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बघवा हुआ पिंजरे से आजाद

     रायपुर: भारत एक विशाल देश है जहां विविधताओं की भरमार है। भाषा, बोली, जाती,धर्म से परे भारत इसलिए महान है। भारतीय उपमहाद्वीप के अंदर कई जाती, रंग, भाषा इत्यादि में काफी असमानता है। अतः क्षेत्रवाद का वर्चस्व स्पष्ट रूप से नजर आता है और यह तर्क कई जगह सही साबित हुए हैं। वर्तमान समय के दौरान देश के कई राज्य क्षेत्रवाद को लेकर मुखर है। बड़े बड़े आंदोलन धरातल पर देखे गए है। ऐसे में मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तिसगढ़ राज्य के रूप में स्थापित भूमि से उठने वाले क्षेत्रवाद की गुंज समाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से क्या वाकैई गलत है? जब भारत के अन्य राज्यों में क्षेत्रवाद की विचारधारा गलत नहीं मानी जाती है तो छत्तिसगढ़ राज्य में इस विचारधारा को लेकर राजनीतिक गलियारों में हड़कंप क्यों? विगत कुछ वर्षों से छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना सूब्बे के अंदर क्षेत्रवाद और छतिसगढ़ीहा स्वाभिमान से जुड़ी  विषयों को लेकर धरातल में जबदस्त तरीके से मौजूदगी दर्शाने में दमदार प्रदर्शन किया है। सभ्यता और संस्कृति के नाम पर जितना प्रचार राज्य के मौजूदा सरकार ने जो अबतक धरातल पर कर दिखाने का प्रयास किया है,उस कार्य इस संगठन ने बैगर राजनीतिक स्वार्थ के पिछले कई वर्षों से निस्वार्थ भाव से जमीनी धरातल पर कर दिखाया है। हालांकि कुछ मामलों में संगठन से जुड़े हुए व्यक्तियो पर अपराधिक मामलों के तहत कार्यवाही भी हुई है। जिसमें ज्यादातर छत्तिसगढ़ राज्य की स्वाभिमान से जुड़ी हुई लड़ाई शामिल है। राज्य में छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना की बढ़ती हुई वजूद एवं लोकप्रियता  इस संगठन की सफलता और छतिसगढ़ीहा एकता को मजबूती प्रदान करता है।                     

  6 महिने बाद दुर्ग जेल से जमानत पर रिहा हुए छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल 

" पूर्व में अमित बघेल ने तूएगोंदी मामले को लेकर बालोद में आयोजित सभा में दिया था विवादित बयान। अमित बघेल के द्वारा दिए गए बयान पर तत्कालीन समय में काफी राजनीति और धार्मिक विरोध प्रदर्शन हुआ। लगातार विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक बयान बाजी से आहत राज्य सरकार ने हसदेव अरण्य अभ्यारण मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन करने गए अमित बघेल को अंबिकापुर से गिरफ्तार कर जेल दाखिल कर दिया। विगत कई वर्षों से छत्तिसगढ़ राज्य की स्वाभिमान और अस्मिता से जुड़ी हुई लड़ाई को धरातल पर लड़ रहे हैं अमित बघेल। इस दौरान वे लगातार कई बार जेल यात्रा कर चुके हैं।
कौन है अमित बघेल (बघवा)
छत्तीसगढ़ राज्य की स्वप्नदृष्टाओ में से एक डाक्टर खूबचंद बघेल परिवार से ताल्लुक रखने वाले अमित बघेल छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना के बदौलत विगत कई वर्षों से जमीनी स्तर पर क्षेत्रवाद की राजनीति को छत्तिसगढ़ के स्वाभिमान से जोड़ते हुए हवा दे रहे है, बतौर एक आम छतिसगढ़ीहा और छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना के मंच पर खड़े होकर। क्षेत्रीय अस्मिता को लेकर अमित बघेल कई बार अपनी विचारधारा सार्वजनिक तरीके से रखते हुए नजर आ चुके हैं। इस दौरान अमित बघेल और छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना से जुड़े हुए सेनानी लगातार बाहरी लोगों से जुड़े हुए अपराधों एवं कृत्यों को उजागर करते हुए राज्य में उनकी मौजूदगी पर सवाल खड़े करते रहे है। लोगों की मानें तो अमित बघेल सहित छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना की यह मुहिम पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जमीनी स्तर कांग्रेस पार्टी को काफी फायदा पहुंचाया है,जबकि प्रदेश के अंदर यह संगठन मजबूती से छत्तिसगढ़ राज्य की स्वाभिमान से जुड़े हुए कार्यों अडिग खड़ा है। इस दौरान कई दफ्फा संगठन से जुड़े हुए लोगों को जेल जाना पड़ा है। इसी क्रम में अमित बघेल पिछले 6 माह से दुर्ग जेल में बंद थे। उन्हें बिती शाम को जमानत पर रिहा किया गया है।  

क्या अमित बघेल वाकैई गुनेहगार है? जिसके कारण उन्हें बार बार जेल में बंद किया जाता है?

25 मई 2022 को तूएगोंदी मामले को लेकर सर्व आदीवासी समाज और छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना ने बालोद जिला महाबंद का आयोजन किया था। बहुचर्चित तूएगोंदी मामले में आदीवासी समाज को आज भी न्याय की दरकार है‌। घटना के दौरान आदीवासी समाज से जुड़े हुए लोगों के साथ गंभीर तरीके से मारपिट की घटना को बाहरी लोगों के द्वारा एक छूटभैये नेता टाइप संत के आदेश पर अंजाम दिया गया था। वंही मामले से जुड़े हुए मुख्य आरोपी ने सर्व आदीवासी समाज के साथ छत्तिसगढ़ राज्य के स्वाभिमान को चुनौती देते हुए धार्मिक व राजनीतिक उन्माद फैलाने की कोशिश तक को अंजाम दिया था। घटना से जुड़े विरोध प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल पूर्व कांग्रेसी नेता अरविंद नेताम के मौजूदगी में अमित बघेल ने स्थानीय भाषा में चलन के अनुसार चंद शब्द क्या कहें इसे धार्मिक व राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया,जबकि नेता और टपोरी के जुंबा की तरह पाखंड रचने वाला षड़यंत्रकारी आज भी सूरक्षित खुलेआम अपना पांखड को बढ़ावा दे रहा है। वैसे देखा जाए तो 25 मई 2022 के रोज जिस दिन अमित बघेल ने जैन मुनि को लेकर विवादित बयान दिया था उसी दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंद कुमार बघेल ने भी उसी मंच से हिन्दू संगठनों को लेकर विवादित बयान दिया था लेकिन जिस तरह से अमित बघेल को उनके बयान पर निशाना बनाया गया है वह किसी बड़ी साज़िश की ओर इशारा कर रही है। क्षेत्रवाद के नाम पर अमित बघेल की बढ़ती हुई लोकप्रियता और छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना की तेजी के साथ बढ़ रही संख्या राजनीतिक दृष्टिकोण के बिहाब पर राज्य की सरजंमी पर राज करने वाले राजनीतिक दलों के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। अतः ज्यादातर सूब्बे में स्थापित राजनीतिक दल अमित बघेल और छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना की वजूद को खत्म होते देखना चाहती है। समाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण के हिसाब से निश्चित तौर पर छतिसगढ़ीहा क्रांतीसेना की विचारधारा फिट नहीं बैठती है लेकिन आगे आने वाले दिनों में इसी संगठन से निकल कर कई नेता सियासी सरजमीं पर नीति बनायेंगे इसलिए मौजूदा सरकार और सभी राजनीतिक दलों को इनसे तालमेल बिठाने की आवश्यकता है आखिरकार ये लोग गलत बात ही कंहा कह रहे है।

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