बालोद : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के द्वारा प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए गली गली में जाकर चिल्ला चिल्ला कर नारा लगाया गया था कि अब ना साहिबो बदल के रहिबो। बहरहाल क्या बदला है और कितना बदला है यह बात चुनाव के एक साल बितने को है,लेकिन बावजूद इसके आजतलक तक एक गंभीर शोध का विषय बना हुआ है। इस बीच छत्तीसगढ़ राज्य की पावन धरती पर इस नारा के बदौलत इस बख्त विष्णुदेव साय की सरकार सुशासन रूपी सुदर्शन चक्र सांय सांय चलाते हुए गांव गरीब मजदूर और किसानों की सेवा के लिए तत्पर रहने का दावा करते हुए तैनात हैं। माना जाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि से आधरित क्रिया कर्मों के लिए विश्व विख्यात है। ऐसे में उन्नत और विकसित कृषि क्षेत्र इस प्रदेश के लिए खुशहाली का एक बड़ा कारण बन सकता है,लेकिन दुर्भाग्य से धान के कटोरा के रूप में मशहूर छत्तीसगढ़ राज्य की उपजाऊ जमीन को राज्य बने चौबीस साल बीत जाने के बावजूद हर खेत को कृषि योग्य पानी मिलना दुर्लभ बना हुआ है। गौरतलब हो कि छत्तीसगढ़ राज्य की सरजमीं पर सत्ता का हुनक दिखा कर समाज सेवा करने की इच्छा रखने वाले सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव से पहले हर बार जनता के मनोमस्तिक के अंदर यह बात डाउनलोड करने का प्रयास किया हैं कि उनकी सरकार आयेगी तो हर किसानों की खेतों में पानी पहुंचाने हेतू काम किया जायेगा लेकिन हर बार की तरह किसानों को सिर्फ धोखा मिलता है और यह सिलसिला सदियों से चला आ रहा है। आमतौर पर देखा गया है कि काफी मांग और कठोर परिक्षा से गुजरने के बाद ही नहर पुल पुलिया का निर्माण कार्य संभव हो पाता है। ऐसे में निर्माण कार्य की गुणवत्ता काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन जिस तरह से निर्माण कार्यों में धांधली बरती जा रही है वह भी एक बड़ा चिंता का कारण बना हुआ प्रतीत नजर आता है। इस कड़ी में बालोद जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर दूर पर स्थित ग्राम सोहतरा में तांदुला नहर पर शासन के द्वारा पुल का निर्माण किया जा रहा है जो पूर्ण रूप से गुणवत्ता विहीन बनाई जाने की सूचना है। किये जा रहे पूल निर्माण कार्य में खुलेआम लापरवाही बरती जा रही है। इस निर्माणधीन पूल में वस्तुत देखने पर नजर आता है कि सरिया का इस्तेमाल नहीं के बराबर किया जा रहा है। 6 कॉलम को खड़े करने हेतू किसी प्रकार की चटाई नही बिछाई गई है और न ही कालम खड़ा करने से पहले पर्याप्त गढ्ढा किया गया है। इसके साथ ना ही सरिया को बढ़ने के लिए किसी प्रकार का जाली कॉलम के बीच में लगाया गया है दिखाने के लिए सरिया को स्लैब डालने के बाद गड़ा दिया गया है। वह भी एस्टीमेट के अनुसार नहीं है 8 से 10mm के राड को एक से डेढ़ फीट के बीच में गड़ाकर कलम खड़ा किया जा रहा है जो भविष्य में ग्रामीणों के लिए खतरे में चलने के बराबर है इस प्रकार पूल निर्माण को देखकर समस्त ग्राम वासियों के बीच भविष्य को लेकर चिंता है क्योंकि यह पुल सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा था जिसमें घोर लापरवाही निर्माण एजेंसी के द्वारा बरती जा रही है। इस निर्माण कार्य में शासन प्रशासन भी गहरी नींद में सोई हुई है जबकि नैतिकता के आधार पर जिला प्रशासन बालोद को मामले में संज्ञान लेते हुए तत्काल प्रभाव से जांच करना चाहिए।
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