घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे…
और दिन सुहाने हैं।
मेरी मजबूरी तो देखो मुझे बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं ..
बालोद: किसी महापुरूष ने कह रखा है कि मानव समाज के भीतर मौजूद सक्षम और संपन्न व्यक्तियों को सदा दुर्बल और असक्षम व्यक्ति का सहयोग करना चाहिए ताकि समाज के भीतर आपसी तालमेल और सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण आसानी से संभव हो सके,लेकिन अमृतकाल के स्वार्थ रूपी इस दौर में क्या समक्ष और संपन्न व्यक्ति महापुरुष के द्वारा कहे गए इन बातों का अनुशरण करने में सफल हो पाते होंगे? क्या समाज के भीतर मौजूद सक्षम और संपन्न व्यक्ति आपको समाज के भीतर ही मौजूद दुर्बल और असक्षम व्यक्ति का मदद करते हुए कभी दिखाई देता हैं?
निश्चित तौर समाजिक दृष्टिकोण के हिसाब से यदि देखें यह एक गंभीर सवाल है। हालांकि इस सवाल का जवाब कई बार लोगों को समाज के भीतर आसानी से मिल जाता है लेकिन यह भी एक जिंदा सत्य है कि समाज के भीतर मौजूद ज्यादातर मठाधीश सक्षम और संपन्न एवं रसूखदार लोग हैं। जिनके रसूख के दम पर दुर्बल और असक्षम व्यक्ति चूं तक नहीं बोल सकता है। ऐसे में भला क्या खाक समाज के भीतर आपसी तालमेल और सौहार्दपूर्ण वातावरण का माहौल निर्मित हो सकता है? बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य के बालोद जिले में स्थित संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की सरजमीं पर राजनीतिक रण क्षेत्र की भूमि के रूप में विख्यात गुरूर विकासखण्ड अंतर्गत विधायक आदर्श ग्राम पंचायत कवंर से निकल कर एक वाकया सामने आया है। वाकया के तहत मिली जानकारी के मुताबिक एक सक्षम और संपन्न एवं रसूखदार व्यक्ति ने दुर्बल और असक्षम मजदूरों की रोजी रोटी पर डांका डाल दिया है। दरअसल ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष तामेश्वर साहू ने अपने गृह ग्राम कवंर में रहने वाले लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक मजदूरों का मेहनत और पसीने से कमाई गई पैसा को लगभग साल भर से नहीं दिया है। इसके साथ ही गुरूर ब्लाक अध्यक्ष तामेश्वर साहू के द्वारा मजदूरों का फर्जी हस्ताक्षर करा कर खुद को बेदाग साबित करने की नापाक कोशिश को अंजाम देने की खबर भी प्राप्त हुई है। राष्ट्रीय स्तर के एक राजनीतिक दल से ताल्लुक रखने वाले ब्लाक अध्यक्ष के रवैए से मजदूर से लेकर ग्रामीण हुए हतप्रभ हैं। सैंकड़ों ग्रामीणों के बिच में पिड़ित मजदूर उमेश ठिमर ने अपनी वेदना का जिक्र करते हुए कहा कि ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष की करतूतों के चलते लगभग ढेर दर्जन से अधिक मजदूरों का जीना हराम हो गया है। जिसके चलते सभी पिड़ित मजदूर साथियों और उनके परिजनों को यह लगता कि मजदूरों की मेहनत और पसीने की कमाई तक को डकार गए नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकानदारी चलाने वाले ठेकेदार। विदित हो कि कांग्रेस पार्टी के पिछले शासनकाल में ज्यादातर सरकारी निर्माण कार्य कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने वाले बड़े बड़े तुर्रम खां टाईप के ठेकेदारों ने डंके के चोंट पर पूरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ज्यादातर ग्राम पंचायतों में करवाया है। हालांकि ग्राम पंचायतों के अंदर होने वाले लगभग सभी निर्माण कार्यों में कार्य एंजेसी स्वंय ग्राम पंचायत होता है,लेकिन हकिकत के धरातल पर जो मंजर मौजूद हैं वह चिख चिख कर बंया कर रहा है कि ग्राम पंचायत कार्य एंजेसी के नाम पर महज रबर स्टैंप की तरह है। चूंकि ग्राम पंचायतों में ज्यादातर सरकारी निर्माण कार्य सत्ता सरकार में रहने वाले राजनीतिक दल के बड़े बड़े तुर्रम खां टाईप के ठेकेदार आपस में मिल बांट कर झटक लेते थे। ऐसे में ग्राम पंचायत कार्य एंजेसी के नाम पर महज रबर स्टैंप बनकर रह जाता है। इस कड़ी में संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत राजनीतिक रण क्षेत्र की भूमि मानें जाने वाले गुरूर विकासखण्ड भी शामिल हैं। सनद रहे कि पिछले सरकार के कार्यकाल में गुरूर विकासखण्ड अंतर्गत ज्यादातर सरकारी निर्माण कार्य से जुड़े हुए लाखों करोड़ों रुपए की लागत वाली शासकीय निर्माण कार्य स्थानीय विधायक के अगल बगल में नजर आने वाले बड़े बड़े तुर्रम खां टाईप के ठेकेदारों ने सत्ता की हुनक के दम पर किया है। इन ठेकेदारों में ब्लाक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष तामेश्वर साहू का नाम भी शामिल हैं।