बालोद : जिला के गुण्डरदेही विधानसभा एवं संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत हरे वृक्षों की कटाई और अवैध परिवहन कारोबार चरम पर है! अंचल क्षेत्र में हरे वृक्षों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है जबकि सरकार के द्वारा किये जाने वाली लगातार वृक्षारोपण की झलक ओझल नजर आ रही है ! क्षेत्र के ज्यादातर हिस्सों से हरियाली गायब हो गई है ! सरकार हर वर्ष वृक्षारोपण हेतू अरबों रुपए पानी की तरह बहाती है , जिसमें बड़े बड़े राजनेता और नौकरशाह सहित तमाम तीसमारखां वृक्षों पर बड़े बड़े तूर्रा छोड़ते हुए नजर आते है , जिसमें पेड़ धरती और पर्यावरण के दृष्टिकोण से बहुत जरूरी है जैसे तूर्रे के साथ पेड़ों की रक्षा हेतू मानव समाज को सदैव तत्पर रहना चाहिए वैगरह वैगरह शामिल है ! इस दौरान सभी जनप्रतिनिधि ,नौकरशाह और तीसमारखां वृक्षारोपण कार्यक्रम को सफल बनाने हेतू कड़ी मशक्कत करते हुए नजर आते है, ताकि वृक्षारोपण करते हुए उनकी तस्वीरें अखबारों के पहले पेज पर हो, लेकिन अगली सुबह फिर वही पुरानी ढर्रे रात गई बात गई ! वैसे भी इन तमाम लोगों को लेकर आम जनता में एक धारणा मौजूद है वह धारणा है अपना काम बनता और जहन्नुम में जाए जनता ! सालाना करोड़ों रूपए वृक्षारोपण पर खर्च करने के बावजूद धरती से वृक्षों की संख्या दिन-प्रतिदिन कम हो रही है! जिला में वृक्षारोपण कार्यक्रम के दौरान बड़े बड़े तूर्रा छोड़ने वाले तमाम नेता और नौकरशाह की पर्यावरण संरक्षण पर
गैरजिम्मेदाराना रवैया एक दिन आगे आने वाले समय में इंसानों को सोचने के लिए मजबूर करेगा कि नेता और नौकरशाह एवं तुर्रम खां साहब वृक्ष रोप कर पानी डालना क्यों भूल गए ! बालोद जिला के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों के किसान बैगर शासकीय अनुमति के हरे वृक्षों अंधाधुंध कांट रहे है ! कांटे गए वृक्षों को लकड़ी व्यवसाय से जुड़े हुए लोग जगह जगह भंडारन करके इकत्र कर रखे हुए है , और गुपचुप तरीके से इनका परिवहन भी कर रहे है ! जबकि जिम्मेदार अधिकारी निवछावरखोरी वाली तवा में कमीशन की रोटी सेंक रहे है ! राजस्व अमला की अकर्मण्यता के चलते अवैध वृक्षों की कटाई पर काबू पाना संभव ही नही है! जिला के जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से समझौता करते हुए लकड़ी ठेकेदारो से हरे वृक्षों की मौत पर चुप्पी साधे बैठे हुए है 'जबकि उनकी जवाबदेही बनती है ,पर्यावरण की संरक्षण और सुरक्षा ! जिम्मेदार अफसरों के अनदेखी के चलते जिला के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में जगह जगह अवैध लकड़ी का भंडारन मौजूद है!जिसे आंख बंद करके भी महसूस किया जा सकता है , जबकि जिला प्रशासन में बैठे लगभग सभी जिम्मेदार अधिकारी आंख और कान से स्वस्थ्य है ! जिला के ज्यादातर राजस्व अधिकारी ग्रामीण अंचल क्षेत्र के पटवारी अवैध तरीके से वृक्ष कांटने वाले लोगों को हरे वृक्षों की कटाई हेतू टोकते नहीं ,और ना ही वृक्षों की उपयोगिता को लेकर किसान को समझाने का प्रयास करते हैं ! जिला के पर्यावरण में पहले के मुकाबले भारी बदलाव देखने को मिल राहा है ,जिसका मुख्य कारण वृक्षों की अंधाधुंध कटाई है ! यदि समय रहते हुए ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में मानव समाज को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है !