मुकेश कश्यप
कुरूद . गुरुवार रात्रि को शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस खेल मेला मैदान में कुरूद दशहरा महोत्सव 2024 का भव्य शुभारंभ किया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं मानस मर्मज्ञ एल पी गोस्वामी थे।अध्यक्षता नगर पंचायत अध्यक्ष और महोत्सव के संरक्षक तपन चंद्राकर ने की। विशिष्ठ अतिथि के रूप में महोत्सव के संरक्षक एवं पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष निरंजन सिन्हा,ज्योति चंद्राकर, राजकुमारी दीवान,नगर पंचायत उपाध्यक्ष मंजू साहू ,महोत्सव के अध्यक्ष अनिल चंद्राकर, महासचिव भानु चंद्राकर कोषाध्यक्ष बसंत सिन्हा, श्रीमती मुमा देवी सुखरामणी,रंग सरोवर के संचालक भूपेंद्र साहू और मीना बाजार के संचालक छोटू सिन्हा आदि थे।
उद्बोधन के क्रम में मुख्य अतिथि श्री गोस्वामी ने महोत्सव के अब तक के सफर को शानदार बताते हुए इससे जुड़े लोगो को याद कर इसे कुरूद नगर के लिए ऐतिसाहिक बताया। श्री निरंजन ने 25 वर्षों से चले आ रहे इस आयोजन की तारीफ की और कहा कि सभी के द्वारा मिलजुलकर आगे भी और अच्छा बनाने का प्रयास किया जाएगा। श्रीमती ज्योति ने कहा कि किसी भी नगर की पहचान वहां की संस्कृति और परंपरा होती है,जिसे सहजने में हमारे प्रेरणा स्रोत और दशहरा महोत्सव के मुख्य संरक्षक माननीय अजय चंद्राकर एवं कुरूद के गणमान्यजनों ने अपने समर्पण से इसे साकार किया है,जिसका स्वरूप आपको कुरूद दशहरा के रूप में नजर आ रहा है। श्री तपन ने भी आयोजन की तारीफ करते हुए मिलजुलकर आगे और बेहतर कार्य करने के लिए कार्य करने की बात कही। इस दौरान महोत्सव के पूर्व अध्यक्ष रहे स्व. कुशल सुखरामणी की स्मृति में उनके किए गए योगदान के लिए कुरूद दशहरा महोत्सव समिति द्वारा उनकी धर्मपत्नी मुमा देवी सुखरामणी को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। वहीं रंग सरोवर के संचालक भूपेंद्र साहू और मीना बाजार के संचालक छोटू सिन्हा को भी स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया गया। इसी तरह मंच पर आसीन अतिथियों को भी मंच अतिथि सम्मान के रूप में स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इसके उपरांत मंच पर भव्य आतिशबाजी के साथ इस आयोजन का रंगारंग शुभारंभ हुआ। इसके उपरांत भूपेंद्र साहू कृत रंग सरोवर की मनभावन प्रस्तुति प्रारंभ हुई , जिसमे कलाकारों ने पारंपरिक चौमासा से इसकी शुरुआत की। साथ ही सरगुजा , बस्तरिहा , करमा , सुआ , ददरिया ,जसगीत ,प्रेम और वियोग श्रृंगार रस से जुड़े गीत सहित एक से बढ़कर मनभावन गीतों की श्रृंखला की प्रस्तुति हुई। अरपा पैरी के धार,मोर आजा सजन,मोर मया के तै करन सुआ रे , फूल झरे हांसी आदि गीतों ने पारंपरिक गीतों की यादों में लोगो के दिलो में मन को महका दिया। अंत में माता जससेवा गीत के साथ इस मनभावन कार्यकम की प्रस्तुति का समापन हुआ।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में महासचिव भानु चंद्राकर ने आयोजन के पदाधिकारियों के साथ महोत्सव समिति के पूर्व अध्यक्ष रहे स्व. कुशल सुखरामणी जी को याद करते हुए उनकी स्मृति में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भावभीनी विनम्र श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनके सुपुत्र मोहन सुखरामणी ,राकेश सुखरामणी भी मंच पर उपस्थित थे।
अंत में आभार प्रदर्शन करते हुए महासचिव भानु चंद्राकर ने आज के कार्यक्रम में शामिल हुए समस्त अतिथियों ,गणमान्य जनों सहित क्षेत्र की जनता का आभार जताया और उन्होंने कहा कि हमारे पूर्व तय कार्यक्रम में एक और कार्यक्रम में एक और कार्यक्रम माता का जगराता कार्यक्रम जोड़ा गया है।श्री भानु ने बताया कि प्रतिदिन अलग- अलग रूप में इस आयोजन को सफल बनाने वाले लोगो का सम्मान किया जाएगा।कार्यक्रम में मंच संचालन महोत्सव के पदाधिकारी प्रभात बैस ने किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में खिलेंद्र देवांगन,किशोर यादव, खूबलाल चंद्राकर,कोमल साहू,भारत ठाकुर,दौलत ध्रुव, भोजराज चंद्राकर,विनोद चंद्राकर,ज्ञानचंद सिन्हा,भूखन सेन, मनीष अग्रवाल,दिवाकर चंद्राकर,श्रवण साहू,डब्बू निर्मलकर,युवराज सोनकर,अनुशासन आमदे,मूलचंद सिन्हा,जितेंद्र चंद्राकर,कुलेश्वर सिन्हा,हरीश देवांगन, मुकेश कश्यप,
प्रमोद साहू, सोहन आमदे,थनेश्वर साहू,कमल शर्मा,केशव चंद्राकर,वंश खत्री ,तुलसी साहू, खिलेंद्र साहू,तुकेश साहू,मुकेश ठाकुर सहित आयोजन से जुड़े पदाधिकारियों की सहभागिता रही।