
सूत्रों के हवाले मिली जानकारी के अनुसार गुरूर तहसील क्षेत्र अंतर्गत जितना भी अवैध इट भट्टा वर्तमान समय में संचालन किया जा रहा है, लगभग सभी इट भट्टो पर तहसीलदार साहब दौरा हो चुका है किन्तु हैरानी की बात यह है कि पूरे देश भर में खराब भू जल की संकट से जूझ रही विकासखण्ड क्षेत्र के ज्यादातर इट भट्टो पर अनैतिक तरीके से कृषि के लिए इस्तेमाल पर आने वाली बोर का पानी इस्तेमाल किया जा रहा है उस कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में गुरूर तहसीलदार की इट भट्टा दौरा पर भी सवाल खड़े किए जा सकता है। आखिरकार इट भट्टा पर तहसीलदार साहब क्या करने के लिए जाते हैं?
छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिला पंचायत सभापति तेजराम साहू जी के गृह ग्राम पंचायत देवकोट जो कि देवलोक के नाम से मशहूर हो चुकी है,किन्तु विडम्बना देखिये प्रसाशनिक अनदेखी के चलते भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार की तीन गोड़िया रफ्तार भी कम पड़ रही है और रफ्तार कम होने के चलते ग्राम पंचायत देवकोट की पुण्य भूमि नरक लोक बनने के कगार पर पहुंच चुकी है। अब ऐसे में चिंतन करने वाली बात यह है कि आखिरकार देवकोट की जगह देवलोक के नाम से मशहूर ग्राम पंचायत देवकोट को इन दिनों नरक लोक से जोड़ कर क्यों देखा जा रहा है 'जबकि छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर मौजूद भारतीय जनता पार्टी की विष्णुदेव साय सरकार छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर मौजूद तीन करोड़ छतिसगढ़ीहा अवाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा प्रदत्त की गई तमाम गांरटीयो को घर घर पहुंचाने का ढिंढोरा हर गली हर चौक और हर चौराहों पर पिट रही है। दरअसल प्रदेश की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी डबल इंजन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को उनके अपने ही सरकार के द्वारा पदस्थ किए गए अधिकारी और कर्मचारी ग़लत जानकारी मुहैया करा रहे हैं और इसमें सत्ताधारी राजनीतिक दल के स्थानीय नेताओं की अहम भूमिका भी बताई जा रही है। परिणाम स्वरूप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की तमाम गांरटी जिला के अंदर कई जगहों पर फिसड्डी साबित नजर आ रही है।
बालोद जिला प्रशासन का नया कारनामा, हर घर शुद्ध जल आम जनता को नहीं पहुंचा पाया, तो सरकारी बोर का पानी अवैध इट भट्टा संचालक के इट भट्टा पर मोदी की गारंटी के तहत पहुंचा दिया ...
बालोद जिला के संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत राजनीतिक रण भूमि के नाम से मशहूर गुरूर विकासखण्ड क्षेत्र की पावन धरा पर स्थित ग्राम पंचायत देवकोट जंहा की पवित्र भूमि पर एक से बढ़कर एक बड़े बड़े प्रसाशानिक अधिकारीयों जन्म हुआ है और इन्हीं प्राशासनिक अधिकारियों के बदौलत एक जमाने से इस गांव का नाम देवकोट की जगह देवलोक के रूप में विख्यात है। किंतु हैरत करने वाली बात यह है कि वर्तमान परिदृश्य के अंदर बालोद जिला प्रशासन के अंदर मौजूद प्राशासनिक अधिकारियों को यह तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ता है कि इस गांव में भी कई लोग हमारे जैसे कार्य को पूरा करने हेतू दिन-रात मेहनत और पसीना बहा रहे हैं। बहरहाल ग्राम पंचायत देवकोट के अंदर एक एक बुंद पानी के लिए तरसने वाली आम आदमी की जगह अवैध इट्ट भट्टा संचालन करने वाले व्यक्ति को सरकारी पानी पिलाया जा रहा है और वह भी ग्राम पंचायत देवकोट और बालोद जिला प्रशासन की रहमो करम पर। ग्रामीणों की मानें तो ग्राम पंचायत देवकोट में पानी की समस्या को लेकर उनके ओर से कई बार मांग की गई है लेकिन आजतक उनके बारे में किसी ने ध्यान नहीं दिया। अलबत्ता तहसीलदार साहब और पीएचई विभाग से संबंधित अधिकारियों ने भी हमारी मांगों को गंभीरता से विचार नहीं किया। जरा सोचिए क्या सिस्टम इतना गैर संवेदनशील रवैया आखिरकार कैसे अख्तियार कर सकता है क्योंकि सिस्टम को आम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने हेतू ही इजाद किया गया है। अब ऐसे में उक्त मामले को लेकर यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिरकार बालोद जिला प्रशासन की आंख से सांय सांय पट्टी कब और कैसे खुलता है।