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कानून बड़ा या फिर नेता? समाज बड़ा या फिर राजनीतिक दल?

ऐस्ट्रोसिटी के तहत मामला दर्ज होने के बावजूद खुले हवा में सांस ले रहे हैं कई रसूखदार और ताकतवर लोग। ज्यादातर छत्तीसगढ़ राज्य के नेता और उनके आरोपी रिश्तेदारों को मिल रहा है फायदा। वंही एस्ट्रोसिटी के आरोपियों को न्यायालय भी जमानत का फायदा पहुंचाने में अब संकोच नहीं कर रही है। कांग्रेस पार्टी और बीजेपी के नेताओं का नाम आदीवासीयों पर अत्याचार करने को लेकर शुमार है। बावजूद इसके कई आरोपी कानून की पकड़ के दायरे से बाहर है।


"बीजेपी विधायक ईश्वर साहू के पुत्र कृष्णा साहू की गिरफ्तारी को लेकर गोंडवाना समाज ने फूंका बिगुल" लेकिन बालोद जिले में हुये आदीवासी पत्रकार विनोद नेताम के पत्नी की शिकायत पर अब भी कांग्रेसी विधायक के खिलाफ खामोशी बरकरार है" 

रायपुर : एक ओर जहां छत्तीसगढ़ राज्य के सियासी सरजमीं पर मौजूद भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन वाली त्रिमूर्ति सरकार के सत्ता पर काबिज रहते हुए भी समूचे प्रदेश भर के अंदर लगातार बिगड़ रही कानून व्यवस्था से जुड़े हुए विषयों पर इन दिनों कई सवाल खड़े किए जा रहे है। हालांकि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के नेताओ ने छत्तीसगढ़ राज्य की सरजमीं पर प्रदेश के अंदर बढ़ रही अपराध को लेकर नारा बुलंद करते हुए जनता से वादा किया था कि अब न साहिबो बदल के रहिबो,लेकिन सत्ता मिलने के बाद अब भाजपा का विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बुलंद किया गया यह नारा महज छत्तीसगढ़ प्रदेश के अंदर जूमला बनकर रह गया है। वंही दुसरे तरफ़ प्रदेश के अंदर मौजूद राजनीतिक रसूखदार ताकतवर लोगों का आतंक भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। परिणाम स्वरूप आलम यह बना हुआ प्रतीत बताया जा रहा है कि समूचे प्रदेश के अंदर कानून व्यवस्था को लेकर समाज के भीतर ओहाफोह की स्थिति पनपा गया है। जैसा कि यह सर्व विदित है कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर आदीवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों की जनसंख्या अन्य जातियों की अपेक्षा अधिक मात्रा में है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि छत्तीसगढ़ राज्य की इस सरजमीं को आदीवासियों की कर्मभूमि भी कहा गया है। गौर करने वाली बात यह है कि जिनकी संख्या अधिक होती है 'अतः उनसे जुड़े हुए बातें भी अधिक होती है और इसके साथ ही घटनाक्रम भी अधिक देखने को मिलता है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस बख्त भारतीय जनता पार्टी की विष्णुदेव साय सरकार सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र के जरिए शासन चलाने का काम बखूबी तरीके से सांय सांय करते हुये दिखाई दे रही है। इस बीच यह भी दिलचस्प खबर सर्व विद्यमान है कि विष्णु देव साय की सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र आदीवासियों के साथ अत्याचार करने वाले पापीयों की सर के ऊपर से सांय सांय करते हुए निकल जा रही है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य की पावन भूमि को अपने नापाक इरादों से थर्राने वाले पापीयों में कुछ ऐसे भी पापी शामिल बताए जाते हैं जिनका ताल्लुक सियासी जमात के अंदर मौजूद बड़े बड़े तुर्रम खांन लोगों से बताई जाती है। अब ऐसे में जाहिर सी बात है सैंया भए कोतवाल तो डर किस बात का। बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य की पावन सरजमीं आदीवासी सभ्यता और संस्कृति को लेकर समस्त संसार में प्रसिद्ध हासिल कर रही है। जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी तक को छत्तीसगढ़ राज्य का दौरा करने की आवश्यकता पड़ रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को अपने बीच पाकर जहां आदीवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग काफी खुश हैं। छत्तीसगढ़ के गौरवशाली “पुरखौती मुक्तांगन“ में भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने छत्तीसगढ के जनजातीय समाज के गौरव और आत्मसम्मान को बढाने और उन्हे सम्मान देते हुए दिखाई दिया है, लेकिन वंही दुसरी ओर छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर कई हिस्सों में रहने वाले आदीवासियों पर अत्याचार की खबर थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में आदीवासियों का आक्रोश बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। बिते दिनों बीजेपी विधायक के सुपुत्र कृष्णा साहू ने आदीवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवक पर जानलेवा हमला कर दिया था। उक्त मामले में रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर खुले आसमान के नीचे चैन से घुम रहा है। वंही बालोद जिले के पूर्व विधायक भैय्या राम सिन्हा के आतंक से पिड़ित आदीवासी पत्रकार विनोद नेताम के साथ अशोभनीय घटना कारित करने वाले कांग्रेसी विधायक को न्यायालय से जमानत मिल चुका है,जबकि विनोद नेताम के पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने अब तक कोई माकूल कार्यवाही नहीं किया है। इस बीच बीजेपी विधायक ईश्वर साहू के सुपुत्र की गिरफ्तारी को लेकर आदीवासी समाज ने भंयकर विरोध प्रदर्शन किया है वंही पत्रकार विनोद नेताम की पत्नी श्रीमती भान नेताम की शिकायत पर पुलिस की कार्रवाई में हो रही देरी को लेकर आदीवासी समाज नजर बनाए हुए हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि छत्तीसगढ़ राज्य के अंदर आदीवासी समाज के मुख्यमंत्री बनने के बाद क्या आदीवासियों को न्याय नशिब हो पायेगा।


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