दारू पीयो तान के अऊ अपन नेता चुनो खुद ल बेवड़ा जान के...
आगामी आने वाले दिनों में होने वाले नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर सूबे के ग्रामीण अंचल क्षेत्रों में मौजूद गली चौंक चौहारो के साथ शहरी क्षेत्र के अंदर मौजूद सभी सार्वजनिक जगहों पर आम मतदाताओं के बीच राजनीतिक सरगर्मियां तेज गति से उबाल मारते हुए दिखाई दे रही है। राजनीतिक सरगर्मियों का लब्बोलुआब आम जनता के बीच में इस कदर हावी है कि परिक्षा के मौसम में बच्चे घर के अंदर तक ढंग से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं, जबकि स्कूली बच्चों के सर पर परिक्षा का भूत सवार है। जाहिर सी बात है आम मतदाताओं को इस चुनाव में अपने लिए तीन स्तर से ताल्लुक रखने वाला नेता का चयन करने का मौका मिला है,किंतु सवाल यह उठता है कि पूरे देश के भीतर में सबसे अधिक बेवड़ा राज्यो की सूची में अव्वल स्थान पर खड़ा छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर क्या बैगर शराब और कबाब के चुनाव संपन्न किया जा सकता है? या फिर प्रदेश के अंदर रहने वाला आम मतदाता क्या बैगर शराब पीये अपने हक और अधिकारों के लिए अपनी मत का इस्तेमाल कर सकता है? सनद रहे भगवान श्री राम चंद्र जी के ननिहाल मानें जाने वाले माता कौशल्या के पावन धाम छत्तीसगढ़ राज्य की पावन भूमि को अमृतकाल के इस दौर में सार्वजनिक तौर पर अखंड बेवड़ों की तपो भूमि कहा जा रहा है। परिणामस्वरूप आलम यह बना हुआ है कि सूबे के अंदर बैगर भट्टी के किसी का छट्टी नहीं होता है और न अर्थी उठाया जाता है। ऐसे में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगरीय निकाय चुनाव बैगर क्या दारू के संपन्न हो सकता है स्वंय विचार करें.... विनोद नेताम..