रायपुर : भारत के 26शवी राज्य के रूप में एक नवंबर वर्ष 2000 को अस्तित्व में आई छत्तिसगढ़ राज्य जंहा पिछड़ेपन और उपेक्षा कण कण में व्याप्त और विराजमान रही । प्रदेश की सत्ता में रहने वाली लगभग सभी सरकारों ने अपनी ओर से छत्तीसगढ़ राज्य के कण कण में व्याप्त और विराजमान रहने वाली इस पिछड़ेपन और उपेक्षा की लड़ाई को लड़ते हुए विकसित और सशक्त छत्तीसगढ़ बनाने की भरसक कोशिश की है , और यह कोशिश मौजूद दौर में प्रदेश के सत्ता पर काबिज सरकार भी कर रही है । जिसके बावजूद प्रदेश के जमीनी धरातल पर उतना नहीं हुआ है जितना कि लोगों ने सुन रखा था , या उम्मीद लगा रखी थी । प्रदेश के अंदर सत्ता पर काबिज रहने वाले लोगों की और राज्य के नौकरशाहो के दिन बौर गए हैं और दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करते हुए जीवन का आंनद ले रहे है । वैसे देखा जाए तो छत्तिसगढ़ राज्य में आज के वर्तमान परिदृश्य में घुरवा के दिन तक बौर रहे है , फिर सत्ता में रहने वाले नेताओं ,और उनके इशारों पर काम करने वाले नौकरशाहो का क्या हाल होगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है । बहरहाल राज्य के अंदर एक नौकरशाह प्रदेश के सत्तारूढ़ पार्टी वाली सरकार में कुछ सत्ता रूढ़ पार्टी के नेताओं की आंखों का तारा बनकर विगत दो वर्षों से एक जिला में प्रशासनिक सेवा दे रहे है। आलम यह है , कि जिला के आम जनता इस बड़े नौकरशाह से उब गई है , और जल्द ही जिला से निकारा चाहता है , जबकि उक्त जिला के सत्तारूढ़ पार्टी के नेता इस नौकरशाह को जिला में बने रहने देखना चाहते है ,अब क्यों देखना चाहते है यह बताने की आवश्यकता नहीं है ! सत्ताधारी नेताओं यह लाडला नौकरशाह एक ही जगह में विगत कई वर्षो से तैनात रहते हुए सत्ताधारी दल के नेताओं के हां में हां मिलाते हुए खूब मलाई चांट रहा है ! जिसके ईनाम स्वरूप विगत दो वर्षों से अधिक समय के बावजूद एक ही कुर्सी पर खुंटा डाल कर जमे हुए हैं । वैसे देखा जाए तो नौकरशाह सिर्फ नौकर ही होते है जिनकी डिव्टी वैसे जनता की समस्त सरकारी कार्यों को ईमानदारी के साथ निभाते हुए शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाना होता है । विंडबना यह है कि ज्यादातर नौकरशाह अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से या फिर सही समय पर नहीं निभाते है , लिहाजा आम जनता को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है , जिसके चलते ज्यादातर नौकरशाहो को सरकार समय समय पर एक जगह से दूसरे स्थान तबादला करती है । यदि किसी नौकरशाह को एक जगह ज्यादा समय तक कार्य क्षेत्र में बने रहने का मौका मिलता है तो निश्चित तौर उस नौकरशाह के द्वारा किए जा रहे जन कल्याणकारी योजनाएं हो सकती है। यदि किसी नौकरशाह को जनकल्याणकारी योजनाओं को संचालित करने कोई दिलचस्पी ही ना हो जिसके बावजूद उन्हें एक जगह पर अंगद की पैर भांति बिठा कर रखा गया है । ऐसे में आम जनता को दाल में काला है या फिर पुरी की पुरी दाल काला है यह बताने की आवश्यकता नहीं है ,पब्लिक सब जानती है। बहरहाल जनता के यह सेवक अपनी दो वर्षों की सेवा कार्यों पर इन दिनों अखबारों की सुर्खियों में खुब तारिफ बटोरने में जुटे हुए है , जबकि एक नौकरशाह को इस तरह से अखबारों की सुर्खियों में बने रहने के बजाए धरातल पर कार्य करना चाहिए ताकी आम जनता को सरकार की योजनाओं का लाभ सही समय पर प्राप्त हो सके । बढ़िया काम की तारीफ लगभग सभी इंसान सुनना चाहते है यह मानवीय इच्छा है , लेकिन एक नौकरशाह को इस तरह से वाहवाही बटोरने वाली वाकिया से बचना चाहिए और जमीनी धरातल पर जंहा जरूरत हो वंहा पर ईमानदारी से काम करना चाहिए ! जिला में उक्त नौकरशाह की पदस्थापना के बाद से सरकारी योजनाओं में जमकर भर्राशाही जारी है, जिसके खिलाफ आवाज बुलंद करने के बावजूद मौजूदा सरकार की खामोशी देखने लायक है , जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों भेंट वार्ता मुलाकात के दौरान लापरवाह नौकरशाहो को जनता के कार्य को ईमानदारी से निभाने हेतू जगह जगह प्रसाद बांट रहे है । ऐसे में जिला वासी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपेक्षा कर रहे है कि जिला के इस नौकरशाह को प्रसाद कब बांटेंगे , ताकी अखबारों के सुर्खियों में बने रहने का शौंक पालने वाले इस नौकरशाह को अखबारों में बने रहने का और मौका मिल सके । उक्त नौकरशाह को लेकर हाल-फिलहाल उसके पदस्थ जिला में जीव बलि ,एवं एक विशेष समुदाय संबंधी विषयों को लेकर सरकार नाराज चल रही थी ,जिसे देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि मौजूदा सरकार शायद इस बार इस नौकरशाह को अन्यत्र कहीं और भेज देगा , लेकिन सरकार ने ऐसा करने में कोई जल्दबाजी नहीं करते हुए अन्य और नौकरशाह की राजनीतिक बलि दे दिया और उसके जगह किसी अन्य नौकरशाह को बिठा दिया , जबकि सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का लाडला नौकरशाह अब भी अपने पद की गरिमा को बढ़ाते हुए विराजमान है । विनोद नेताम की कलम से !