मुकेश कश्यप
कुरूद. महानवमी के पावन अवसर पर घरों में नौ कन्या पूजन कार्य संपन्न हुआ।शुभ मुहूर्त में आम जनमानस ने विधिविधान के साथ नौ कन्याओं का पूजन कर परिवार के सुख -कल्याण की कामना की।
शुक्रवार को लोगों ने माता दुर्गा के नौवें रूप की पूजा-अर्चना के साथ घरों में आसपास की बेटियों को आमंत्रित करके सर्वप्रथम उनके चरण धोकर उन्हे महावर का रंग लगाया और उन्हे श्रृंगार सामग्री भेंट कर विधिवत पूजा -अर्चना की।इसके उपरांत खीर पूड़ी और प्रसाद खिलाकर उनके चरण स्पर्श कर मनोकामना की।साथ ही उन्हें स्नेह स्वरूप भेंट कर माता के सम्मुख सुख-कल्याण की अर्जी लगाई।
विदित है कि नवरात्रि में देवी के 9वें स्वरुप में मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।जो दरअसल देवी का पूर्ण स्वरुप है।नवदुर्गा में मां सिद्धिदात्री का स्वरुप अंतिम और 9वां स्वरुप है।यह समस्त वरदानों और सिद्धियों को देने वाली हैं।यह कमल के पुष्प पर विराजमान हैं और इनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म है।यक्ष, गंधर्व, किन्नर, नाग, देवी-देवता और मनुष्य सभी इनकी कृपा से सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।इस दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से नवरात्रि के 9 दिनों का फल प्राप्त हो जाता है।मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं।
देवीपुराण में भी लिखा है की भगवान शिव को इनकी कृपा से ही सभी सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। इनकी कृपा की वजह से ही भगवान शिव को ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से पुकारा जाता है।देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है इनकी चार भुजाएं है जिनमें बाईं ओर की एक भुजा में कमल का पुष्प है तथा दूसरी भुजा में शंख है।वहीं दाहिनी ओर की एक भुजा में गदा एवं दूसरी भुजा में चक्र विराजमान है।