"छेड़िया सरपंच श्रीमती जया साहू और उनके पति हिरेन्द्र साहू का विवादों के साथ चोली दामन का रिश्ता बताया जाता रहा है। सूत्रों की मानें तो इससे पहले छेड़िया सरपंच श्रीमती जया साहू और उनके पति हिरेन्द्र साहू अपने पारिवारिक मामले को लेकर काफी सुर्खियां बटोर चुके हैं। हालांकि बड़े बुजुर्गो ने कहा कि घर की बातें घर तक ही सीमित रहे तो अच्छी बात है,लेकिन जब बात जनपद पंचायत गुरूर से जुड़ा हुआ हो तब घर की बातें घर तक ही सीमित रहे ऐसा संभव नहीं है।
बालोद: किसी महापुरुष ने कह रखा है कि दाने दाने पर लिखा होता है खाने वाले का नाम, बहरहाल इस कहावत को चर्चितार्थ होते हुए इन दिनों छतिसगढ़ राज्य के संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र की सरजमीं पर खुलेआम नंगी आंखों से देखे जाने को लेकर आम चर्चा व खबर गुंजे मान है। दरअसल संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र जिसे बालोद जिला की राजनीतिक रण क्षेत्र के भूमि होने का दर्जा प्राप्त है। निश्चित रूप से यथा नाम तथा गुण के अनुरूप किसी महापुरुष के द्वारा कहे गए इन शब्दों को चरितार्थ करते हुए गुरूर जनपद पंचायत कार्यालय से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बसे हुए ग्राम पंचायत छेड़िया की सरपंच श्रीमती जया साहू को लेकर कहा जा रहा है। श्रीमती जया साहू ग्राम पंचायत छेड़िया को लेकर एक गंभीर शिकायत युवा कांग्रेस कमेटी से जुड़े हुए एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने शासन और प्रशासन के समक्ष दर्ज कराई है। बता दें कि श्री मति जया साहू स्वंय ग्राम पंचायत छेड़िया की सरपंच होने के साथ साथ ब्लाक कांग्रेस कमेटी गुरूर की प्रमुख सदस्य बताई जाती हैं। ऐसे में युवा कांग्रेस कमेटी सदस्य का अपने ही पार्टी के ब्लाक कमेटी सदस्य पर भ्रष्टाचार को लेकर शिकायत दर्ज कराना बहुत बड़ी बात है। सियासी तौर पर इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। शिकायत में कांग्रेसी कार्यकर्ता ने छेड़िया सरपंच श्रीमती जया साहू को लेकर कहा है कि ग्राम पंचायत सरपंच श्रीमती जया साहू ने नियम विरुद्ध तरीके से अपने पति हिरेन्द्र साहू के नाम बनाई गई फर्म को सरकारी पैसा ट्रांसफर किया है साथ ही ग्राम पंचायत सरपंच श्रीमती जया साहू पर यह भी आरोप लगाया गया है कि ग्राम पंचायत सरपंच रहते हुए अपने पति के फर्म से सरकारी निर्माण कार्य किया है। हालांकि शिकायत कर्ता के अनुसार दिए गए सबूतों को आधार बनाकर गुरूर जनपद पंचायत सीईओ ने जांच कमेटी का गठन कर शिकायत पर जांच कर लिया है। जांच में क्या सामने आया है यह अभी तय नहीं है,लेकिन कहा यह जा रहा है कि जब पूरा कारनामा ही गुरूर जनपद पंचायत के अधिकारी और कर्मचारियों के निगरानी में हुआ है 'तब ऐसे में जनपद पंचायत गुरूर के अधिकारियों के द्वारा ही जांच करवाना शायद सही बात नहीं है। वैसे भी पूर्व में जनपद पंचायत गुरूर अंतर्गत आने वाले कई ग्राम पंचायत सरपंच पतियों की खस्ता हाल माली हालत पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में ग्राम पंचायत सरपंच से लेकर जनपद पंचायत गुरूर की भूमिका संदेह की दायरे में बताई जा रही है। अब देखने वाली दिलचस्प बात यह है कि मामले में आगे आने वाले दिनों में होता है क्या।