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चर्चा की जगह आपसी लड़ाई में उलझा लोकतंत्र का पवित्र मंदिर संसद

  नईदिल्ली: संसद के मानसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया जैसा कि अमूमन होता है!भले सत्र जारी रहने के दौरान सरकार ध्वनि मत से कोई भी विधेयक पास करा ले है,लेकिन हंगामा कम नहीं होगा यह स्थिति भारतीय सदन में अक्सर देखने को मिलती है!वैसे भी बैगर चर्चा के विधेयक पास करने का चलन सरकारों में इन दिनों हावी हो गई है! सरकार के द्वारा खाद्य पदार्थों पर लगाई गई जीएसटी और बढ़ती हुई महंगाई को लेकर विपक्षी दलों के लगातार हंगामे के कारण मानसून सत्र के पहले सप्ताह में बहुत कम कामकाज हो पाया है!वैसे संसार की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था की जनक मानी जानी वाली भारतीय सदन में सत्र के दौरान भारतीय नागरिको के हितों पर चर्चा करना होता है,हंगामा खड़ा कर चर्चा से भागना सांसदों की बेईमानी मानी जा सकता है ! जनकल्याणकारी योजनाओं पर पक्ष और विपक्ष रायशुमारी करते हैं,ताकी भारतीय नागरिको का शमूल विकास हो,लेकिन भारतीय सदन में चर्चा की जगह हंगामा होना भारत के गौरवशाली परम्परा पर आघात की जैसी है! बहरहाल सत्र की शुरुआत सोमवार,18 जुलाई 2022 को संसद के दोनों सदनों में जबदस्त तरीके से हुआ, लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने जीएसटी (GST) और महंगाई पर तुरंत चर्चा कराने की मांग को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया! मंगलवार और बुधवार को भी विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से कोई कामकाज नहीं हो पाया,कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस के सांसदों ने गुरुवार को दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया, वहीं अन्य विपक्षी दल इस दिन भी जीएसटी और महंगाई का मुद्दा उठाते रहे! सरकार और विपक्ष के रवैये को देखते हुए संसद के मानसून सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान भी सदन में कामकाज हो पाने की संभावना पर फिलहाल ग्रहण लगी हुई नजर आ रही है!वैसे संसद में जारी लगातार हंगामे की एक और कारण बताई जा रही है,जिस विषय को लेकर चिंता जाहिर किया जा रहा है!भारतीय संविधान में निहित मूल्यों की स्थापना हेतू संसदीय प्रणाली का सुचारू रूप से परिचालन अति महत्वपूर्ण है!देश की कोई भी राजनीतिक दल अथवा किसी भी पद राष्ट्र की मूल्यों से ऊपर नहीं हो सकता है!वर्तमान समय में सत्ता पक्ष और विपक्षिय दलों की नेताओं में ठन गई है,जिसके चलते आपसी तालमेल,राजनीतिक शिष्टाचार में भारी कमी देखी जा रही है!विपक्षी दलों के नेताओं में ईडी और आई टी विभाग के लगातार छापा दहशत का माहौल पैदा कर रही है! परिणामस्वरूप  भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से ज्यादातर विपक्षी दलों के नेताओं ने दूरियां बनना शुरू कर दिया है! विपक्षी राजनीतिक दलो के ज्यादातर नेताओं का मानना है,कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता का दूरोपयोग करते हुए विपक्षी राजनेताओं को झूठे मामलों में जेल भेज रही है!भारतीय राजनेताओं को संसद की गरिमा बनाए रखने की जरूरत है,जिसके लिए सदन की कार्यवाही को द्वेषपूर्ण तरीके से संचालित किया जाना चाहिए क्योंकि देश के सांसदो को देश की आम जनता अपनी मेहनत और पसीने से कमाई हुई पैसा सदन में चर्चा हेतू अलग से निवछावर करती है!आम भारतीय नागरिको की भांति देश के सभी सांसदो को जनता के प्रति और ज्यादा जवाबदेह रहना चाहिए ताकि आम भारतीय मौजूदा संसदीय प्रणाली पर भरोसा रखते हुए संविधान में निहित अधिकारों का लाभ उठाते हुए गौरवपूर्ण जीवन जी सकें!

anutrickz

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