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मंहगाई से जूझती हुई जनता को बिजली बिल का झटका कंहा तक उचित।

@विनोद नेताम
बालोद : एक तरह आम आदमी की जरूरत से संबंधित सामानों की मूल्य लगातार आसमान छू रही है। ऐसे में सूरक्षा निधी के नाम पर जिला वासियों को तीन गुना बिजली का बिल चुकाना भारी पड़ रहा है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य जंहा बिजली और कोयला की अकूत भंडार देश और दुनिया में चर्चित है वंहा पर इन दिनों विद्युत आपूर्ति कम्पनी ने जनता से सूरक्षा निधी के नाम पर अतिरिक्त बिजली बिल का भार आम आदमी के सर मठ दिया है। हर साल लिया जाता है सूरक्षा निधी के नाम पर अतिरिक्त रकम की राशि, जबकि बिजली कनेक्शन कटवाने पर पैसा की वापसी से संबंधित जानकारी नहीं के बराबर है। विद्युत विभाग का दावा है कि कंपनी का यह नियम है कि हर बिजली उपभोक्ताओं का कम से कम दो माह की औसत बिजली बिल बिजली आपूर्ति कंपनी के पास जमा रहना चाहिए ताकि रीडींग,बिल जारी करने व जमा करने में जो समय खर्च होती है उसकी भरपाई हो सके। कुछ पैसा जो बच जाता है वह उपभोक्ताओं के नाम कंपनी में जमा रहता है, जिसे कंपनी उपभोक्ता के द्वारा बिजली कनेक्शन कटवाने पर वापस दे दिया जाता है। बिजली कंपनी के द्वारा किए जा रहे दावे धरातल पर कितना सही है यह तो भगवान ही जाने लेकिन लोगों की शिकायत है कि बिजली कंपनी के द्वारा किए जा रहे वादे कोरी झूठ है। सूरक्षा निधी के नाम पर वसूली जा रही भारी रकम को छुपाने की यह कागजी घोड़ा है जिसे बिजली आपूर्ति कंपनी आम जनता के सर पर जबदस्ती दौड़ा रही है। बहरहाल मामले में जिलावासियों के मध्य काफी आक्रोश है और लोगों की आक्रोश को विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से जबदस्त तरीके से हवा मिल रही है। बिते दिनों भारतीय जनता पार्टी ने जिला मुख्यालय बालोद में जबदस्त तरीके से प्रदर्शन करते हुए आम जनता को बिजली बिल में राहत पहुंचाने की मांग रखी। वंही महिना के अंत तक जिलावासियों के मध्य बढ़ी हुई बिजली बिल परेशानी का सबब बनी हुई नजर आई है। 
 
लोगों का आरोप है कि,जिला में ज्यादातर ठेंकादार खुलेआम बिजली चोरी करके सरकारी निर्माण कार्यों को अंजाम देते हुए देखे गए है। ऐसे में बिजली विभाग ज्यादातर समय मौन धारण करते हुए नजर आए हैं। ज्यादातर सरकारी निर्माण कार्यों से जुड़े हुए ठेकेदार कांग्रेसी नेता या कांग्रेस पार्टी से संबंधित है। इन ठेकेदारों द्वारा सरकारी निर्माण कार्य के दौरान बिजली चोरी कर सरकारी निर्माण कार्यों को पूरा करने की बात जिला के लगभग हर नागरिक जानते हैं। ऐसे में सत्ता सरकार के संरक्षण पर सरकारी ठेंका में चोरी करने वाले लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है जबकि बिजली आपूर्ति कंपनी आम जनता से तरह तरह के नियम लागू कर पैसे ऐंठ लेती है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बढ़ी हुई बिजली बिल मौजूदा सरकार के लिए सरदर्द का सबब बन सकता है। आम जनता पर सूरक्षा निधी के नाम पर डाली गई अतिरिक्त बोझ को जिला के राजनीतिक रण क्षेत्र गुरूर में भी काफी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। गुरूर जनपद पंचायत के सदस्य और बीजेपी नेत्री श्रीमती संध्या अजय साहू ने बिजली कंपनी के द्वारा जारी की गई बिजली बिल पर अपना विचार रखते हुए बयान जारी किया है कि मंहगाई पर केन्द्र सरकार को रात दिन खरी-खोटी सुनाने वाले कांग्रेस पार्टी मंहगाई की मायने पहले ढंग से समझे फिर केन्द्र सरकार का विरोध करे। राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने दूहरा रवैया अपनाते हुए स्वंय मलाई हजम कर रही है जबकि मलाई मंहगा करने का आरोप केन्द्र सरकार पर मढ़ती है। आखिरकार जिला के अंदर सरकारी निर्माण कार्यों में बिजली चोरी पर संबंधित ठेंकदारो पर बिजली चोरी से संबंधित मामला दर्ज कर उनसे पैसा क्यों नहीं वसूल करती है? 
सत्ता सरकार से संरक्षित ठेकेदारों को चोरी करने का लाइसेंस आखिरकार किसने प्रदान किया है?

कांग्रेसी ठेकेदारों को चोरी की बिजली तक फ्री, लेकिन आम जनता को बढ़ी हुई बिजली बिल आखिर कब तक?

anutrickz

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