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मनमर्जी के आते जाते अधिकारीयों पर आखिरकार जिम्मेदारी का बोझ कब।

                               विनोद नेताम
    बालोद :  छत्तीसगढ सरकार को हर सरकारी कार्यालयों अस्पतालों स्कूलों में बायोमेट्रिक हाजिरी आरंभ कर देना चाहिए ताकि सरकारी सेवा का समुचित सही लाभ जनता को मिल सके और व्यवस्था में अनुशासन कायम हो सके | 
"हाल के दिनों में देखने को मिल रहा है कि जबसे सरकार ने नये फैसला लागू किया है तब से सरकारी नियम अनुसार सप्ताह में दो दिन सरकारी दफ्तरों में काम बंद रहेंगे। अब ऐसे में सप्ताह के शुरुआती दिनों के दौरान एक दिन अधिकारी कलेक्टर के टी.एल. बैठक में व एक दिन जनदर्शन में चले जाते है। बांकी बचे दिनों में अधिकांश बाबू एवं साहब टी.एल .बैठक की तैयारी में व्यस्त रहते है। लिहाजा लोगों का काम नहीं हो पा रहा है जबकि आये दिन जनता दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हैं! सप्ताह के बचे दिनों के दौरान कार्य दिवस मे कोई त्यौहार जयंती हो जाने या कंही किसी राजनेता का आगमन बड़े साहब का बुलवा हो जाता है। तब  तो फिर पब्लिक का काम अटक कर रह जाना स्वाभाविक है। आफिसों में साहब-बाबू का अस्पतालों में डाक्टर एवं स्टाफ का स्कूलों में शिक्षकों के आने और जाने का तय टाईम टेबल भले सरकार ने बढा दिया है पर सौ फिसदी हकिकत तो यही है की छत्तीसगढ़ सरकार के नये टाइम टेबल का कंही पर भी पालन नहीं हो रहा है। अधिकारी कर्मचारी आज भी पुराने ढर्रे के अनुसार मनमर्जी से आ रहे है - जा रहे हैं । कहा जाता है " अनुशासन देश को महान बनाता है " पर जिला में अनुशासन अधिकांश जगह विलुप्त नजर आ रहा है | समय की पाबंदी और सेवा की उत्कृष्टता पर किसी का ध्यान नहीं, ध्यान है तो बस कम से कम सेवा और अधिक से अधिक मेवा पा जाने का और आने वाली कई पीढीयों के लिए सकेल लेने की ताकी उन्हें किसी भी चिज़ के लिए हाथ फैलाने की आवश्यकता ना पड़ें। 
सरकारी व्यवस्था में अनुशासन स्थापित करने - और सरकारी सेवा का जनता को समुचित जन अपेक्षित लाभ सुलभ कराने सरकार के मुखिया (मुखिया) को तथा जिला- प्रशासन  के प्रमुख कलेक्टर को इस बात पर गंभीरता से गौर कर पहल -प्रयास करना चाहिए। ज्ञात हो कि विगत दिनों गुरूर जनपद पंचायत कार्यालय में मुख्य कार्यपालन अधिकारी राजेंद्र पटौदी के द्वारा समीक्षा बैठक आयोजित किया गया था। उक्त बैठक में विकासखंड क्षेत्र के कई जिम्मेदार अधिकारी नादरद मिले, हालांकि उन्हें बैठक से पूर्व बैठक से संबंधित पूर्ण जानकारी दिया गया था। उक्त मामले में किसी भी प्रकार की कार्यवाही जिला प्रशासन के द्वारा समीक्षा बैठक से नदारद रहने वाले अधिकारियों पर अबतक नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि जल्द ही गुरूर विकासखंड क्षेत्र में प्रदेश स्तर के अधिकारियों का दौरा होगा ऐसे में विकासखंड अधिकारियो की समीक्षा बैठक से गायब रहना कंहा उचित है यह जिला प्रशासन को समझने की आवश्यकता है। ज्यादातर लोगों की  विकासखण्ड गुरूर क्षेत्र के सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों की गैरमौजूदगी की शिकायत रहती है। विकासखण्ड क्षेत्र के आम जनता काम नहीं होने के चलते जिला कार्यालय की रूख करते हैं। जिला मुख्यालय आने जाने पर जिला वासियों का पैसा और समय की बर्बादी होती है।

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