बालोद : कुछ अरसा पहले ग्लोबल एजुकेशन से संबंधित एक रिपोर्ट जारी हुआ था,जिसमें विश्व के 127 देशों में भारत का स्थान 106 पर होने की बात कही गई थी!यद्यपि भारत विश्व की सबसे तेज विकास करने वाली शक्तियों में शुमार है किंतु आजादी के इतने वर्षो बाद भी लगभग 40% लोग अशिक्षा के अंधकार से निकलने में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है,जो कि गंभीर चिंतन का विषय है!वैसे देखा जाए तो भारत में शिक्षा तेजी के साथ व्यापार का रुप लेता जा रहा है,ऐसे में सरकारों के लिए भी बदहाल शिक्षा व्यवस्था एक चुनौती बनकर उभरी है!उभरी हुई तमाम चुनौतीयो से बराबरी करने हेतू सरकारें भी अपने स्तर पर काम कर रही है जो कि एक अच्छा संदेश माना जा सकता है!देश के अंदर संचालित ज्यादातर सरकारी स्कूल शिक्षा संसाधनों से अपूर्ण है,जबकि प्राईवेट स्कूलों में संसाधनों की कोई कमी नहीं है!हर साल बदहाल शिक्षा व्यवस्था में हरियाली बहाल करने में सिस्टम करोड़ों रुपए ऐसे फूंकता है, मानो बदहाली के आलम से जूझ रही सरकारी स्कूलों में शिक्षा का बाहर बसंत बन कर खिल आयेगा,लेकिन हकीकत के धरातल में टटोलने पर जीरो बटा सन्नाटा से ज्यादा और कुछ नहीं मिलता है!हां कई बार नेता और अधिकारी चेहरा चमकाने के नियत से बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर आंसू बहाते हुए जरूर देखा जाता है!देश के ज्यादातर सरकारों ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर कुछ अलग करने का प्रयास किया है,जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के मौजूदा सरकार भी शामिल है!राज्य सरकार के द्वारा स्वामी आत्मानंद स्कूल के जरिए राज्य में शिक्षा की स्तर को बेहतर बनाने में तल्लीनता से प्रयासरत है!लोगो कि मानें तो छत्तिसगढ़ सरकार की आत्मा बस रही है 'स्वामी आत्मानंद स्कूल में वैसे देखा जाए तो लोगों की यह धारणा गलत नजर नहीं आती है!भूपेश बघेल सरकार राज्य के अंदर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने हेतू स्वामी आत्मानंद स्कूल का एक बढ़िया विकल्प और कारगर स्वरूप प्रदेश वासियों के मध्य स्थापित किया है!छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा स्थापित स्वामी आत्मानंद स्कूल निश्चित तौर पर भविष्य के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में नया किर्तिमान स्थापित करेगा इसमें कोई संदेह नहीं है,लेकिन राज्य के अंदर मौजूद ग्रामीण अंचल क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था में भी स्वामी आत्मानंद स्कूल की झलक मिल जाए तो बुराई नहीं नजर आना चाहिए!इन दिनों प्रदेश के ज्यादातर ग्रामीण अंचल क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों की हड़ताल के चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ठप्प पड़ी हुई है,जबकि छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता सुधारने के नाम पर प्रदेश की जनता को स्वामी आत्मानंद स्कूल के जरिए यह बताने में जुटी हुई है,कि सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में तूर्रा हासिल कर लिया है !दरअसल छत्तिसगढ़ जैसे गरीब राज्य में शिक्षा व्यवस्था के नाम पर अबतक महज बड़ी बड़ी ढिंढोरा देखने को मिला है!बहरहाल राज्य के संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने बालोद जिला के अंतर्गत संजारी बालोद विधानसभा में पिछले कई वर्षों से खस्ता हालत में नजर आने वाली सरकारी स्कूलों में बहार लाने के नियत से नव निर्माण व मरम्मत कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है,जिसके विधायक महोदया ने जिला खनिज न्यास निधि फंड का इस्तेमाल करने का लक्ष्य हासिल किया है!उक्त मामले में बालोद जिला में पदस्थ रहने वाले पूर्व जिलाधीश महोदय ने हामी भरते हुए तत्काल हरीझंडी प्रदान कर दिया! हालांकि विधायक संगीता सिन्हा के इस प्रयास को कुछ लोग कमीशनखोरी करने की नियत से की जाने वाली प्रयोजन बताया है!इसके पिछे लोगो ने यह तर्क दिया है,कि जिला में इससे पहले खनिज न्यास निधि फंड का उपयोग जिले के आंगनबाड़ीयो केन्द्रों में टाईल्स लगाने हेतू किया गया था!जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ीयो में लगाई गई टाईल्स के बारे मेें संबंधित विभाग के अधिकारी नहीं जानते है,जबकि करोड़ों रुपए खर्च कर आंगनबाड़ीयो में लगाई गई टाईल्स उखड़ कर गिर गया है!टाइल्स गिरने के कारण कुछ बच्चों को चोंट तक आई जिसके बावजूद यह पता नहीं लगाया जा सका की गुणवत्ताहिन निर्माण कार्य को अंजाम दे कर तिजोरी भरने वाले लोग कौन है!निश्चित तौर पर संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा द्वारा किए जा रहे प्रयास काबिले है, लेकिन विधायक के द्वारा किए जा रहे प्रयास को प्रयोजन करार देने वाले लोगों का तर्क कंहा तक सही है स्वंय विचार करें .........कलम से क्रांति विनोद नेताम !