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केसीपीएस कुरूद में मनाया गया ग्रीन डे ,जीवन में हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का दिया गया संदेश

कुरूद. कलीराम चंद्राकर पब्लिक स्कूल कुरूद में शनिवार को हरेली पर्व के पावन अवसर पर ग्रीन डे धूमधाम के साथ मनाया गया।नर्सरी विभाग की कक्षाओं में इसका विशेष उल्लास देखने को मिला।बच्चों ने हरे-भरे मनभावन परिधान से सुसज्जित होकर विद्यालय आए।कोई पेड़ तो कोई पौधा तो कोई पशु-पक्षी के आकर्षक फैंसी ड्रेस से सजकर विद्यालय में इस कार्यक्रम की शान बनकर उभरा।विधिवत रूप से कार्यक्रम की शुरुआत करने के साथ बच्चों को कार्यक्रम से जुड़े महत्व का वर्णन किया गया।संगीत और नृत्य से सजे इस कार्यक्रम में बच्चों ने थिरकर सबका मन मोह लिया।इसी तरह पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे भी इसके उल्लास से बच नहीं पाए और सभी ने विभिन्न कलेवर और अत्याधुनिक सजावट से भरपूर होकर ग्रीन डे की शोभा बने। इसके साथ ही तीसरी से आठवीं तक के बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति से जुड़ा पारंपरिक घर से बनाए गए खाद्य सामग्री को सजाने की स्पर्धा हुई। बच्चों ने छत्तीसगढ़ के प्रथम त्यौहार हरेली का श्रृंगार करने वाले चीला रोटी, ठेठरी कुर्मी,गुलगुला भजिया, अलसा,लाडू सहित पारंपरिक खाद्य सामग्री घर से बनाकर लाए।सभी कक्षाओं में इसका स्टॉल सजाकर बच्चों को इन खाद्य सामग्री का परिचय देते हुए इनसे जुड़े महत्व को बताया गया।इस दौरान बच्चों में काफी उत्साह देखा गया।इसी छोटे बच्चों ने हरेली पर्व की मोहकता के प्रतीक गेड़ी पर नृत्य कर सबका ध्यान खींचा।एक ओर जहां बच्चे पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हरे रंग के परिधान में सबका मन मोहने लगे।वहीं छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को महकाने वाले घर से बनाकर लाए गए पारंपरिक खाद्य सामग्री ने सभी को बांधे रखा।
       प्राचार्य के मंजीता ठाकुर ने सभी को हरेली पर्व की बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की परंपरा में हरेली पर्व आस्था का प्रतीक है। क्योंकि इसी दिन से हमारे प्रदेश में पर्वों की विधिवत शुरुआत होती है।यह पर्व न केवल हमे परंपरा से जोड़ती है बल्कि हमें हरे-भरे होने का संदेश भी सिखाती है।इसके साथ ही पेड़- पौधों की देखभाल करना,उनकी मदद करना भी सिखाती है।यदि हम अपने जीवन से प्यार करते हैं तो पेड़ पौधों से लगाव रखना अनिवार्य है। पेड़ पौधे हैं तो जीवन है। यदि पर्यावरण ही संतुलित नहीं रहा तो जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। हम सबका कर्तव्य बनता है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाएं और उनको संरक्षित भी करें।
        इस अवसर शिक्षक- शिक्षिकाए उपस्थित थे।

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