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लबरा के नौ नांगर

          विनोद नेताम        
  बालोद -:आम जिंदगी में हमारा सामना कभी न कभी ऐसे व्यक्ति से जरूर हुआ होगा ,जिसे बढ़ाचढ़ा कर बोलने की आदत हो। ऐसे लोग वाहवाही लूटने के लिए कभी भी किसी छोटे से बात को आसानी से आधे एक घंटे तक खींच सकते हैं।

शायद ऐसे ही लोगों के कारण 'एक हाथ खीरा के नौ हाथ बीजा' वाली कहावत बना होगा। ऐसे लोग कभी कभी अपने इन्ही आदतों  के कारण हँसी का पात्र भी बन जाते हैं।
ऐसे ही व्यक्ति पर आधारित छत्तीसगढ़ की एक कहानी हम पाठकों के मध्य प्रस्तुत कर रहे है। इस कहानी को भेंट वार्ता मुलाकात कार्यक्रम का नाम दिया गया है और इस कहानी के मुख्य पात्र हैं मुखिया जी। फिलहाल इस कहानी को मुखिया जी द्वारा सूब्बे के बालोद जिला में चरितार्थ किए जाने की खबर जोरों पर है। इससे पहले यह कहानी छत्तिसगढ़ राज्य के कई जिलों में देखें व सुने जा चुके है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य भारत के गरीब और पिछड़ा हुआ राज्य है, जहां पर निवास करने वाले ज्यादातर बासिंदे गरीब और मधुर बोलचाल वाले के लिए जाने व पहचाने जाते है। शुक्र है कि गरीब धरती में रहने वाले लोगों की अगवानी करने वाले ज्यादातर जनप्रतिनिधि करोड़पति हैं, यंहा तक मुखिया जी भी। कहा जाता है कि गरीब की पीड़ा गरीब ही समझ सकता है। अब राज्य के करोड़पति मुखिया, विधायक और सांसद प्रदेश में रहने वाले गरीब बासिंदो की बहदाल गरीबी को अबतक कितना समझ पाये है? यह शोध का विषय हो सकता है। गौरतलब हो कि राज्य गठन के पश्चात प्रदेश के अंदर विकास तो खूब हुआ है,लेकिन जमीनी स्तर पर जिन्हें विकास की अति आवश्यकता रही उन्हें तक सिर्फ विकास का खाली प्याला ही पहुंचाया गया है। यानी कि जंहा पर विकास की मूल जरूरत रही उससे उल्ट विकास की एक अलग गंगा बहाई गई है,जबकि हकीकत के धरातल पर मंजर कुछ और है। नतिजतन वर्तमान समय के दौरान उसी उल्टी गंगा में डुबकी लगाकर राज्य के मुखिया जी लोगों को भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम के माध्यम से मिलकर लोगों को उल्टी विकास गाथा सुना व दिखा रहे है। इस कार्यक्रम के जरिए मजा लूट रहे है और लूटा भी रहे है। मजे की बात यह है कि प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में लबरा,ठगरा,नून चोर,चांउर चोर अनेक ऐसे पात्र रहे है,जिनके द्वारा भी पहले उल्टी गंगा में डुबकी लगाई गई थी साथ ही लोगों को भी इस गंगा में खूब डूबकी लगवाई गई थी। लोगों को डूबकी लगवाने हेतु उनके ओर से भी भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम की तरह बड़े बड़े कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इस दौरान आज के माफिक भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम में जो गतिविधियां लोगों को देखने व सुनने को मिल राहा है ठीक उसी माफिक लोगों को पहले भी गतिविधियां देखने को मिली है। मशलन अधिकारियों पर कार्यवाही,अपनी वाहवाही बटोरने हेतू खुद की तारिफो का पुल बांधना और कर्ज लेकर लोगों को फोकट में घी बांटना वैगरह वैगरह शामिल है। दरअसल मुखिया जी इस कार्यक्रम के बहाने लोगों की सैम्पेथीयों से खिलवाड़ कर रहे हैं और लोगों की सैंम्पैथी से खिलवाड़ करने का रिवाज लगभग हर भारतीय राजनीतिक दल में देखी जाती है। ऐसे में जरूरत है अपनी सैंम्पथी की रक्षा आम आदमी स्वयं करें ताकि आपकी सैंम्पथीयो का इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ के लिए ना कर सके। चूंकि झूठी वाहवाही लूटा कर जनता का वोट हासिल करने का राजनेताओं और राजनीतिक दलों का पुराना धंधा राहा है, जिसके दम पर जनता के उपर राजनीतिक दल और राजनेता हुकूमत करने का दावा करते है। अतः आम मतदाताओं को मुखिया जी के हां में हां मिलाने की बजाए उनसे सवाल पुछना चाहिए अपनी अधिकारों से जुड़े हुए ताकी आपको पता चल सके कि करोड़पति मुखिया ने आपकी सैंम्पथी का इस्तेमाल करके आपके लिए कितना कार्य किया है, और क्या क्या कार्य किया है। आपकी उम्मीदों पर कंहा तक खरा उतरा है परखीईए मुखिया के कार्यों को जिनके दम पर भेंटवार्ता मुलाकात कार्यक्रम में खूब वाहवाही बटोरी जा रही है। वैसे देखा जाए तो मुखिया के आगमन से पहले इस कार्यक्रम को मजेदार बनाने हेतू तमाम तरह के मनोरंजक संसाधनों का प्रबंध पहले ही किया गया है। जानकारों की मानें तो इस कार्यक्रम के दौरान मुखिया जी अपने कार्यों की समीक्षा आम जनता के मध्य अपने तरीके से करना चाहते है ताकी उन्हें भरपूर मात्रा में वाहवाही मिल सके। चूंकि मुखिया जी को इस वक्त वाहवाही बटोरने की अति आवश्यकता है लिहाजा समीक्षा वाली जगहों पर जाने से परहेज़ कर रहे है। ऐसे में आम जनता को यह सलाह है कि झूठी वाहवाही बटोरने वाले लक्ष्क्षेदार जूमला सहने की बजाए मुखिया की कार्यों की समीक्षा किया जाए ताकि गरीबों के धरती पर रहने वाले अमीर राजनेताओं की करोड़पति बनने का राज स्पष्ट रूप से जनता के मध्य समकक्ष आ जाए।

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