कुरूद में गूंजी सुआ नृत्य की महक

            कुरूद में गूंजी सुआ नृत्य की महक 

कुरूद. दीपावली पर्व के नजदीक आते ही कुरूद नगर में सुआ नृत्य की गूंज से वातावरण में पर्व की महक उमड़ने लगी है। नन्ही-मुन्ही बेटियों द्वारा सुबह से शाम तक गली-मोहल्लों,चौक चौराहों पर बांस की टुकनी लिए सुआ नृत्य करते हुए छत्तीसगढ़ की परंपरा का निर्वहन करते हुए देखा जा रहा है। इसी तरह आसपास के गांवों से महिलाएं भी इस पारंपरिक लोकगीतों को अपने सुमधुर लय और राग से प्रस्तुत कर न केवल परंपरा का निर्वहन कर रही है,बल्कि लोगों का आगामी पर्व की बधाई देते हुए लोक संस्कृति को महका रही है। सुआ नृत्य गाने वाली बेटियां न केवल प्रतिष्ठानों में बल्कि घरों में भी पहुंच कर 'तरी हरी ना ना' की गूंज से समूचे वातावरण में रोशनी के इस महापर्व की मोहकता में चार चांद लगा रही है। शनिवार से प्रारंभ होने वाले इस महापर्व को लेकर घरों में साफ-सफाई का दौर जारी है। वहीं कुरूद बाजार सज-धजकर ग्राहकों के इंतजार में एक अच्छे व्यापार की आस लगाए बैठा है।विगत महीनों से त्यौहारों पर मौसम की मार देखने को मिली है। पिछले कुछ दिनो से मौसम खुल गया है,जिसके कारण व्यापारियों को इस बार बड़ी उम्मीद है।वहीं मूर्तिकारों द्वारा धन की देवी महालक्ष्मी जी की छोटी-बड़ी मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है। बाजार में मिट्टी के दीए ,करसा आदि की बिक्री जारी है।

             मिट्टी की मूर्ति के निर्माण में जुटे मूर्तिकार
                        रिपोर्ट @मुकेश कश्यप