क्या कांग्रेस 2024 की लोकसभा चुनाव में सत्ता पर पुनः आ जाए, तो ये विनाशकारी आर्थिक नीति, पूुंजीवाद, निजीकरण की नीति महंगाई वगैरह बदल देगी? जिस तरह से कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ताओ में मौजूदा स्थिति को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। उसे देखकर क्या आपको लगता है कि राहुल गांधी या फिर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद देश में स्थित सब बदल जायेगी। चूंकि मंदी और मंहगाई का दौर पूरे संसार भर में इस वक्त मौजूद है ऐसे में कांग्रेसी नेताओं की हाय-तौबा कंहा तक उचित है।
सिर्फ कांग्रेसी नेता ही कोई भूल मे न रहिये, कतई नही बदेलगी।
न आप बदलेगी, न ममता न कोई और..
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जितनी आजादी आप और हम, मीडिया, कोर्ट या दूसरी संस्थाऐ जो खुशी खुशी खो चुकी हैं, उतनी आपको जबरन लौटाने कोई सरकार नही आएगी। अपनी जो ताकत आप देशभक्ति, धर्मभक्ति मे सरेंडर कर चुके, वह तो गई, सदा के लिए। वैसे भी देश की राजनीतिक दल आप पर शासन करने आती है।
भविष्य मे कभी भी अगर आपको ताकत हासिल होगी, तो किसी आंदोलन के बूते होगी। या किसी ऐसे व्यक्तित्व की सरकार होने पर जो संत पुरूष हो,लेकिन पॉलिटिशियन नही। जिसे सरकार का इकबाल गिराकर जनता की आजादी बढ़ाने की खुजली हो।
मंहगाई कम होगी, पेट्रोल डीजल के दाम घटेगें, रोजगार बढेंगे, बस मामूली। लेकिन कोई बिकी हुई कंपनी या संपत्ति नेशनलाइज हो जाएगी, ऐसी उम्मीद मत कीजिए।
यह सब स्थाई परीवर्तन है, अब आम नागरिक के जीवन पर रेजीम की स्थाई शर्त है, और आने वाली पीढियों की नियति। आप जो कर सकते है, वो यह कि इसे यहीं रोक सकते हैं।
इसे अपनी सहनशक्ति की मैक्सिमम लिमिट बताकर आगे सहने से इन्कार कर सकते है, इन्हे बदलने की कमर कस सकते है। इस सरकार को सजा और आने वाली सरकारो को चेतावनी दे सकते है। या फिर असमंजस मे और समय देकर ,वर्तमान सरकार को और वजन लादने का मौका, और आने वाली सरकारों को प्रिसिडेंट दे सकते है।
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जहां तक आर्थिक नीतियो का सवाल है, हर किसी को ये सरकार कांग्रेस की नीतियों पर ही चलती प्रतीत होती है, लेकिन मामूली फेरबदल के साथ। याने चलो, मत रूको
चलो मत, रूको
सिर्फ एक कॉमा बदलकर कांग्रेसी नीतियां आज सर के बल खड़ी कर दी गई हैं। हर नीति का अर्थ उलट गया है। अब आप अगर बदलाव करते है, तो सिर्फ वह कॉमा अपनी जगह पर लौट सकने की संभावना है, गारंटी नही। गांरटी है कि बदलाव न करने पर कामा वहीं रहेगा जहां अभी है। याने .. -
चलो मत, ... रूको !!!