कांकेर। जिले के नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ राहुल रजक और लिपिक वर्ग 2 सतीश रामटेके की जोड़ी ने जमकर कमीशनखोरी की है। नक्सल प्रभावित इलाके में सरकार ने विकास कार्यों के लिए जो पैसे भेजे थे, उसमें भी प्रभारी सीईओ राहुल रजक और लिपिक सतीश रामटेके ने जमकर वसूलीबाजी की। अपनी कमीशनखोरी के लिए कुख्यात राहुल रजक और सतीश रामटेके ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जनपद पंचायत में पद का दुरुपयोग करते हुए सरपंच सचिवों पर भारी दबाव बनाया। और चेक के माध्यम से सरकारी खाते का पैसा हजम कर लिया।
यह सनसनीखेज खुलासा उस वक्त हुआ जब जिला पंचायत सीईओ ने इस कमीशनखोरी की जांच के आदेश दिये। हालांकि जिला पंचायत सीईओ की भूमिका पर भी सवाल उठ रहें हैं। असल में ग्राम पंचायत बैकुंठपुर की आदिवासी महिला सरपंच सरिता उसेंडी का बयान दर्ज किया गया।
महिला सरपंच ने अपने लिखित बयान में बताया है कि लिपिक वर्ग 2 सतीश रामटेके ने उससे कहा कि रजक साहब को 25 प्रतिशत कमीशन नहीं देने पर पुल पुलिया निर्माण का काम निरस्त हो जायेगा। सरपंच के मुताबिक सतीश रामटेके ने यह भी दावा किया था कि उसको बाकि ग्राम पंचायतों ने 25 प्रतिशत कमीशन दे दिया है, जिसमें ग्राम पंचायत हरिहरपुर, सत्यनगर, जबेली के सरपंच सचिवों ने प्रथम किश्त की पूरी राशि चेक काटकर दे दिया है। और ग्राम पंचायत नागलदंड, प्रेमनगर के सरपंच सचिवों ने नगद राशि दिया है। ऐसे में आप लोग आधा राशि का चेक बनाकर लाये हो उसे वापस ले जाओ।यह कह कर सतीश रामटेके ने सरपंचपति और एक ग्रामीण नारायण बैरागी के सामने चेक को मिट्टी में फेंक दिया।
बैंकुठपुर के ग्रामीणों ने भी इस मामले में जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इधर मामले का खुलासा होने के बाद भी राहुल रजक और सतीश रामटेके कोयलीबेड़ा इलाके में वापसी का जुगाड़ लगाने में जुट गए है। सूत्रों के मुताबिक कोयलीबेड़ा इलाके में सरकार नक्सलवाद के खात्मे के लिए विकास कार्यों को बढ़ावा दे रही है। जहाँ विकास की आड़ में खुद का विकास करने वाले अधिकारी कर्मचारी दावत उड़ाने में पीछे नहीं है। सरकार और जिला प्रशासन में इन कमीशनखोर अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत रहती है या नहीं यह देखने की बात है।
ग्राम पंचायतों के कैशबुक और भुगतान किये गये लोगो की धरपकड़ के खुलेगा राज
पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर एक अफसर ने बताया कि कोयलीबेड़ा क्षेत्र में हुए भुगतान में लाखों करोड़ों रूपये की कमीशनखोरी की घटना को अंजाम दिया गया है। इसमें चेक और नगद राशि लेकर घुसखोरी की गई। ऐसे में ग्राम पंचायतों के कैशबुक की जांच कर किन लोगों को भुगतान किया गया। और उनकी इन कार्यों में क्या भूमिका थी इसकी जांच से हैरान करने वाला मामला सामने आयेगा। बताया जा रहा है कि ऊपर से नीचे तक पहुंच होने का धौंस दिखाते हुए सरपंच सचिवों को कमीशन देने के लिए मजबूर किया गया।
राहुल रजक और सतीश रामटेके की कमीशनखोरी का खामियाजा भुगतेंगे ग्रामीण
बैंकुठपुर ग्राम पंचायत के ग्रामीण इस साल बरसात के दिनों में एक बार फिर से पुल पुलिया नहीं होने से परेशानी का सामना करेंगे। जहाँ नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुल पुलिया निर्माण कार्यों को पूरा कराने के लिए सरकार ने एड़ीचोटी का जोर लगाया हुआ है। वहीं कई जगहों पर ग्रामीण पुल पुलिया निर्माण का विरोध करते देखे गए। ऐसे में अधिकारी कर्मचारी द्वारा 25 परसेंट कमीशन मांगने पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है।
राजकिशोर भगत और निशांत शर्मा जैसे लोगों के खाते में पैसे की मांग
जनपद पंचायत के प्रभारी सीईओ और लिपिक की जोड़ी ने सरपंच सचिवों से अलग अलग लोगों के नाम पर चेक कटवाये। इसमें सरकारी खाते से निशांत शर्मा के नाम पर चेक से पैसे लिए गए। वहीं बैंकुठपुर ग्राम पंचायत के खाते से राजकिशोर भगत नाम के शख्स के खाते में पैसे मांगे गए।
वाटर कूलर में कमीशनखोरी की जांच नहीं, सचिवों पर दबाव बनाया
कांकेर जिला पंचायत के उपसंचालक द्वारा वाटर कूलर सप्लाई में कमीशनखोरी को दबाने के लिए कोयलीबेड़ा इलाके के सचिवों को बुलाया गया था। इसमें 30 हजार रूपये के वाटर कूलर को 99 हजार रूपये में क्रय किया गया। लेकिन जब मामले का खुलासा हुआ तो बकायदा सचिवों पर दबाव डालकर से खुद के द्वारा क्रय किया गया है ऐसा लिखवाया गया। ऐसे में जिला पंचायत की भूमिका पर भी सवाल उठ रहा है।