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फाइल फोटो |
बालोद : भारत की भूमि विशाल जनसंख्या की भार को सहते हुए देश की आम नागरिकों की तमाम जरूरतों को पूरा करने हेतू कट्टिबद्ध है,जिसमें मुख्य रूप से आवास भी शामिल है! बढ़ती जनसंख्या और कम होती आवासीय जमीन,निश्चित रूप से कृषि योग्य भूमि पर अनाज के साथ आवास के लिए भी दबाव बना रही है! बालोद जिला में अवैध प्लाटिंग से संबंधित जुड़ी विषयों पर ख़बरें सुर्खियों की बजार को गर्म बनाये रखती है! जिला में ज्यादातर अवैध प्लाटिंग के मामले कृषि भूमि से आधारित हैं,लिहाजा आवासीय जमीन की आवश्यकताओं के पूर्ति हेतू कृषि योग्य भूमि पर आवासीय क्षेत्र लगातार बढ़ रहे हैं ! छोटे गांव से लेकर शहर और कस्बों के आकार में पिछले कुछ वर्षों से काफी वृद्धि देखी जा रही है !बढ़ती हुई जनसंख्या का दबाव निश्चित तौर जमीन पर पड़ रही है, जिसके चलते आवास योग्य कृषि भूमि की मूल्य में भी भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है! वैसे देखा जाए तो भारत में कृषि योग्य भूमि पर गैर कृषि संबंधी कार्य पर रोक लगाई गई है, लेकिन जनता की आवश्यकताओं के मद्देनजर सरकार कृषि भूमि पर मालिकाना हक रखने वाले व्यक्ति को स्वयं की जमीन का उपयोग मर्जी से करने हेतू छूट दे दिया गया है! कृषि योग्य भूमि का इस्तेमाल जमीन मालिक परिवर्तन कर गैर कृषि कार्य से संबंधित कार्यों को भी अंजाम दे सकते है! बढ़ती हुई जनसंख्या और उनकी जरूरतों को ध्यान रखते हुए सरकार ने कृषि भूमि योग्य पर भारत सरकार द्वारा लगाई गई रोक को बदलते हुए इसे सरल बना दिया है जिसका फायदा जमीन व्यापार से जुड़े हुए लोग और आम जनता उठा रहे है! छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने प्रदेश की कुर्सी पर विराजमान होते ही पांच डिसमिल यानी 2178 वर्ग फिट से छोटे प्लाटों की रजिस्ट्री और नामांतरण पर लगी रोक राजस्व विभाग ने कुछ शर्तों के साथ हटा लिया है! नागरिक अब 5 डिसमिल जमीन खरीद कर उसे अलग अलग प्लाट में कांट कर रजिस्ट्री करा पायेंगे! ज्ञात हो,कि वर्ष 2014 में छत्तिसगढ़ सरकार ने राजधानी सहित पूरे राज्य में 5 डिसमिल (2178 वर्गफिट)से छोटे प्लाटों की नामांतरण पर रोक लगा दिया था!आज वर्तमान समय में राज्य के ज्यादातर सफेदपोशाक से लेश राजनेताओं के पास बड़ी बड़ी मकान और बड़े बंगला की कोई कमी नहीं है! ऐसे में बालोद जिला वासियों का भी अधिकार बनता है, कि वह भी अपनी मेहनत और पसीने से कमाई हुई पैसों का इस्तेमाल अपने रहने लायक मकान के लिए कर सकें।
सरकार के द्वारा जारी आदेश का जिला में नहीं हो रहा है पालन
छत्तिसगढ़ राज्य सरकार से 5 डिसमिल जमीन रजिस्ट्री एवं नामांतरण पर मिली छूट के चलते जिला में मकान बनाने वाले लोगों में होड़ मची हुई है! परिणामस्वरूप जमीन खरीदी बिक्री कि प्रक्रिया में तेजी देखने को मिली है जिसके चलते छत्तिसगढ़ सरकार की राजस्व में इजाफा दर्ज किया गया है!अब जब सरकार की जेब भर रही हो और सरकार की जेब को भरने वाले अधिकारी और कर्मचारियों का जेब खाली हो यह एक भद्दा मजाक माना जा सकता है! जमीन खरीदी बिक्री संबंधित विषयों से जुड़े हुए कार्यों में राजस्व निरीक्षक और पटवारीयो की भी बल्ले-बल्ले होने की जानकारी जगजाहिर है! जिला के राजस्व विभाग में पदस्थ बाबू से लेकर अधिकारियों तक की रोजाना चांदी होने की खबर आम है, जबकि सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात कहते हुए तमाम तरह की दलिल आम के मध्य प्रस्तुत करता है जिसके बावजूद हकिकत के धरातल पर मंजर कुछ और नजर आता है!