@विनोद नेताम
रायपुर : भारत के 26बीसवे राज्य के रूप में धरातल पर मौजूद छत्तीसगढ़ राज्य जिसे देश और दुनिया धान के कटोरा व अमीर धरती के गरीब बासिंदो का बसेरा,सहित प्रभू राम के ननिहाल और अनिगनत गौरवान्वित नामों से यह भूमि अलौकिक है। राज्य के स्थानीय बासिंदे जिनकी मौजूदगी राज्य में लगभग ढाई करोड़ से अधिक बताई जाती है। उनके अनुसार यह भूमि भारत माता की दुलौरिन बेटी छत्तीसगढ़ महतारी का आंचल हैं। इस आंचल के छाये में पलने वाले यंहा के बासिंदे इसकी पावन धरा को चूमकर माथे पर तिलक लगाते है। भौगोलिक दृष्टिकोण के हिसाब से यदि देखें तो राज्य के ज्यादातर जनता ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में निवासरत है। जंहा पर आम छतिसगढ़ीहा लोगों की मुख्य जीवन स्त्रोत कृषि और कृषि से जुड़े हुए कार्य है,जबकि राज्य के शहरों एवं शहर के आसपास में स्थित गांवो में रहने वाले लोगों की जीवन स्त्रोत शहर में स्थित छोटी मोटी फैक्ट्री, दुकान ,और बाजार है। आर्थिक दृष्टिकोण के नजरिए से यदि देखें तो सूब्बे की संपन्नता का मुख्य आधार कृषि है। वंही आम जरूरतों की पूर्ति हेतू राज्य आज भी खनिज संपदा पर निर्भर है। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में आदीवासी समाज की बाहुल्यता है और इन्हीं क्षेत्रों में ही खनिजों का अकूत भंडार होने की बात जग जाहिर है। इन श्रेत्रो में खनिज संपदा का उत्खनन पहले भी किया जाता रहा है आज भी इन्हीं क्षेत्रों में खनन संचालित किया जा रहा है। आदीवासी बाहुल्य राज्य होने के साथ साथ यंहा के लोग काफी सिधे और सरल मानें जाते है, इसलिए शायद यंहा की स्थानीय भाषा को मिठ बोली के तौर पर लोग सुनते हैं और तारीफ भी करते हैं। छत्तीसगढ़ वासीयों ने छत्तिसगढ़ राज्य की सभ्यता और संस्कृति अनुरूप राज्य में आने वाले सभी मेहमानों का तहेदिल से स्वागत अबतक किया है। जिस तरह की रिवाज का चलन समाज ने निर्धारित कर रखा है राज्य के बासिंदे उस रिवाज को आज भी धरोहर मानकर ना सिर्फ संम्हाल रखें है बल्कि उसे संस्कृति का हिस्सा समझ कर आज भी चलन में बनाए हुए हैं। राज्य की मेहमाननवाजी पूरे दुनिया में लोकप्रिय है और इसी मेहमान नवाजी से खुश होकर एवं राज्य की आबोहवा से प्रभावित होकर अन्य राज्यों से आकर लोग तेजी से बहने लगे हैं। बाहर से आकर बसने वाले लोगों की तादाद दिनों दिन बढ़ रही है और इसी के साथ आम छतिसगढ़ीहा लोगों के साथ भेदभाव जो भारतीय उपमहाद्वीप के कण कण में व्याप्त है वह तेजी से बढ़ने की बात स्पष्ट है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर जगह जगह वर्तमान समय के दौरान दूसरे राज्यों से आकर बसने वाले लोगों का दबदबा भी देखने को मिलता है। चूंकि आम छतिसगढ़ीहा मिठबोली और मेहमान नवाजी की रिवाज को शोषण सह कर निभा रहा है। अतः राज्य के जगह जगह शोषण से जुड़े हुए अपराधिक घटनाएं आम बात बन गई है। राज्य के कई हिस्सों में शोषण का स्तर इतना घटिया है कि मानवता और इंसानियत भी शर्म से नजरें फेर ले। जिसके बावजूद किसी के मूंह से चूं तक नहीं निकलती है। राज्य में मौजूद ज्यादातर नेता अबतक करोड़पति रहे है और वर्तमान समय में भी है। अतः गरीबों की बात करोड़पति नेताओं तक बहुत देर से पहुंचती है या फिर पहुंचती ही नहीं है यदि भूल से पहुंच जाए तो जरूरी नहीं है कि गरीबों की बात पढ़ी या सुनी जाए। बहरहाल राज्य में निवासरत ज्यादातर बांसिदे मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। राज्य के लगभग सभी हिस्सों में मौजूद सूबे के ज्यादातर बासिंदे बाहरी लोगों की शोषण और अतलंग से तंग आ चुके हैं, और वे लगातार उनसे कई असरे से लड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य की सपना को मन में संजो कर अलग राज्य की अलख जगाने वाले राज्य के पुरखों ने निश्चित रूप से इस तरह की छत्तिसगढ़ राज्य का कल्पना को आधार नहीं बनाया होगा क्योंकि उन्होंने ने सदैव अरपा पैरी के धार महानदी है अपार जैसी स्तूति और प्रार्थना से छत्तिसगढ़ राज्य की पावन धरा को नमन किया है। आज के वर्तमान परिदृश्य के दौरान भी लोग इसी तरह नमन कर रहे हैं, किन्तु नमन के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ अलग है। मतलब स्पष्ट है,कि कुछ लोग अपनी जम्मीदारी को सूरक्षित रखने हेतू झुठे नमन का दिखावा करने में लगे हुए है। राज्य की संस्कृति और सभ्यता सहित धरोहर को संजोकर रखना हमारी जिम्मेदारी है किन्तु बाहरी लोगों के दखलांदाजी हमारी जिम्मेदारीयो पर भारी पड़ रही है।