"मुरूम माफियाओं के द्वारा जिला के अंदर मलमा साफ सफाई के नाम पर खुलेआम मुरूम खनन किया जा रहा है परिणामस्वरूप जगह जगह गढ्ढे आपको देखने के लिए मिल जायेगा "
बालोद :- पुराने जमाने की पाठशालाओं में एक पाठ पढ़ाई जाती थी शायद हमारे सुधी पाठकों को पता होगा उस वक्त इस पाठ का नाम रहा अंधेरे नगरी चौपट राजा। पाठ के अनुसार इस नगरी में सब एक ही भाव पर मिलता था इसलिए लोगबाग कहा करते थे कि अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा किन्तु चौपट राजा के यंहा इस अंधेरे नगरी में कानून उसके हिसाब से चलता था और वह भी बिलकुल सख्त। माना जा रहा है ठीक उसी अंदाज में इन दिनों बालोद जिले में सफेदपोश और रसूखदारों के बनाए हुए नियम और कानून का राज चलता है,बिलकुल उनके लिए सरल और आम जनता के लिए टाइट, लिहाजा सफेदपोशो और रसूखदारों का सिक्का पूरे जिला भर के अंदर छाया हुआ बताया जाता है। इस दौरान ज्यादातर सफेदपोश वर्दीधारीयों की एवं कई रसूखदारों के द्वारा नियम और कानून को अपने हाथ में लेकर अपने ही नियम और कायदा स्थापित करने की मंशा जग जाहिर है। परिणाम स्वरूप पूरे जिला में आलम यह बना हुआ बताया जाता है कि किसी भी अवैध कारोबार की रोकथाम के लिए सरकारी विभाग में पदस्थ अधिकारियों से यदि आम जिलावासी कार्यवाही की उम्मीदें रखता है तो सिर्फ एक ही बात सामने आता है कि फंला नेता का दबाव है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक अवैध कारोबार में लिप्त और भ्रष्ट लोगों को सरंक्षण मिलता रहेगा।इस बीच अवैध उत्खनन करने वाले चंद सफेदपोश और कुछ एक रसूखदारों की उन्नति दिन दुगुनी रात चौगुनी होने की सूचना है। जमीन के अंदर गड़े कीमती गौण खनिजों को बड़े बड़े मशीनों से निकाल कर खुलेआम बेंच खा रहे हैं मुरूम तस्कर, जबकि मेन रोड में फर्राटेदार उड़ान भरते हुए निकलती हैं,इन अवैध कारोबारियों का वाहन। वंही अवैध मुरूम खनन व रेत उत्खनन के साथ साथ गिट्टी और पत्थर की सप्लाई भी बेधड़क ओवरलोड तरीके से संचालित किये जाने की जानकारी है। बता दें कि गुरुर के अंदरूनी इलाकों में इन दिनों रोजाना दौड़ रहे है, ओवरलोड कई हाईवा और ट्रैक्टर। वंही जिम्मेदारों की आंखों के सामने से गुजरने के बाद भी नहीं होती है कोई कार्यवाही,सूत्रों की मानें तो अवैध कारोबारियों का चढ़ावा ऊपर से नीचे तक पहले से पहुंचा दिया जाता है। ताकि काम करते वक्त किसी भी प्रकार की कोई परेशानी या समस्या का सामना न करना पड़ सके। वंही दूसरी ओर जंगल इलाकों में सुनसान का फायदा उठाते हुए वनोपज नाका से बिना रॉयल्टी बिना बिटपास के ही भगाते है वाहन। गुरुर से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर धनोरा और टेंगनाबरपारा की सरहद पर अवैध मुरूम का खनन हो रही है। शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों के आंखों में पट्टी बंधी हुई है। जिसके चलते दिनदहाड़े उत्खनन कर एक ही रॉयल्टी पर्ची पर कई हाईवा मुरूम निकाली जा रही है। और इस मुरूम को सरकारी निर्माण कार्यों में बकायदा डंप भी किया जा रहा है। यहां तक की गुरुर के मेन रोड में लगे ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग में भी इस मुरूम का उपयोग जमकर किया जा रहा है। बताया जाता है कि मुरूम से जमीन दलाल कृषि भूमि को पाटने में लगे हुए है ताकि उस जमीन में प्लाट काटकर दोगुने रेट में बेच सकें। अब ऐसे में गौर करने वाली बात यह है कि आखिरकार इन रसूखदारों को लेकर सिस्टम लाचार क्यों नजर आती है। क्या इस तरह से लाचारी किसी भी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए हितकारी है। वैसे बता दें कि जिला मुख्यालय बालोद जहां पर जिला के अंदर पदस्थ ज्यादातर जिम्मेदार अधिकारियों का कार्यालय है ठीक उसी कार्यालय के बाहर अवैध तरीके से खोदे गए मुरूम के चलते गढ्ढा साफ देखा जा सकता है। वंही जिला के अंदर यह नजारा आम बात बन चुकी है।