@विनोद नेताम
"मणिपुर में चली आ रही हिंसा के बाद छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदा बाजार में सतनामी समाज के लोगों की भारी भीड़ ने फूंका जिला कलेक्टर आफिस और एसपी कार्यालय को साथ ही कई गाड़ीयों को किया आग के हवाले। हिंसा से दहली छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदा बाजार जिला मुख्यालय। सबले बढ़िया छतिसगढ़िहा की विचारधारा को लगी तगड़ी चोंट,लेकिन बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि आखिरकार इस घटनाक्रम के विषय में गृहमंत्रालय,खुफिया विभाग और पुलिस महकमा को कानों कान खबर क्यों नहीं? जबकि गृहमंत्रालय से जुड़े हुए सभी विभाग का कान हमेशा खड़ा हुआ और चौकन्ना रहता है। रात भर छत्तीसगढ़ राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा और पुलिस महकमा के बड़े अधिकारी बलौदा बाजार में मौजूद रहे। गृहमंत्री ने न्यायिक जांच का दिया था आदेश,बावजूद मामले को लेकर भड़की हिंसा। गृहमंत्री विजय शर्मा से लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तक लोगों से कर रहे हैं शांति की अपिल। बालौदा बाजार जिला मुख्यालय में लगा धारा 144। जिला कलेक्टर ने आदेश जारी कर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों से कहा कि हथियार लेकर निकले। निहत्थे होने पर किसी भी गंभीर घटना से इंकार नहीं।
छत्तीसगढ़ के पावन धरती पर रहने वाले तमाम छतिसगढ़ीहा लोग वैसे तो काफी शांत स्वभाव का माना जाता है। इसके लिए तमाम छतिसगढ़ीहा पूरे देश दुनिया भर में मशहूर है। शायद इनके इसी स्वभाव के चलते लोग बाग छतिसगढ़ीहा सबले बढ़िया कहते हुए दिखाई देते हैं। मीठा जुबांन और ज्यादा आदत सत्कार यंहा रहने वाले बांसिदो की पहचान है,लेकिन जैसा कि माना जाता रहा है कि ज्यादा अच्छाई लोगों को उसके अंत की मुहाने पर लेकर छोड़ती है। सीधा पेंड़ हमेशा सबसे पहले कांटा जाता है। ठीक आज उसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मौजूद स्थानीय जातियों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने की लगातार साजिश हो रही है। इस साजिश के तहत छत्तिसगढ़ प्रदेश में रहने वाले अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जाति को टारगेट किया जा रहा है। इससे पहले बालोद जिले के तूंएगोंदी में धार्मिक सभ्यता और संस्कृति के अनुसार अपने रिती रिवाज के तहत पुजा पाठ कर रहे आदीवासियों को पीटा गया था। बाद में इस घटनाक्रम को लेकर बालोद जिले में भंयकर बवाल हुआ था। ऐसे में आशंका किसी बड़ी साजिश को लेकर भी लगाई जा रही है।
समाजिक क्रांति के पुरोधा मानें जाने वाले गुरू घासीदास जी के अनुयायियों पर बर्बाता पूर्ण आंसू गैस के गोले पानी की बौछारें और फिर पुलिस की लाठीचार्ज की नौबत आखिरकार क्यों आईं ? शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्टर घेराव का कार्यक्रम बेलगाम आक्रोश में कैसे,कब और क्यूं बदल गया? हालांकि इस आक्रोश और आगजनी के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं। उन कारणों को भी जानने और समझने आवश्यकता बताई जा रही है। दरअसल छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास जी के जन्म स्थल गिरौदपुरी में अमर गुफा के पास जैतखाम को काटे जाने के उपरांत पुलिस की विवेचना सतनामी समाज से जुड़े हुए लोगों को संदेहास्पद लग रहा था। मामले को लेकर पुलिस प्रशासन ने अपनी ओर कानून कार्यवाही भी किया था। बावजूद इसके सतनामी समाज के लोग पुलिस प्रशासन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। हालांकि सतनामी समाज को संतुष्ट करना शासन और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी बनती है,लेकिन ऐसा संभव इस मामले को लेकर नहीं हो सका, जिसके चलते प्रदेश भर में सतनामी समाज के लोग सीबीआई जांच की मांग को लेकर तहसील ब्लाक स्तर पर शांति पूर्ण तरीके से ज्ञापन सौंप रहे थे,लेकिन जातिवादी की घटिया गुणवत्ता और सत्ता की हुनक से सराबोर लाचार शासन प्रशासन में बैठे हुए लोगों की घटिया सोच के चलते सतनामी समाज की भावनाओं को चोंट पहुंच गई। जिसके बाद भीड़ उग्र हो गई। हालांकि हिंसा और तोड़फोड़ किसी भी आंदोलन के लिए सही नहीं माना जा सकता है,लेकिन यह भी सवा आना कट्टु सत्य है कि चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार छत्तीसगढ़ राज्य में रही हो या मौजूदा भाजपा की सरकार दोनों ही सरकारों में बैठे हुए जातिवादी लोग उनकी मांगों पर कभी गंभीरता से विचार नहीं करते है,उनकी मांगों पर संवेदना दिखलाते ही नहीं हैं,बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य की पावन धरती पर मौजूद स्थानीय जातियों की समाज को लेकर नकारात्मक छवि बनाने के लिए सदैव उनकी मांगों में अड़ंगा डालते रहे हैं अनसुना करते रहे हैं। यदि यही मांग गैर छत्तीसगढ़ीहा समाज के द्वारा की जाती तो शायद उनकी मांगों को कोई भी सरकार अनसुना करने की हिमाकत नहीं करती है। ऐसे में इस तरह के भेदभावपूर्ण व्यवहार किसी भी सरकार के लिए सही नहीं माना जा सकता है। सरकार को मामले की गंभीरता पर ध्यान देते हुए समाज में शांति व्यवस्था बहाल करना चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही लोगों को भी हिंसात्मक आंदोलन और हिंसा से बचते हुए कदम आगे बढ़ना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर सहित सरगुजा संभाग में मौजूद आदीवासी समाज से जुड़े हुए लोग शांतिपूर्ण तरीके से आज भी कई जगह आंदोलन कर रहे हैं वह भी बैगर हिंसा और तोड़फोड़ के।