से 1.52 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। इसके अलावा ऑनलाइन प्राप्त टोकन के जरिए किसानों से लगभग 30 हजार 523 टन धान की भी खरीदी हुई हैं। आगामी दिवस की धान खरीदी के लिए 45 हजार 577 टोकन तथा ”टोकन तुंहर हाथ एप” के जरिये लगभग 8 हजार 740 टोकन ऑनलाइन जारी किए गए हैं।


गौरतलब है कि इस साल राज्य में 25.92 लाख किसानों का पंजीयन हुआ है, जिसमें लगभग 2.26 लाख नये किसान शामिल हैं। राज्य में धान खरीदी के लिए 2600 उपार्जन केन्द्र बनाए गए हैं। सामान्य धान 2040 रूपए प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान 2060 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है। इसी तरह राज्य में धान खरीदी की व्यवस्था पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सीमावर्ती राज्यों से धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए चेक पोस्ट पर माल वाहकों की चेकिंग की जा रही है।

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