@विनोद नेताम
बालोद : समस्त संसार भर में छत्तिसगढ़ राज्य को आदीवासी समुदाय बाहुल्य राज्य की तौर पर जाना व पहचाना जाता है। राज्य में मौजूद आदीवासियों की सभ्यता और संस्कृति विश्व विख्यात है। जनजाति बाहुल्य राज्य होने के नाते राज्य में आदीवासी समुदाय से जुड़े हुए लोगों की संख्या देखा जाए अन्य समुदायों के लोगों से अधिक है। राज्य के ज्यादातर आदीवासी गरीब और पिछड़ेपन की शिकार है। जानकारों की मानें तो राज्य के अंदर सबसे ज़्यादा अपराध से पिड़ित आदीवासी समाज से जुड़े हुए लोग ही हैं। यानी की राज्य में मौजूद आदीवासियों के साथ अपराधिक मामले से संबंधित जुड़े हुई घटना आम बात बन कर रह गई। हालांकि राज्य में मौजूद कांग्रेस सरकार आदीवासियों के साथ उनके सुख और दुख में खड़े होने की बात तो कहती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर सच्चाई अलग बंया कर रही है। ज्यादातर आदीवासियों की मानें तो उनकी जल जंगल जमीन को हड़पने के लिए सफेदपोश नेताओं ने ही सबसे पहले जाल बिछाने की शुरुआत को राज्य में अंजाम दिया है और यह निरंतर जारी है। ऐसे ही घटना का जिक्र बालोद जिला के गुरूर थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली ग्राम पंचायत कोसागोंदी की एक विधवा आदीवासी महिला है। इस महिला ने सत्ताधारी राजनीतिक दल यानी कि कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता पर अपराधिक मामला दर्ज करने की शिकायत बालोद पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र कुमार यादव से करते हुए राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दिया है। दरअसल आदीवासी समाज से ताल्लुकात रखने वाली पिड़ित महिला ने गुरूर ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष तामेश्वर साहू और कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ता तोमन साहू के नाम बालोद पुलिस अधीक्षक को शिकायत पत्र सौंपा है। पिड़ित आदीवासी महिला के द्वारा बालोद पुलिस अधीक्षक के नाम सौंपी गई शिकायत पत्र में तामेश्वर साहू ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गुरूर एवं कांग्रेस कार्यकर्ता तोमन साहू पर महिला ने आरोप लगाया है कि 2 अक्टूबर 2022 के दरमियान गांव महिला को आ.जा.क.थाना बालोद बुलाया गया था जंहा पर आरोपियों के साथ गांव के कुछ लोग व तामेश्वर साहू एवं तोमन साहू मिले। इस दौरान आदीवासी महिला को पूर्व में उनके द्वारा की गई नामजद शिकायत को वापस लेने हेतू उन पर दबाव बनाया गया। पिड़ित महिला को बयान पर जबदस्ती हस्ताक्षर करने हेतू उनकी नाबालिग बेटियों के नाम पर धमकी दीया गया। महिला के द्वारा समझौता नहीं करने पर उन्हें गुरूर ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष तामेश्वर साहू और तोमन साहू के द्वारा प्रताड़ित और बेइज्जत किया गया। महिला की शिकायत पर बालोद पुलिस अधीक्षक ने महिला को कार्यवाही का आश्वासन दिया है। हालांकि पिड़ित महिला के शिकायत पर बालोद पुलिस अबतक महिला को न्याय दिलाने पाने में नाकाबिल साबित हुई है। बता दें कि उक्त पिड़ित महिला पूर्व में ग्राम पंचायत सरपंच रह चुकी है। सरपंच पद पर रहते हुए गांव के कुछ दबंगों ने आदीवासी महिला सरपंच की चरित्र पर सवाल उठाते हुए सरपंच पद से साजीश कर अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से बहिष्कृत करवा दिया। पिड़ित विधवा महिला की मानें तो उन्होंने कोई ग़लत काम नहीं किया है, जिसके चलते उनके चरित्र पर सवाल खड़े किए गए हैं। गांव के कुछ लोग नीजी दुश्मनी भूनाने हेतू उनके पति की मौत होने से लगातार परेशान कर रहे हैं। उन्हें गांव में गंदी गंदी गालियां दी गई है जबदस्ती आर्थिक दंड लिया गया है। जब महिला से सहन नहीं हुआ तब घटना को लेकर महिला ने लगभग दो माह पूर्व बालोद पुलिस के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर कार्यवाही करने का मांग किया है। महिला की आवेदन पर बालोद पुलिस ने अबतक कोई कार्यवाही नहीं किया है। वंही आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने से पिड़ित महिला काफी हताश और निराश है। पिड़ित महिला ने मिडिया के सामने कहा कि कार्यवाही नहीं होने पर धरना वह अपने बच्चों संग धरना देगी। वैसे देखा जाए तो बालोद जिला राज्य के महिला बाल विकास व समाज कल्याण विभाग मंत्री अनिला भेड़िया की गृह जिला है। जहां पर आदीवासी महिला के साथ इस तरह की घटना से संबंधित मामला सामने आया है। कुछ दिन पहले छात्रावास में नाबालिग बेटी के साथ हुई दुष्कर्म मामले में अनिला भेड़िया विवादों में घिर चुकी है। ऐसे में गृह जिला के अंदर एक महिला को न्याय के लिए इस तरह से भटकते हुए देख मंत्री महोदया को संज्ञान लेना चाहिए। मामले में बालोद पुलिस की लेतलतीफी राजनीतिक सडयंत्र की ओर इशारा कर रहा है। वंही राजनीतिक सडयंत्र की इशारा को पिड़ित आदीवासी महिला की बालोद जिला पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र कुमार यादव से की गई शिकायत पत्र काफी मजबूती प्रदान कर रहा है। अब देखना यह है कि मामले में मौजूदा सरकार खोखली आदीवासी हितैषी होने की निती पर कायम रहते हुए कानून को काम करने से रोके रखती है अथवा महिला को न्याय दिलाने हेतू सरकार खुद आगे बढ़कर मामले में कार्यवाही करती है।