किसानों को दूसरी फसल लहलहाने के लिए इस बख्त पैसों की सख्त आवश्यकता है किन्तु 80 करोड़ अवाम को मुफ्त में राशन बांटने वाले लोगों की डबल इंजन सरकार दिन रात मेहनत और पसीने के जरिए अपने खेतों से सोना उगाने वाले अन्नदाता भगवानों की जेब में फुटी कौड़ी तक नहीं पा रही है। ऐसे में उपलब्धि पर जश्न मनाने की कवायद डबल इंजन सरकार पर भारी पड़ सकता है !
भगवान श्री राम चंद्र जी के ननिहाल मानें जाने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश की इस सरजमीं को आदीवासियों के साथ मेहनतकश किसानों की धरती माना गया है। शायद इसलिए इस पुण्य भूमि को धान का कटोरा नाम दिया गया है। धान का कटोरा होने के चलते इस धरती पर धान और किसानों की बात ही मुख्यतः होती है,किन्तु आधुनिकीकरण के इस दौर में किसानों की पगड़ी सरकार के हाथ में होती है लिहाजा किसानों की सुख और समृद्धि का एक बड़ा कारण सरकार की नियत बताई जाती है। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजमीं पर मौजूद भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार ने अपनी कार्यकाल का एक साल सांय सांय करते हुए पूरा कर लिया है। इस बीच सरकार ने अपनी एक साल की उपलब्धियों को लेकर राजधानी रायपुर में एक बड़ा जश्न आयोजित करने की जानकारी सर्वविदित है,जबकि दूसरी ओर कस्टम मिंलिंग में हो रही परेशानीयो के चलते समूचे प्रदेश भर के अंदर मौजूद ज्यादातर धान खरीदी केन्द्रों में धान खरीदी योजना लगभग बंद होने की कगार पर पहुंच चुकी है।
कस्टम मिंलिंग में हो रही परेशानी के चलते न सिर्फ किसानों को हतास होना पड़ रहा है अपितु सरकार को भी किसानों से कर्जा वसूल करने में पसीना छुट रहा है। किसानों की समस्याओं को लेकर एक ओर जहां मिलर संघ अपनी बात को बेबाकी से किसानों और जनता के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है तो वंही दुसरी ओर इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी विष्णुदेव साय को कोसने हेतू सड़क पर उतर आई है। किसानों की समस्यायों को लेकर कांग्रेस पार्टी जगह जगह सरकार के खिलाफ लामबंद होकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। वंही छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार कांग्रेस पार्टी के इस विरोध प्रदर्शन को बेवजह की राजनीति करार देते हुए पल्ला झाड़ने के प्रयास में दिखाई दे रही है। हालांकि जमीनी धरातल पर जो मंजर इस बख्त मौजूद है वह छत्तिसगढ़ प्रदेश सरकार की धान खरीदी योजना में सरकारी विफलता को उजागर करते हुए स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। जिसका ताजा उदाहरण संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ज्यादातर धान खरीदी केन्द्रों पर देखने को मिल रहा है। परिणाम स्वरूप अंचल के ज्यादातर धान खरीदी केंद्र धान का उठाव नहीं होने के चलते बंद होने के कगार पर पहुंच गया है,जबकि आधे से ज्यादा किसानों ने अब तक अपनी मेहनत के बलबूते कमाये हुए अन्न का एक दाना नहीं बेच सका है। ऐसे में सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र के जरिए एक साल की उपलब्धियों पर जश्न मनाने वाले विष्णु देव सरकार से किसानों की कई सवाल हैं। हालांकि किसानों के द्वारा उठाए जा रहे सवालों का जश्न डूबे हुए सरकार के पास कोई जवाब नहीं किन्तु कयास यह लगाया जा रहा है कि सरकार इस मामले को लेकर जल्द ही होश में आते हुए कदम उठायेगी।