धमतरी के अर्जुनी थाने में आज एक आरोपी की रिमांड में मौत हो गई इसके बाद सुबह से ही हंगामा मचा हुआ है।
करोड़ों के धान खरीदी घोटाले के आरोपी दुर्गेश कठोरिया को कल पुलिस ने गिरफ्तार किया था और गिरफ्तार कर रिमांड रूम में रखा था,जहां संदिग्ध परिस्थितियों में आरोपी दुर्गेश कठोरिया की मौत हो गई,जिससे परिजन उद्वेलित हो गए।
दुर्गेश कठोरिया पर 7.73 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप था। उसने 50 से ज्यादा किसानों को खरीदी गई धान के बदले चेक दिए थे लेकिन वे सारे ही चेक बाउंस हो गए ।इससे किसानों को अपने ठगे जाने का एहसास हुआ और उन्होंने अर्जुनी थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस के द्वारा जब इस शिकायत की जांच की गई तो पता चला कि धमतरी के अलावा बालोद,राजनांदगांव और गरियाबंद आदि जिलों में भी इसने किसानों से इसी तरह धोखाधड़ी की है । दुर्गेश पुलिस के डर से फरार चल रहा था पुलिस भी इसकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी कर रही थी इस बीच मुखबिर की सूचना पर पुलिस द्वारा उसे 31 मार्च को दुर्ग से गिरफ्तार किया गया और कोर्ट से रिमांड हासिल कर उसे हिरासत में रखा गया था। परिजनों का कहना है कि दुर्गेश की गिरफ्तारी की सूचना उन्हें नहीं दी गई थी और उसके बाद अचानक उसकी मृत्यु की सूचना दी गई,जिससे दुर्गेश का परिवार सदमे में है । और इधर पुलिस का कहना है कि दुर्गेश की मौत हार्ट अटैक के चलते हुई है परिजनों का कहना है कि दुर्गेश के पूरे शरीर पर गंभीर चोटों के निशान है जिससे साफ पता चलता है कि उसके साथ पुलिस द्वारा अमानवीय मारपीट की गई है ।उन्होंने इस पूरी घटना की न्यायिक जांच की मांग की है जबकि पुलिस इन सभी आरोपी को खारिज कर रही है और हार्ट अटैक की वजह से मौत होना बता रही है ।
इधर पुलिस कप्तान द्वारा प्रारंभिक कार्रवाई करते हुए कस्टडी में संदिग्ध मौत के इस मामले पर अर्जुन थाने के टी सन्नी दुबे को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया है। इधर मृतक आरोपी के परिजन इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए हैं।
वहीं जब इस पूरी घटना की खबर कांग्रेसियों को लगी तो इस मामले ने राजनीतिक रंग पकड़ लिया । कांग्रेस के आला पदाधिकारी समेत कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। फिलहाल दुर्गेश का शव पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल लाया गया है ।
प्रदर्शन के दौरान खुद को किसान बताने वाले कुछ लोगों ने पुलिस प्रशासन जिंदाबाद के भी नारे लगाए जिसकी वजह से विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों व परिजनों और जिंदाबाद के नारे लगाने वाले इन लोगों के बीच झड़प भी हुई वहाँ मौजूद लोगों ने आरोप लगाया कि इन लोगों को पुलिस ने अपने पक्ष में नारेबाजी करने भेजा है ताकि अपनी गर्दन बचाई जा सके।
वैसे कस्टडी में हुई इस आरोपी की मौत ने कई सवाल खड़े किए हैं जैसे यदि दुर्गेश की मौत हार्ट अटैक से ही हुई है तो फिर उसके शरीर पर चोट के निशान कैसे आए?
उसकी गिरफ्तारी की सूचना परिजनों को क्यों नहीं दी गई ?
और उसे यदि पुलिस कस्टडी में प्रताड़ित किया गया तो उसका जिम्मेदार कौन है?