अमृतकाल के इस दौर में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को जिंदा बनाये रखने वाले वैद्यराज आखिरकार कब होंगे सम्मानित

 झोलाछाप फर्जी डाक्टरों को भगाओ और आयुर्वेद के जानकार वैद्यराजो को अपनाओ 

 निश्चित रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की यह सरजमीं प्राचीन काल समय से ही विश्वगुरु के तौर पर मशहूर हुआ करती थी और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि हमारे ऋषि मुनि साधु संतों और वैद्यराजो को समस्त चराचर जगत के अंदर मौजूद सारे गुण और दोष के विषय में सटिक जानकारीयां प्राप्त हुआ करता था और उसी के आधार पर हमारे ऋषि मुनि, साधु संत और वैद्यराज समाज की भलाई हेतू बेहतरीन से बेहतरीन कदम उठाते हुए दिखाई देते थे। किन्तु समय के साथ विज्ञान के लगातार एक से बढ़कर एक खोज और चमत्कार ने हमारी प्राचीन गुण और दोष के ज्ञान को पीछे छोड़ते हुए समस्त चराचर जगत में अपना सिक्का जमा लिया और हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से ताल्लुक रखने वाली पौराणिक परंपरा नाम मात्र का रह गया है। आयुर्वेद भारत की सरजमीं से ताल्लुक रखने वाली एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है जो कि अमृतकाल के इस दौर में प्रशानिक टैरिफ का दंश झेलने को मजबूर हो चला है। एक ओर जहां देश के अंदर स्वदेशी अपनाओ और विदेशी भगाओ अभियान पर छप्पन इंच का सीना चौड़ा करते हुए हमारे देश के नेताओ को खुलें मंचों से डिंगे हांकाते हुए खुलेआम देखा जाता है, तो वंही दुसरी ओर हकीकत के धरातल पर मौजूद मंजर चिख चिख कर बंया कर रहा है कि स्वदेशी अपनाओ की दलील समाज के भीतर प्रस्तुत करने वाले ज्यादातर नेता विदेशी धरती में जाकर अपना इलाज कराते हैं,जबकि इलाज पैसा सरकार मुहैया कराता है वह भी आम आदमी की मेहनत और पसीने का। जरा सोचिए भारत की इस सरजमीं को आयुर्वेद की जननी कहा गया है लेकिन जिस तरह से आर्युवेद आज सरकारी अनदेखी का शिकार बन गया है वह किसी से छुपा नहीं हुआ है। ऐसे में जाहिर सी बात है अंग्रेजी इलाज के नाम पर काले अंग्रेजों के द्वारा देश के ज्यादातर आम नागरिकों को लूटा व खसोटा जा रहा है। हालांकि आज भी भारत की पौराणिक चिकित्सा प्रणाली को समाज के भीतर जिंदा बनाये रखने हेतू कुछ वैद्यराज साथीगण अपनी जिम्मेदारियों को पूरा ईमानदारी के साथ निभाते हुए देखें जा रहे हैं। देश के अंदर मौजूद रहने वाले पौराणिक चिकित्सा प्रणाली के ज्ञाता आयुर्वेद के जानकार वैद्यराज आज भी आर्युवेदिक चिकित्सा विज्ञान के जरिए आधुनिकीकरण और अमृतकाल के इस दौर में चमत्कार करने का ताकत बखूबी तरीके से रखते हैं। ऐसे में शासन और प्रशासन को इनके ओर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ताकि भारत की सरजमीं पर आर्युवेद का डंका बजाता रहे। इस बीच छत्तीसगढ़ महतारी की पावन धरा पर मौजूद वैद्यराज साथियों का दिनांक 1,4,2025, दिन मंगलवार को मासिक बैठक ठाकुर हास्पिटल दल्ली राजहरा जिला बालोद में रखा गया था जहां निम्नलिखित सदस्य उपस्थित रहे , परम्परागत बैध, छत्तीसगढ़ निजी चिकित्सक जन कल्याण संघ, पंजीयन क्रमांक 5580 के,अध्यक्ष डां जे आर ठाकुर, m,s, महासचिव डां,जी सोनबोईर  r,ms कोषाध्यक्ष,डां एन, ठाकुर d,h,ms संगठन मंत्री,बैध पतिराम नायक, प्रचार मंत्री,डां लालसिंह,बैध नेमसिंह ठाकुर,बैध प्रतापचंद्र कार,बैध विजय देशलहरे,बैध भुख ग्राम, साहू,बैध युवराज,बैध चमनलाल नेताम,बैध खेमुरामठाकुर बैध शतुधन कौशिक,बैध शिवप्रसाद सोनकर,बैध इन्द्र कुमार,बैध गोरेलाल धलनिया,बैध सुन्दर लाल विश्वकर्मा आदि बैध उपस्थित थे