रायपुर : इतिहास गवाह है जब जब किसी व्यक्ति, राष्ट्र,का पतन हुआ है तब तब पतन का कारण उसके अपने ही होते है!आपको घर की भेदी लंका ढाए वाली कहावत याद होगी!वैसे पतन के कई उदाहरण इन दिनों लोगों को स्पष्ट तौर जमीनी धरातल पर देखने को मिल रही है,जिसमें भारत के सबसे पुरानी मानें जाने वाली राजनीतिक दल कांग्रेस पार्टी को लेकर भी यह स्थिति काफी दिनों से देखने को मिल रही है!निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए इस तरह की गतिविधियां चिंता को और ज्यादा बढ़ाने वाली है!वैसे भी कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर विरोधी कांग्रेस मुक्त भारत के सपने को पूरा करने में लगे हुए है,जिसके चलते उनके द्वारा इन दिनों कई फार्मूला पर काम किए जाने की बात स्पष्ट साफ तौर पर लोगों को दिख रही है!विरोधी अपने सपने को साकार करने हेतू इन दिनों कांग्रेस पार्टी पर जम कर हावी है,ऐसे में अंदरूनी कलह से ग्रस्त कांग्रेस पार्टी के लिए आपसी एकजुटता किसी संजीवनी से कम नहीं है!वैसे भी कांग्रेस पार्टी विरोधी के द्वारा फैलाई गई दलदल में फंसकर इन दिनों वेंटिलेटर पर पड़ी हुई है, आपरेशन लोटस् और लगातार ईडी की पूछताछ से आहत कांग्रेसी नेताओं की राजनीतिक वजूद पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे है! अतः सदगुरु कबीर दास जी के कहे शब्दों का अनुकरण करते हुए कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ना चाहिए,ताकी भविष्य में इसका परिणाम कांग्रेस पार्टी के लिए बढ़िया और कारगर साबित हो सके वैसे कांग्रेस पार्टी के लिए छत्तिसगढ़ सरकार के द्वारा किए गए जनहित कार्य कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति को आम जनता के मध्य रखने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है,लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार और प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तिसगढ़ के मध्य में जारी तकरार भविष्य में राज्य के किसी बड़े राजनीतिक अलटफेर की ओर इशारा कर रही है ! 📌धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय 📌 छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और प्रदेश कांग्रेस कमेटी छत्तिसगढ़ के अंदर विगत कई दिनों से भितरखाने में काफी गहमागहमी मचने की स्थिति लोगों को स्पष्ट तौर पर नजर आ रही है!वैसे राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो निश्चित तौर पर छत्तिसगढ़ सरकार और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मध्य मची गहमागहमी की सुगबुगाहट किसी बड़े खतरे से कम नहीं है!अब छत्तिसगढ़ सरकार और कांग्रेस पार्टी इस खतरे को किस तरह से देखती है और इस खतरे से निपटने हेतू क्या फार्मूला या उपाय खोज निकालती है यह देखने वाली बात है!बहरहाल इस गहमागहमी के उदड़बून से निकलने की एक बड़ी प्रयास करने हेतू राजधानी रायपुर में स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय राजीव भवन में प्रदेश कार्यकारिणी की समीक्षा बैठक संपन्न होने की खबर है!खबर के अनुसार छत्तिसगढ़ कांग्रेस कमेटी और मौजूदा सरकार आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 9अगस्त से प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पदयात्रा की शुरुआत करने जा रही है!इस दौरान कांग्रेस पार्टी राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लगभग 75 किलोमीटर की पदयात्रा को अंजाम देंगे!कांग्रेस कमेटी छत्तिसगढ़ की ओर से किए जाने वाली इस पदयात्रा को लेकर यह अटकल लगाई जा रही है,कि कांग्रेस पार्टी इस पदयात्रा के जरिए से प्रदेश के अंदर राजनीतिक पृष्ठभूमि को मजबूत करने के कवायद में एक बार पुनः जुटने का प्रयास करेगी,कम से कम पदयात्रा के बहाने ही सही पार्टी की एकजुटता भी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सामने आ जायेगी!अब दो धड़ों में बिखरती हुई प्रतीत नजर आ रही कांग्रेस पार्टी की 9 अगस्त से शुरू होने वाले पदयात्रा को राज्य के जनता किस तरह से लेती है यह पदयात्रा आम जनता पर कितना प्रभाव डालती है और कांग्रेस पार्टी और मौजूदा छत्तिसगढ़ सरकार को किस हद तक फायदा या नुकसान पहुंचाती है यह पार्टी की एकजुटता पर टिकी हुई है!यानी कि जनता आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की मौजूदा स्थिति पर भी एक बार नजर डालेगी यह माना जा सकता है!वैसे कांग्रेस पार्टी प्रस्तावित पदयात्रा को लेकर काफी उत्साहित और गंभीर प्रतित नजर आ रही है! कांग्रेस पार्टी की ओर से पदयात्रा की सफलता हेतू प्रदेश सरकार द्वारा संचालित जनहित योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है!प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी की समीक्षा बैठक के दौरान पदयात्रा को लेकर काफी गंभीरता भरी बानगी देखने को मिली है,जो कि इस पदयात्रा की उपयोगिता को दर्शाता है!देखा जाए तो पिछले काफी दिनों से कांग्रेस कमेटी छत्तिसगढ़ के अंदर और कांग्रेस पार्टी की मौजूदा सरकार के मध्य तालमेल की बेहद कमी नजर आ रही थी,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस कमेटी से लगातार नाराज चल रहे थे प्रदेश कार्यकारिणी के बैठक में खुलेआम नाराजगी जाहिर करते हुए देखा गया है!इस बिच जूम्मा जूम्मा कुछ दिन पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अंदर वरिष्ठ नेताओं में शुमार और छत्तिसगढ़ मंत्री मंडल के सदस्य टी एस सिंहदेव ने पंचायत मंत्री के पद को त्यागते हुए कांग्रेस पार्टी के धीमी रफ्तार से सुलग रही आग में घी डाल दिया,जिसके चलते प्रदेश के सियासी गलियारों में और कांग्रेस पार्टी की अंदर ज्वाला भड़कने की उम्मीद नजर आ रही थी !ऐसे में 9 अगस्त से प्रारंभ होने वाली पदयात्रा को लेकर आम जनता के मध्य आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर क्या धारणा बनती है,यह भविष्य के गर्भ में मौजूद हैं! आपरेशन लोटस्ट से बेहाल कांग्रेस पार्टी के लिए छत्तिसगढ़ सरकार के अंदर मची राजनीतिक गहमागहमी नाक का सवाल है,वैसे भी मौजूदा भूपेश बघेल की सरकार ढाई साल पूरा होने के बाद से अबतक कुर्सी के लिए नाक कटवाने में कोई कसर नही छोड़ी है!बहरहाल हम हमारे सुधी पाठकों को एक बार पुनः अवगत कराने का प्रयास करते हैं,कि चुनाव नजदीक आते ही ज्यादातर राजनीतिक दल आम जनता की सैंम्पथी हासिल करने हेतू कई तरह के प्रयोजनों को अंजाम देते है!बिल्कुल ठीक उसी तरह से जिस तरह से जंगल में शिकारी तोता को पकड़ने हेतू चारा नामक सैम्पथी का उपयोग करता है!लिहाजा आम जनता को सदैव तत्पर और जागरूक रहने की आवश्यकता है ताकि जंगल के शिकारी की तरह आम जनता को राजनीतिक गलियारों के सियासी शिकारी अपना शिकार ना बना सके!