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जमीनी स्तर को बेहतर दिखाने की कोशिश में जुटी जिला प्रशासन

@विनोद नेताम
 बालोद : बालोद जिला मुख्यालय को दुर्ग जिला से अलग हुए लगभग एक दशक बीत गया है। इस दौरान जिला में कई नौकरशाह आये और चले भी गये यदि रह गए तो सिर्फ वह यादें हैं जो कभी जिला वासियों ने उन्हें लेकर संजोए थे। कहने का मतलब यह है कि जिला में पदस्थ रहे पूर्व नौकरशाहो ने कई कार्यों को अधूरा छोड़ कर चलते बने जबकि उन कार्यों को लेकर जिलावासी उनसे बहुत उम्मीदें लगाए बैठे थे। इस बिते दशक के दौरान जिला मुख्यालय बालोद सहित संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में यदि राजनीतिक दृष्टिकोण के बिहाप पर देखें तो सत्ता( विधायक) ज्यादातर कांग्रेस पार्टी की पास रही है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो सिन्हा परिवार के इर्द-गिर्द ही जिला मुख्यालय बालोद सहित संजारी बालोद विधानसभा का वजूद सिमटी रही है। पहले भैय्या राम सिन्हा विधायक रहे और अब उनकी धर्म पत्नी यानि कि संगीता सिन्हा विधायक हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण के बिहाब पर यदि मापा जाए तो सिन्हा परिवार ने अब तक संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की सरजंमी पर बेहतरीन राजनीतिक पृष्ठभूमि का नजारा पेश किया है। इस दौरान कई विपक्षी शूरामाओ की तमाम शूरामा गिरी निकल कर धाराशाई हो चुकी है। चूंकि विधानसभा क्षेत्र के विपक्षी राजनीतिक दल यानी कि भाजपा जाति समीकरण को आधार बनाकर विधानसभा में अपनी भूमिका सुनिश्चित करते रहे है अतः विपक्षी राजनीतिक दल की जाती समीकरण को तोड़कर सिन्हा परिवार ने संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र में एक नया इतिहास बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बहरहाल जिला में तीन विधानसभा धरातल पर मौजूद है और तीनों विधानसभाओं में बतौर विधायक कांग्रेसी नेता या नेत्री है। एक ओर डौंडीलोहारा विधानसभा में अनिला भेड़िया तो वंही दूसरी ओर गुण्डरदेही विधानसभा में कुंवर सिंह निषाद। इन दोनों कांग्रेसी विधायकों का राजनीतिक रिकार्ड राजाओं की वंशोजो से चुनावी रणभूमि में चुनौती देने की रही है और बकायदा दमदार तरीके से जिसमें रिकार्ड तोड़ सफलता इन दोनों विधायकों के द्वारा दर्ज किया गया है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य की अतिमहत्वपूर्ण जिला बालोद की सरजमीं आज भी  विकास की उस मूरत को तलाशने में जुटी हुई है जिनका सपना प्रत्येक जिला वासियों को जिला गठन से पहले दिखाया गया था या जिला वासियों ने देख रखा था। आज के वर्तमान समय में यदि देखें तो विकास की हर लक्ष्य जिला से बाहर जाकर संचालित हो रही है जैसे कि स्वास्थ्य सेवा जो ज्यादातर जिला के बाहर अन्य जिलों की शहरों में प्राईवेट अस्पतालों में दम तोड़ते हुए आसानी से नजर आता है। शिक्षा से संबंधित सेवा किसी भी सभ्य समाज हेतू सबसे बड़ा माना जाता है अतः जिला में शिक्षा की उपयोगिता को समझाना जरूरी है। दरअसल जिला में मौजूद ज्यादातर नौकरशाहो और नेताओं के बच्चे बड़े शहरों के बड़े स्कूलों में तालिम हासिल करते हुए देखे जाते रहे है, जबकि जिला के अंदर मौजूद ज्यादातर बच्चों को ढंग से धरातल पर शिक्षा नसिब तक नहीं हो पा रही है। अब बात जल आपूर्ति सेवा से संबंधी विषयों पर कर लिया जाए। चूंकि जिला में ज्यादातर जल आपूर्ति सेवा धमतरी जिले की गंगरेल बांध से नहरों के माध्यम से होती है। याने कि हम सिंचाई हेतू व पेयजल एवं निस्तारी जल के लिए दूसरे जिला पर निर्भर है। मानवीय मूल्यों पर आधारित यह तमाम सेवा जिला में भी सरकार के द्वारा फ्री में या कुछ रूपया लेकर संचालित किया जा रहा है। जिला प्रशासन के माध्यम से यह सेवा जिला वासियों के लिए सरकार के द्वारा संचालित है,जबकि लोगों की मानें तो जिला में संचालित सरकारी सेवा सिर्फ कागजी नौटंकी और दिखावटी बनावट की श्रेणी के दायरे में किर्तिमान स्थापित कर चुका है‌। इसलिए सरकार के द्वारा संचालित ज्यादातर सेवा का उपयोग आमतौर जिला वासी नहीं कर पाते अथवा करना नहीं चाहते हैं,हालांकि जिला में मौजूद शासन और प्रशासन के तमाम नुमाइंदे इन दिनों जमीनी स्तर को बेहतर दिखाने हेतू भरशक प्रयास करने में जुटे हुए हैं,ताकि जिला वासियों के मध्य शासन और प्रशासन का इकबाल बुलंद बना रहे। बुलंदी की भनक इस कदर होनी चाहिए कि  आगे आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मौजूदा सरकार की इच्छा पूरी हो जाए। अधिकारी चुनाव के पहले ताबोड़ताड़ कार्य जमीनी स्तर पर कर दिखाये ताकि जनता को धरातल पर सरकार का काम नजर आये।

पुराने अधिकारियों की कारगुजारियां नये अधिकारीयों की लिए बनी परेशानियों का सबब 
बीते एक दशक के दौरान जिला में पदस्थ रहे अधिकारियों की कारगुजारियो के चर्चा आम है। लोग अक्सर आपस में बात करते हुए आसानी से नौकरशाहो की कारगुज़ारियों को लेकर नंबर प्रदान कर देते है। फंला साहब बहुत अच्छा था। आज जिला के अंदर बहुत कुछ करने की आवश्यकता है ताकि बालोद जिला छत्तिसगढ़ राज्य सहित देश दुनिया में जाना व पहचाना जाए। नेता और अधिकारी जमीनी स्तर को बेहतर बनाएं रखने हेतू निस्वार्थ भाव से जमीनी स्तर पर कार्य करें बजाए कागजी दिखावे की। इससे पहले जिला में पदस्थ रहे कई अधिकारी टेबल पर कार्य कर गए है जिनके चलते यह कार्य आज के समय में पेचिदा बन कर रह गए है। आज के वर्तमान दौर में धरातल पर मौजूद अधिकारी ऐसे पेचिदा मामले के बिच में टांग फंसाने से साफ तौर पर फंस रहे हैं। जानकारों की मानें तो पुराने जमाने के दौरान जिला में पदस्थ रहे कई अधिकारियों के तार ईडी और आईटी भी तलाशने में सिद्दत से जुटी हुई है। ऐसे में वर्तमान समय के दौरान धरातल पर काम करने वाले लोगों के लिए बहुत मुश्किल है।

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