@विनोद नेताम
TopBharat Desk : भारत की स्वतंत्रता हेतू लड़ी गई लड़ाई में कांग्रेस पार्टी की भूमिका भले ही स्वंतत्रता संग्राम सेनानीयों की भूमिका से कम हो,लेकिन देश की स्वतंत्रता के बाद से लेकर अबतक भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी की भूमिका काफी अहम है। कांग्रेस पार्टी निश्चित रूप से गांधी नेहरू परिवार से होकर भारतीय राजनीति की धारा में प्रवेश करती है,लेकिन इस परिवार ने देश के खातिर अपनों को गंवाया है। देश पर कई वर्षों तक एकतरफा शासन चलाया है। इस दौरान देश की तरक्की और विकास के लिए कांग्रेस पार्टी ने बहुत कुछ किया है। शायद इसी कारण देश के ज्यादातर मतदाता इस परिवार को अपना स्वंय का परिवार मानकर चलता है। हम अक्सर लोगों के मुंह से सुनते हैं,हम पुराने कांग्रेसी है। अब सवाल यह है कि नया कांग्रेसी कौन है और नया कांग्रेस क्या है? बहरहाल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दिल्ली में देश के उस महान राजनितिक सख्सियत भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के दरवाजे पर दस्तक दे दिया। चूंकि अटल बिहारी वाजपेई आज के वर्तमान समय में भारत के स्वर्णिम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो चुके है। लिहाजा राहुल गांधी उनके पुण्य तिथि स्थल पर जा पहुंचे। दुनिया भर के राजनीतिक शूरमाओ की तमाम शूरामा गिरी को ध्यान में रखते हुए उन्हें एक प्रकार की राजनीतिक प्रयोग शाला का दर्शन करवाते हुए राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा की सफर को कन्या कुमारी से शुरू कर कई राज्यों की सफर को पूरा कर दिल्ली के लाल किला मैदान तक खिंच लाने में सफल हुए। राजनीतिक दृष्टिकोण के हिसाब से यदि देखें तो यह कारनामा उन्हें पप्पू बोलने वाले लोगों की मूंह पर सिधा तमाचा है। अब पप्पू बोलने वाले लोग राहुल गांधी की सफलता को कैसे लेते हैं यह उनकी मर्जी है। दिल्ली की लाल किला मैदान से राहुल गांधी दूसरे दिन राजनीति के महान सख्सियत स्व: अटल बिहारी वाजपेई को याद करने उनके पुण्य तिथि स्थल पहुंचे गए। कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं पर एवं भारत के सर्वोच्च पद पर आसीन रहे पूर्व नेताओं को भला बुरा कहने वाले लोगों पर राहुल गांधी का यह दूसरा तमाचा है। अटल बिहारी वाजपेई कौन है यह बताने की आवश्यकता नहीं है, और राहुल गांधी भी यह जानने उनके पुण्य तिथि स्थल नहीं गए थे बल्कि वह अटल बिहारी वाजपेई की उस भाषण का जवाब उन्हें समर्पित करने गए थे जो उन्होंने वर्ष ........ के दौरान सदन में संबोधित किया था अंधेरा छटेगा सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा।
दिल्ली की लाल किला मैदान में ठंड के मौसम में गर्मी...
राजनीतिक दृष्टिकोण से दिल्ली भारत की राजधानी है यानी कि भारत का दिल यह कह सकते है। सीयासी तौर पर देखा जाए तो यह कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि कांग्रेस पार्टी के गढ़ में विगत कई वर्षो से दो गुजराती बंधु क्यूं डटे हुए हैं। वो भी नाट आउट और दोनों जबदस्त तरीके से आये दिन कहीं ना कहीं कांग्रेस पार्टी को ठोंक रहे है। दोनो गुजरातीयो की ठुकाई का असर इतना भयानक है कि कई बार कांग्रेस पार्टी के नेताओं को बस से बाहर सूरक्षित निकाला जाता है। याने कि दुसरे राज्यों में बसों के माध्यम से पहुंचाया जाता है। जानकारों की मानें तो दोनों गुजराती बंधुओं ने कांग्रेस पार्टी के कान में इतना अंदर तक राजनीति का किड़ा डाल दिया है कि कांग्रेस पार्टी का गढ़ विगत कुछ वर्षों से सूनसान नजर आने लगा है। कांग्रेस पार्टी से दूर हुए ज्यादातर नेताओं ने भी कई मिडिया बयानों में कहा है कि राहुल गांधी उनसे मिलते तक नहीं है। सूनसान जगह पर वैसे भी कौन किससे मिलता है। वाकई सत्ता जाने का दुख बहुत बड़ा होता है,उपर से पप्पू बना कर रख दिया था। गद्दी छोड़ने का दुख राहुल गांधी की कई बौखलाहटो में देखने को मिला है। जिसके चलते राहुल गांधी को लेकर भाजपा के नेताओं ने एक धारणा बना दिया था कि वे राजनीति में पप्पू है। यानी कि राजनीतिक दृष्टिकोण से राहुल गांधी भारतीय राजनीति के लिए अनफिट है वैगरह वैगरह। इधर आम पब्लिक भी राहुल गांधी को पप्पू समझ कर उनसे दूर भागने में भलाई समझ रही थी इसका फायदा दो गुजराती भाई इधर जमकर उठा रहे थे। दोनो गहमागहमी के बीच आम आदमी पागलों की तरह बैंक में जमा राशि और कोराना काल में घर वापसी हेतू मर रहे थे। लोगों को बिच सड़क पर मारा व पिटा जाता रहा कई जगह जगह अत्याचार की पराकाष्ठा भी अब जूमला कह कर हार गई । ऐसे में बढ़ती हुई मंहगाई और बेरोजगारी अरे रुकई इतने भर मात्र से काम नहीं चलता है बिमारी और सरकार की बेकारी। इस बीच देश के अंदर धार्मिक कट्टरवाद बाप रे बाप क्या ठोंकते है बाप ये दो गुजराती भाई सच में बहुत बढ़िया यार कोई संदेह नहीं। देश में आम चुनाव की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। ऐसे में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कन्या कुमारी से शुरू हो कर दिल्ली में दोनो गुजराती बंधुओं की छप्पर फाड़कर रखकर दिया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर दिल्ली में डटे दोनों गुजराती भाई ज्यादा कुछ नहीं कर सके। अलबत्ता दोनों गुजराती बंधु ढोखला चखने में ही मस्त नजर आए। परिणाम स्वरूप दिल्ली में केरल से नारियल पानी वाले की दस्तक ने दोनों गुजराती बंधुओं की जुबान पर ताला जड़ दिया है। वैसे दोनो गुजराती बुधंओ को राजनीति की धूंरधर होने का वरदान प्राप्त हैं। इस लोगों की एक धारणा है,ऐसे में उनका चुपचाप ढोकला खाना गुजराती बंधुओं के इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों को भी समझ नहीं आ रहा हैं। इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों की मानें तो आखिरकार ढोकला इस तरह से कौन खाता है। ढोकला के चक्कर में अब लोग नारियल पानी पी कर सवाल फोड़ रहे हैं। खैर ढोकला बहुत मजेदार चीज है इसे जो भी खाता है वह खो जाता है। कोई बात नहीं वैसे भी कहा जाता है कि जब अंत नजदीक होता है तब दिमाग काम करना बंद कर देता है। हो सकता है इस बहाने आगे आने वाले दिनों इन दोनों बंधुओ की कोई नई राजनीतिक मिस्ट्री डेमोक्रेसी हो वह सामने आ जाए। खैर जो भी हो राहुल गांधी भारतीय राजनीति में अब पप्पू कहलाने की बजाए बंगाल सांसद मोयना मित्रा की तरह हुस् दैट प्पू कह कर गुजराती बंधुओं से सवाल पुछ सकते हैं।