बालोद : जिला के बहुचर्चित नगर पंचायत गुरूर जिसे जिला वासी आमतौर पर राजनीतिक रण क्षेत्र का गढ़ मानकर चलते हैं। चूंकि नगर पंचायत गुरूर विगत कुछ महीनों से राजनीति का अखाड़ा बन कर राजनीतिक रण क्षेत्र की गुणवत्ता को और ज्यादा चमकदार बनाने में लगा हुआ है। चमकदार गुणवत्ता का असर इतना भयानक है कि नगर पंचायत गुरूर के अंदर मौजूद भाजपा और कांग्रेस पार्षद विगत कई माह से नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू को पद से हटाने हेतू लामबंद होकर एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं। एक ओर जहां कुछ दिन पहले कांग्रेस पार्टी ने टिकेश्वरी साहू को लेकर पार्टी स्तर में सवाल जवाब किया था तो वंही भाजपा नगर पंचायत गुरूर मे मौजूद अपने पार्षदों के कांग्रेसी पार्षदों के साथ मिलकर नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू के खिलाफ गाल बजाने की कवायद पर कुछ भी कहने से बच रही है। गौरतलब हो कि संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र का यह नगर राजनीतिक दृष्टिकोण के हिसाब से कांग्रेस और भाजपा के लिए अति महत्वपूर्ण है। शायद इस बात को दोनो राजनीतिक दल भंलिभांती समझते हैं। इसलिए कांग्रेस पार्टी की बैगर सदस्य रहते हुए भी अध्यक्ष पद का ताज टिकेश्वरी साहू को दिया गया है और पार्टी में स्थान भी, लेकिन टिकेश्वरी साहू बतौर कांग्रेस पार्टी की सक्रिय सदस्य नहीं थी। लिहाजा उन्हें राजनीतिक तौर तरीका की कम जानकारी रही। इसे राजनीतिक तालमेल से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। बताने कि आवश्यकता नहीं है कि संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र का यह नगर सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेताओं की इशारे पर नाचती है। राजनेता के इशारे पर नाच नहीं दिखाने वाले लोगों का परिणाम भयानक होता है,ऐसा लोगों का मानना है। बहरहाल कांग्रेस पार्टी की मौजूदा विधायक संगीता सिन्हा इसी नगर पंचायत में निवास करती है। पूर्व में भी भाजपा के ज्यादातर पूर्व विधायक इसी क्षेत्र की राजनीतिक रण भूमि से निकल कर संजारी बालोद विधानसभा की नेतृत्व को अपने कंधों पर संम्हाले है। लेकिन आज जो परिस्थिति बनकर उभरी है। इससे पहले इतना ज्यादा देखने को नहीं मिला है। अब यंहा पर किन परिस्थितियों की बात और क्या देखने को नहीं मिला है यह बताने की आवश्यकता नहीं है पाठक समझते हैं। ऐसे में नगर पंचायत गुरूर के अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू को लेकर पिछले काफी दिनों से हो रही राजनीति बहुत कुछ इशारा कर रही है। बहरहाल गुरूर नगर पंचायत अध्यक्ष टिकेश्वरी साहू से संबंधित विषयों को लेकर माननिय हाईकोर्ट बिलासपुर का आदेश प्राप्त होने की जानकारी सामने आई है। माननीय न्यायलय के आदेशानुसार नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती टिकेश्वरी साहू की याचिका को खारिज कर दिया है। टिकेश्वरी साहू की याचिका हाईकोर्ट में खारीज होने के बाद उसे अध्यक्ष पद से हटाने की मंशा रखने वाले तमाम पार्षदों की चेहरे खिले खिले नजर आ रहे हैं। वैसे भी टिकेश्वरी साहू को नगर पंचायत गुरूर के अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर पिछले काफी दिनों विरोधी पार्षदों ने एक मुहिम खड़ा कर रखी है। मामले को लेकर भाजपा और तमाम कांग्रेसी पार्षद कब से एक टांग पर खड़े होकर अविश्वास प्रस्ताव को लेकर होने वाली मतदान की इंतजार में एक टक लगाये हुए बैठे हैं। इस बीच टिकेश्वरी साहू के विरोध में खड़े तमाम पार्षद अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मतदान कराये जाने पर हो रही देरी को लेकर आगबबूला है। विगत दिनों नगर पंचायत गुरूर के पार्षदों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर 3 दिन के भीतर मतदान कराये जाने की मांग रखी थी। मामले को लेकर संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक रण क्षेत्र गुरूर में एक बार फिर राजनीतिक गहमागहमी देखी जा रही है। खैर नगर की सियासत में जो होना है उसकी सियासी बुनियाद मौजूदा सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेताओं की इच्छा टीका हुआ है। फिलहाल नगर पंचायत गुरूर में राजनीतिक अस्थिरता नगर के विकास में जबदस्त तरीके से अवरूद्ध पैदा कर रही है। नगर पंचायत गुरूर के अंदर विकास कार्यों की जगह जगह जगह विनाश ही दिखाई दे रही है। सूत्रों की माने तो नगर पंचायत गुरूर में मौजूद कई पार्षद नगर में सट्टा और शराब की अवैध कारोबार को अपनी कमाई का जरिया बना कर बैठे हुए है। वैसे भी यह नगर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद से अवैध सट्टा कारोबार और अवैध शराब कारोबार का गढ़ बन चुका है। नगर पंचायत गुरूर के अंदर महिला से लेकर छोटे बच्चे तक इस काले कारोबार के गिरफ्त में बताया जाता है। पुलिस महकमा इस अवैध कारोबार को नगर से बाहर उखाड़ फेंकने हेतू दिन-रात मेहनत कर रही है,लेकिन कांग्रेस पार्टी की चार वर्ष पूरा होने के बाद भी अबतक इस कारोबार पर काबू नहीं पाया जा सका है। जबकि नगर पंचायत गुरूर के अंदर ऐसे काले करतूतों का विरोध करने वाले लोगों को उल्टा ठिकाना लगाया जा रहा है। ऐसे में नगर पंचायत गुरूर की भविष्य को लेकर चिंता जाहिर किया जा रहा है।