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कोसागोंदी सरपंच सीमा ध्रुव मामले में पुनः जांच, गांव में दहशत का माहौल।

@विनोद नेताम
बालोद : किसी भी समाज के अंदर महिलाओं से जुड़े हुए अपराध को समाज की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखी जाती है। दुनिया के लगभग हर सभ्य समाज महिलाओं की सम्मान को लेकर सजग और चिंतित हैं। भारतीय समाज के अंदर भी महिलाओं से जुड़े हुए अपराध को  काफी गलत नजरिए से देखा जाता है। लिहाजा महिलाओं से जुड़े हुए अपराधों में भारी सजा का प्रावधान है। हालांकि कई बार भारतीय समाज के अंदर भी समय पर महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता है,जबकि धरातल पर कानून का इकबाल बुलंद हैं। रसूखदार और सफेदपोश नेताओं सहित दंबगो के द्वारा ज्यादातर महिला अपराध के मामले में दखल देने से महिलाओं को समय पर न्याय नहीं मिल पाता है। महिलाओं को न्याय से वंचित रखना समाजिक दृष्टिकोण के हिसाब से कतैई सही नहीं माना जा सकता है, लेकिन ऐसा होता है और देखा जाता है जो कि चिंता का विषय है। छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला अंतर्गत एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जंहा पर एक पिड़ित महिला विगत कई महीनों से न्याय की तलाश में भटक रही है। जिला के अंदर बढ़ती हुई महिलाओं के साथ अपराधिक घटनाएं निश्चित रूप से जिलावासियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन इससे बड़ी चिंता का विषय यह है कि महिलाओं को जिला के अंदर न्याय नहीं मिल पा रहा है। न्याय की तलाश में एक पिड़ित महिला महिनों पुलिस विभाग की चक्कर कांट रही है। महिला पुलिस विभाग के चक्कर कांट कांट के हार गई तब जाकर पिड़ित महिला पुलिस अधीक्षक से कुछ दिनों पहले पुनः न्याय की गुहार लगाई है। दरअसल जिला के गुरूर थाना अंतर्गत कोसागोंदी ग्राम पंचायत के महिला सरपंच सीमा ध्रुव मामले में बालोद पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र कुमार यादव के समक्ष शिकायत प्रस्तुत करने के बाद घटना की दोबारा बालोद पुलिस पुनः जांच की बात कह रही है। ज्ञात हो कि पूर्व में ग्राम पंचायत कोसागोंदी के महिला सरपंच सीमा ध्रुव ने आजाक थाना बालोद में शिकायत दर्ज कराई थी। पिड़ित आदीवासी महिला की मानें तो उन्होंने इससे पहले आजाक थाना बालोद में शिकायत पत्र सौंपा दिया था। जिस पर पिड़ित आदीवासी महिला को न्याय दिलाने हेतू कोई प्रयास नहीं किया यंहा तक महिला की शिकायत तक दर्ज नहीं की गई सिर्फ बयान दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ता में डाल दिया गया,जबकि न्याय के अधिकार से वंचित पिड़ित महिला और उनके नाबालिग बेटीयां पुलिस के द्वारा आरोपियों पर कार्यवाही नहीं करने से काफी भयभीत व डरे हुए बताये जा रहे है। पिड़ित आदीवासी महिला आरोपियों पर कार्यवाही करने हेतू लगातार पुलिस प्रशासन के पास आकर न्याय की भीख मांग रही है।

" पिड़ित महिला बालोद पुलिस अधीक्षक के समझ ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गुरूर एवं एक अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता के नाम पर भी शिकायत दर्ज कराई है। महिला ने शिकायत पत्र में साफ लिखा है कि मामले को दबाने हेतू उन पर ग्रामीणों के साथ मिलकर कांग्रेसी नेताओं ने दबाव बनाया था। उनकी बात नहीं मानने पर पिड़ित महिला के साथ अभ्रद्रता पूर्ण व्यवहार किया गया है। वंही दूसरी ओर कोसागोंदी में ग्रामीणों के मध्य इस बात की चर्चा जोरों पर है कि मामले को रफा-दफा करने हेतू ग्रामीण सिमिती से गांव वालों द्वारा पच्चास हजार रुपए निकाल कर पुलिस वालों को मामले में कोई कार्यवाही नहीं करने हेतू पैसा खिलाया गया है। अब सच क्या है यह तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है,लेकिन गांव में फिलहाल ऐसी चर्चा  जगह जगह गुंजेमान है। 

पिड़ित आदीवासी महिला सीमा ध्रुव मामले में दोबारा जांच होने से गांव में  हड़कंप मचने की बात कही जा रही है। ग्रामीण 50 हजार रुपए रिश्वत  की बात को लेकर खुले तौर पर आपस में गांव के अंदर जगह जगह बहस कर रहे है। ज्यादातर ग्रामीण इस बात से खफा व नाराज बताए जा रहे है कि मामले में आरोपीयों को बचाने हेतू गांव की पैसों को खर्च किया गया है,जबकि घटना से गांव के कई लोगों का कोई लेना-देना नहीं है। मामले में दंबगो की जबदस्त पैंतरा बाजी की बात जग जाहिर है। ऐसे में 50 हजार की बात हजम नहीं हो रही है। मामले में ग्रामीणों के मूंह निकलने वाली 50 हजार का रिस्वत किसी बड़ी साज़िश की ओर इशारा कर रही है, वंही पुलिस प्रशासन के कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है। पिड़ित महिला मामले में महिला के पक्ष में बयान देने के अफवाह में दंबगो ने गांव के अन्य और महिलाओं को बुरी तरह प्रताड़ित करने की बात भी कथित रूप से सामने आई है। पिड़ित महिला सीमा ध्रुव के नाबालिग बेटीयां तक दंबगो के डर से भयभीत बताई गई है। 
  
      क्या है पूरा मामला आईये जाने... 
दरअसल 27 अगस्त 2022 को ग्राम पंचायत कोसागोंदी के सरपंच सीमा ध्रुव उम्र 40 वर्ष पति स्व: गबेलाल ध्रुव को गांव के ही कुछ दंबग लोग जो अपने आप को गांव के कर्ताधर्ता मानकर चल रहे है‌। इन दंबगो के द्वारा महिला सरपंच की चरित्र पर संदेह जाहिर करते हुए अनर्गल आरोप लगाए थे। पिड़ित महिला की मानें तो उनके कुछ ग्रामीणों द्वारा गाली गलौज सहित पुरे गांव वालों की मौजूदगी में दंबगो ने गांव में बैठक आहूत कर बीच बैठक में पूरे गांव वालों के सामने पिड़ित महिला पर मनगढ़ंत कहानी बना कर जबदस्ती गुनाह कबूल कर हस्ताक्षर करने हेतू बाध्य किया है। वंही महिला को 25 हजार रुपए आर्थिक दंड भी इन दंबगो ने लगाया है। माना जाता है कि देश में कानून और संविधान का राज है, लेकिन कोसागोंदी के ग्रामीणों ने जो कृत्य सीमा ध्रुव के साथ किया है वह कौन सा कानून और संविधान के किताब में लिखा है यह बताना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। हैरान करने वाली बात यह है कि ग्रामीणों के साथ सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय नेता तक मामले में महिला को प्रताड़ित करने से बाज नहीं आये है। हालांकि पिड़ित महिला ने सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेताओं का नाम बकायदा बालोद पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा है उसमें उल्लेख कर दिया है। वैसे कानून के अनुसार ग्रामीणो को कानून हाथ में लेकर कुछ भी फैसला करने से साफ बचना चाहिए था, लेकिन अब कोसागोंदी में यह निती अपनाई नहीं गई है लिहाजा पुलिसिया जांच और कार्यवाही स्वाभाविक है।

आखिर में चंद सवाल शासन को लेकर खड़ा किया जा रहा है,जो इस प्रकार है।

क्या महिला के शिकायत पर बालोद पुलिस अबतक महिला के गांव जांच करने हेतू पहुंचा है?

सत्ता धारी राजनीतिक दल के नेताओं का नाम मामले में जुड़ने से बालोद पुलिस कार्यवाही करने से क्या पिछे हट रही है?

 महिला अपराध से संबंधित मामला में पुलिस की लेटतलीफी क्या जायज है? 

आखिरकार बालोद पुलिस समानांतर सरकार चलाने वाले दंबगो को उनके किये पर सजा दिलवाने की बजाए मामले में लीपापोती करने पर इतने दिनों तक क्यों लगी रही?

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