आखिरकार परदेशिया कारोबारी के लिए नगर पंचायत गुरूर के अंदर दो दुकानें लेकिन जमीनी धरातल से ताल्लुक रखने वाले नगरवासी कारोबारियों के लिए एक इंच जगह नहीं....
क्या किसी व्यक्ति विशेष को किसी नगर पंचायत के अंदर इतना रसूख मिल सकता है कि वह खुलेआम एक सरकारी स्कूल पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर दुकानदारी करने का दमखम रख सकता हो,जबकि नगर पंचायत के अंदर रहने वाले मूल नगरवासियों के लिए जिविकापार्जन हेतू एक इंच नगर में जगह तक नहीं है। इस बीच कहा जा रहा है कि सरकारी स्कूल के अंदर मौजूद सरकारी काम्प्लेक्स सरकार की नैतिक सम्पत्ति है और इस सम्पत्ति की रखरखाव करने की नैतिक जिम्मेदारी सरकार के द्वारा पदस्थ किए गए अधिकारी और कर्मचारीयों की बनती हैं। ऐसे में जाहिर सी बात है कि सवाल तो बनता है। बहरहाल इस मामले को लेकर नगर पंचायत अधिकारी की मानें तो उक्त आत्मानंद सरकारी स्कूल में स्थित व्यवसायिक काम्प्लेक्स को दो व्यक्ति के नाम पर एटाल किया गया था लेकिन एक व्यक्ति ने दूसरे रसूखदार कारोबारी को बेंच दिया है। हालांकि सरकारी स्कूल की काम्प्लेक्स को खरीदने और बचने के पीछे क्या नियम और कायदे है इस बात को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। अब सोचने वाली बात यह है कि क्या सरकारी स्कूल के काम्प्लेक्स में इस तरह की घटनाक्रम नियम मुताबिक सही है या फिर ग़लत, निश्चित रूप से यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि यह वाक्या नगर पंचायत गुरूर की पावन धरा से जुड़ा हुआ है। बता दें नगर पंचायत गुरूर वंही राजनीतिक मैदान है,जहां पर आज से महज कुछ महीने पहले अनेक व्यापारीयों की मेहनत और पसीने से कमाई गई पाई पाई जोड़ कर बनाई जा रही काम्प्लेक्स को कोर्ट के आदेश पर ढहा दिया गया था और इस विवाद में नगर पंचायत गुरूर के अंदर भय और आंतक का माहौल निर्मित हो गया था। इस विवाद में नगर पंचायत गुरूर की महिला जांबाज पार्षद कुंती सिन्हा के साथ हुई घटनाक्रम इस बात का प्रत्यक्ष गवाह है। बावजूद इसके नगर पंचायत गुरूर के अंदर जमीन और दुकान को लेकर आये दिन होने वाली विवाद कई आशंकाओं को जन्म दे रहा है। गौरतलब हो कि बालोद जिला मुख्यालय से धमतरी जिला मुख्यालय और राजनांदगांव जिला मुख्यालय को जोड़ने वाली सड़क पर बसा हुआ संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र के राजनीतिक राजधानी नगर पंचायत गुरूर समय के साथ तेज गति से बढ़ता हुआ आधुनिक शहर के तौर पर पहचान बना रहा है और इस बीच नगर की जनसंख्या में तेजी के साथ इजाफा हो रहा है। ग्रामीण अंचल क्षेत्रों के गांव से निकल कर लोग गुरूर में बसना चाह रहे हैं और बस भी रहे हैं लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि अन्य शहरों के भांति बाहर से आकर लोग यंहा पर खूब पैसा और नोट कमा रहे हैं। नगर पंचायत गुरूर के अंदर कारोबार के जरिए नोट कमाने वाले लोगों में किसी विशेष समाज से ताल्लुक लोगों के साथ अन्य समाज से भी ताल्लुक रखने वाले लोग शामिल हैं। वंही नगर पंचायत गुरूर के अंदर रहने वाले सभी नगरवासी सभी स्तर के कारोबारीयो का स्वागत और सत्कार करती है और उनकी इमानदारी के साथ व्यापार करने की कला को सम्मान प्रदान करती है, लेकिन गहोबगाहे कुछ ऐसे भी कारोबारियों का नाम इन दिनों नगर पंचायत गुरूर के अंदर मौजूद रहने वाले नगरवासियों के जुबान से निकल कर सामने आती हैं जिनका कर्म और धर्म देऊर देव की पावन धरा के लिए शायद सही नहीं माना जा सकता है।